नई दिल्ली: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों- (ओएमसीज) इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लि. (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लि. (बीपीसीएल) और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लि. (एचपीसीएल) के उपयोग में आ रहे 14.2 किग्रा तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) सिलिंडरों की राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार कुल संख्या अनुलग्नक-1 में दी गई है।
ओएमसीज ने सूचित किया है कि एलपीजी सिलिंडरों का विनिर्माण मुख्य विस्फोटक नियंत्रक, नागपुर (सीसीओई) द्वारा अनुमोदित और बीआईएस लाइसेंसधारक विनिर्माताओं के जरिए बीआईएस 3196 के अनुसार किया जाता है। इसके बाद, एलपीजी सिलिंडरों की एलपीजी भरण संयंत्रों में जांच की जाती है और केवल उन्हीं सिलिंडरों की भराई होती है जो बीआईएस मानकों को पूरा करते हैं, भरण के बाद गुणवत्ता जांच की जाती है और एसके बाद ग्राहकों को वितरण करने के लिए सिलिंडर डिस्ट्रीब्यूटरों को भेजे जाते हैं। सिलिंडर के विनिर्माण की तारीख की 10 वर्षों के बाद, सभी नए एलपीजी सिलिंडरों की पहली सांविधिक जांच और पेंटिंग (एसटीएंडपी) किया जाना अपेक्षित होता है।
इसके बाद, एलपीजी सिलिंडरों की प्रत्येक 5 वर्ष के बाद एसटीएंडपी किया जाता है। एलपीजी सिलिंडरों की इस प्रकार की जांच पेर्टोलियम और विस्फोटक् सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) द्वारा अनुमोदित मरम्मतकर्ताओं के जरिए की जाती है। मरम्मत वाले एलपीजी सिलिंडरों की बीआईएस पद्धति संहिता के अनुसार इसके जीवनकाल में केवल एक बार तप्त मरम्मत की जाती है। ऐसे प्रत्येक तप्त मरम्मत किए गए सिलिंडर को बीआईएस द्वारा उपयोग के लिए प्रमाणित किया जाता है और तदनुसार इसे इसके बाद में उपयोग हेतु भेजा जाता है।
ग्राहकों के परिसरों में सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए उपाय निम्नवत हैं:-
- गैस डिस्ट्रीब्यूटरों को दो वर्ष में एक बार परिसर में एलपीजी संस्थापन की अनिवार्य जांच करने के निदेश दिए गए हैं।
- घरेलू रसोई में एलपीजी के उपयोग में सुरक्षा को बढ़ाने के लिए सभी ग्राहकों के परिसर में उपयोग हेतु सुदृढ़ स्टील वायर, जिसे चूहे इत्यादि कुतर न सकें और अग्निरोधी हो, के साथ सुरक्षा एलपीजी होज के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
III. ओएमसीज ग्राहकों की सुरक्षा जागरूकता को बढ़ाने के लिए नियमित अभियान चलाती हैं। नया कनेक्शन जारी करते समय डिस्ट्रीब्यूटरों के शोरूम पर प्रदर्शन और डेमो संस्थापन के जरिए और ग्राहक आवास पर कनेक्शन संस्थापन के समय ग्राहकों को जानकारी दी जाती है। एलपीजी के सुरक्षित उपयोग पर निर्देशों वाली सुरक्षा पुस्तिका और घरेलू गैस ग्राहक कार्ड भी संदर्भ के लिