14.8 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

विश्व पर्यटन दिवस पर सभी को हार्दिक बधाइयाँ!

उत्तर प्रदेश

विश्व को बचाने के लिए पर्यटन सबसे प्रभावी हथियार है!

‘‘वसुधैव कुटुम्बकम् एवं ‘अतिथि देवो भवः हमारी संस्कृति हमारी पहचान है’’

                महान विचारक फिलिप्स जेम्स बेली ने कहा था कि कला मनुष्य की रचना है, प्रकृति ईश्वर की कला है। सिडनी शेल्डन के अनुसार पृथ्वी पर आने से बेहतर धरती छोड़कर संसार से जाने की कोशिश करें! महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के अनुसार जिज्ञासा एक चमत्कार है जो कि औपचारिक शिक्षा को बचाती है। प्रत्येक वर्ष विश्व के विभिन्न देशों में 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व पर्यटन दिवस 2019 की थीम-पर्यटन और नौकरियां: सभी के लिए बेहतर भविष्य है। पिछले साल विश्व पर्यटन दिवस 2018 के लिए थीम-पर्यटन और डिजिटल परिवर्तन थी। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व में इस बात को प्रसारित तथा जागरूकता फैलाने के लिए हैं कि किस प्रकार पर्यटन वैश्विक रूप से सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा आर्थिक मूल्यों को बढ़ाने में तथा आपसी समझ बढ़ाने में सहायता करता है।

                विश्व पर्यटन दिवस को मनाने की कहानी की शुरूआत 27 सितंबर 1970 को मैक्सिको सिटी में इंटरनेशनल यूनियन आफ आफिशियल ट्रैवल आर्गनाइजेशन द्वारा आयोजित हुई एक बैठक से होती है। इसके ठीक दस साल बाद 1980 से इस दिन को आधिकारिक तौर पर विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। विश्व पर्यटन दिवस के लिए यह तारीख उपयुक्त है क्योंकि यह उत्तरी गोलार्ध में पर्यटन सीजन के अंत और दक्षिणी गोलार्ध में पर्यटन सीजन की शुरूआत के समय आती है।

                अक्टूम्बर 1997 में इस्तांबुल, तुर्की में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के विश्व व्यापार संगठन की महासभा ने विश्व पर्यटन दिवस के उत्सव के दौरान भागीदार के रूप में कार्य करने के लिए प्रत्येक वर्ष एक मेजबान देश नामित करने का निर्णय लिया। विश्व पर्यटन दिवस कई अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। जैसे पर्यटन को बढ़ावा देने वाली फोटो प्रतियोगिताएं, पर्यटन की प्रस्तुतियां जिनमें मुफ्त प्रवेश, छूट जैसे विशेष प्रस्ताव होते हैं। यह विभिन्न पर्यटन उद्यमों, संगठनों, सरकारी एजेंसियों आदि के द्वारा बड़ी रूचि के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा यूएनडब्ल्यूटीओ के महासचिव द्वारा हर साल एक संदेश आम जनता को भेजा जाता है। विश्व पर्यटन दिवस 2019 को मनाने के लिए भारत को मेजबान देश के रूप में चुना गया है।

                दुनिया में पर्यटन तीसरा सबसे बड़ा निर्यात उद्योग है। इसके तहत 1.235 मिलियन पर्यटक अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं पार करते हैं। इस विश्वव्यापी दृष्टिकोण के अंतर्गत समावेशी आर्थिक विकास, स्थानीय समुदायों को अच्छे रोजगार, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन की समस्या के प्रति ध्यान और अद्वितीय सांस्कृतिक पहचान का सम्मान को शामिल किया गया है। पर्यटन ही एक देश को दूसरे देश से जोड़ता है और एक दूसरे की संस्कृति से जोड़ने का अवसर होता है। पर्यटन दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते आर्थिक क्षेत्रों में से एक बन गया है। दुनिया के कई ऐसे देश है जो आर्थिक रूप से पर्यटन पर काफी निर्भर हैं।

                पर्यटन के बारे में कुछ विश्व विख्यात विचारकों के प्रेरणादायी विचार इस प्रकार हैं – (1) दुनिया एक पुस्तक की तरह है और यात्रा उस पुस्तक को पढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है। जो लोग इस खूबसूरत किताब को पढ़ने का मजा लेने से नहीं चूकना चाहिए! (2) विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर मैं चाहता हूं कि आप अधिक से अधिक नई जगहों को देखने के लिए अधिक से अधिक छुट्टियों के साथ धन्य हों और दूसरों के अनुसरण के लिए सुंदर यादें बनाएं। (3) गंतव्य तक पहुंचने के लिए इंतजार न करें बल्कि यात्रा का आनंद लें। जब आप यात्रा करते हैं तो आप जो देखते हैं, उसका आनंद लें। (4) यात्रा गंतव्य है। (5) यात्रा करने से पता चलता है कि हर कोई अन्य देशों के बारे में गलत है। (6) यात्रा का उपयोग वास्तविकता के साथ कल्पना को साकार करना है, यह सोचने के बजाय कि चीजें कैसे हो सकती हैं, उन्हें देखें कि वे क्या हैं।

                इसके अलावा (7) हर साल एक ऐसी जगह की यात्रा करें जहाँ आप पहले कभी नहीं गए हो। (8) जब आप यात्रा कर रहे होते हैं, जीवन का रोमांच हमेशा जिंदा रहता है। (9) अपने जीवन को और अधिक अर्थपूर्ण बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा ट्रैवलिंग करें क्योंकि यह सीखने का सबसे अच्छा तरीका है। (10) यात्रा करना सभी के बारे में जानना, सीखना और गले लगाना है। यह सब एक बेहतर इंसान बनने के बारे में मदद करता है। (11) जब आप यात्रा करते हैं तो आप एक अलग व्यक्ति, एक बेहतर व्यक्ति बन जाते हैं। (12) जो व्यक्ति यात्रा नहीं करता हैं, वे जीवन की सुंदरता के एक पहलू को देखने से अपने वंचित करते हैं।

                पूरी दुनिया में स्थापित प्राचीन या नई इमारते जो अपने आप में कुछ खास महत्व रखती हैं जिनकी स्थापत्य कला बेजोड़ होती हैं। ऐसी इमारतों का पूरी दुनिया से चुनाव करके केवल 7 इमारतों को चुना जाता है। इसे ही 7 वंडर्स आफ वल्र्ड कहते हैं। पुरानी 7 आश्चर्यों की लिस्ट में से कई इमारते टूट-फूट चुकी थी इसलिए एक नई वंडर्स लिस्ट बनाने की योजना बनाई गई। 2001 में स्विट्जरलैंड के न्यू 7 वंडर्स फाउंडेशन ने दुनिया के नये 7 आश्चर्यों को चुनने की पहल शुरू की इसमें 200 मौजूदा स्मारकों को शामिल किया गया जिसमें से केवल 7 वंडर्स का चुनाव करना था। इसके लिए पूरी दुनिया के लोगांे से वोट मांगे गये वोट डालने का जरिया था इन्टरनेट और टेलीफोन था।

                नए 7 वंडर फाउंडेशन का दावा है कि टेलीफोन या इन्टरनेट द्वारा 100 मिलियन से अधिक वोट दिए गए, 7 जुलाई, 2007 को पुर्तगाल के लिस्बन में 7 जुलाई, 2007 को न्यू 7 वंडर्स की घोषणा चुने गए 21 फाइनललिस्ट में से की गई जो इस प्रकार हैं:- (1) पेत्रा, जार्डन, (2) माचू पिच्चू (पेरू) का प्राचीन शहर और पुरातात्विक स्थल का उदाहरण इंका सभ्यता का सबसे परिचित प्रतीक, (3) चीचेन इट्जा, मेक्सिको, पिरामिड का उदाहरण, (4) चीन की विशाल दीवार, चीन जिसे सम्राट किन शि हुआंग द्वारा 220-206 ईसा पूर्व निर्मित किया था, (5)   क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा, ब्राजील, (6) कोलोसियम, इटली, एम्फीथिएटर और पुरात्न कला का उदाहरण तथा (7) ताजमहल, आगरा, (भारत) का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा अपनी बेगम मुमताज महल की मृत्यु के उपरान्त उसकी याद में कराया गया था।

                कमल मंदिर भारत की राजधानी दिल्ली के कालकाजी में स्थित है। यह एक बहाई उपासना मंदिर है। यह मंदिर अपने आप में एक बहुत ही अद्भुत मंदिर है क्योंकि न तो इस मंदिर में कोई मूर्ति है और न ही इसमें किसी भी प्रकार का कोई धार्मिक कर्म-कांड होता है। कमल मंदिर की संरचना कमल के फूल की तरह की गयी है जिस कारण दिल्ली स्थित यह मंदिर प्रमुख आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। जिसे देखने किसी भी धर्म को मानने वाला कोई भी व्यक्ति आ सकता है। यह मंदिर बहुत ही लोकप्रिय है जिसे देखने के लिए

प्रतिदिन देश और विदेश से करीब 10 हजार से ज्यादा पर्यटक आते हैं। भारत के लोग कमल के फूल को पवित्रता और शांति का प्रतीक मानते है इसके साथ ही कमल के फूल को ईश्वर के अवतार का चिन्ह भी माना जाता है।

                भारत सरकार द्वारा विश्व भर के पर्यटकों का घ्यान अपने देश की प्राचीन धरोहरों की ओर आकर्षित करने के लिए “अतुल्य भारत” योजना की शुरूआत की गई है। यात्रा एवं पर्यटन भारत विविधता वाले विशाल देश का सबसे बड़ा सेवा क्षेत्र है। इसके अंतर्गत भारतीय परंपरा, संस्कृति, चिकित्सा, व्यापार एवं खेल पर्यटन के क्षेत्र आते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यटन को विकसित करना एवं बढ़ावा देना, भारतीय पर्यटन स्थल की महत्ता एवं गुणवत्ता को बरकरार रखना एवं उपलब्ध पर्यटन सुविधाओं एवं सेवाओं का विस्तार करना है ताकि इस क्षेत्र का आर्थिक विकास हो सके एवं इसमें रोजगार के अवसर बन सकें। इस खंड में विभिन्न पर्यटन स्थलों, यात्रा के साधनों, अनुमोदित यात्रा अभिकर्ताओं (ट्रेवल एजेंट) एवं यात्रा के दौरान रहने संबंधी सुविधाओं के बारे जानकारी प्रदान की गई है।

                देश में विदेशी पर्यटकों की संख्या 2016 के 6.8 प्रतिशत से बढ़कर जनवरी 2017 में 16.5 प्रतिशत हो गई है। इसी प्रकार घरेलू पर्यटकों की संख्या में (2015 की तुलना में) 2017 में 15.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि का कारण आनलाइन वीजा सुविधा उपलब्ध कराना है। यह सुविधा अब 180 देशों को उपलब्ध है। चिकित्सा और व्यावसायिक पर्यटकों के लिए ई-वीजा की सुविधा तथा ठहरने की अवधि को 30 दिनों से बढ़ाकर 60 दिन कर देने की वजह से भी विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। 2015 की तुलना में 2017 में पर्यटन से अर्जित विदेशी मुद्रा में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2015 में यह 12000 करोड रूपए थी जो 2017 में बढ़कर 13,669 करोड़ रूपये हो गई है।

                पर्यटन देश के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण कारक है। पर्यटन क्षेत्र के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि दुनिया के करीब डेढ़ सौ देशों में विदेशी मुद्रा की कमाई करने वाले पांच प्रमुख क्षेत्रों में पर्यटन भी एक है। 60 देशों में सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा की कमाई पर्यटन से ही होती है। योजना आयोग के एक आकलन के अनुसार प्रत्येक 10 लाख रूपए के निवेश पर पर्यटन क्षेत्र में 78 लोगों को रोजगार मिल सकता है।

                पिछले कुछ दशकों के दौरान भारत में पर्यटन क्षेत्र तेजी से विकसित होने वाले उद्योग के रूप में उभरा है। पर्यटन मंत्रालय के उपायों के चलते इस क्षेत्र में न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी. पर्यटन क्षेत्र के पास विदेशी मुद्रा कमाने की अपार क्षमता है। यह जीडीपी को बढ़ाने में भी योगदान दे सकता है। पर्यटन क्षेत्र 39.5 मिलियन लोगों को सेवा क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराता है। केन्द्र सरकार यात्रा और पर्यटन को विशेष प्रोत्साहन प्रदान करती है। पर्यटकों को आर्कषित करने के लिए सरकार ने कई योजनाओं का शुभारंभ किया है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत पर्यटन केन्द्रों को स्वच्छ बनाया गया है जैसे वाराणसी में गंगा नदी के तट का पुनरूद्वार किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने “स्वच्छ भारत, स्वच्छ स्मारक” का नारा दिया है। इसके तहत विरासत केन्द्रों को स्वच्छ रखने की आवश्यकता स्पष्ट होती है। “आदर्श स्मारक” भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत ऐतिहासिक स्थलों में पर्यटन सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाता है। “स्वदेश दर्शन” पर्यटन मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण योजना है।

                हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का ध्येय वाक्य है “वसुधैव कुटुम्बकम” तथा अतिथियों के लिए हमारा भाव वही होता है, जो देवता के लिए, और इसीलिए हमारे आतिथ्य संस्कार का चिंतन है “अतिथि देवो भवः”। प्रकृति ने भारत की दिव्य भूमि को अनुपम पारिस्थितिकी (जलवायु) उपहार में दी है जैसे हिमालय शिखर, थार मरूस्थल, गंगा का मैदान, पूर्वी तथा पश्चिमी घाट भौगोलिक विविधता का बेहतरीन संगम आदि। छः ऋतुओं का ऐसा संगम भी सिर्फ यहीं देखने को मिलता है। एक ही समय पर भारत के एक प्रदेश में ठंढ रहती है तो किसी अन्य में गर्मी और कहीं बरसात। विश्व की पुरातन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत हमारे पास है।

                दुनिया को आध्यात्म, योग, कला, शास्त्रीय संगीत और आयुर्वेद का उपहार भारत ही दे रहा है। सभी धर्मों के अनेकों पवित्र स्थल भारत में है। वर्ष भर चलते रहने वाले पर्व-त्यौहार, मेले और कुम्भ जैसा आस्था का जनसैलाब भी यहीं दिखता है। भिन्न-भिन्न भाषा, रंग-रूप और वेश-भूषा के बावजूद भारत की पहचान उसकी एकता से है, जिसे हम स्नेह से भारत माता पुकारते हैं। अधिकांश विकसित देशों की सोच विश्व को बाजार के रूप में देखने की है। “वसुधैव कुटुम्बकम” के तहत हम सारे विश्व को परिवार के रूप में देखते हैं। परिवार में स्नेह और प्यार होता है। भारत ही निकट भविष्य में सारे विश्व में न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था का गठन करेगा। महान संत बहाउल्लाह ने कहा कि विश्व एक देश है और हम सभी उसके नागरिक हैं। ईश्वर एक है, धर्म एक है तथा मानव जाति एक बड़े परिवार के सदस्यों की तरह है।

प्रदीप कुमार सिंह, लेखक
पंजीकृत उ प्र न्यूज फीचर्स एजेन्सी

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More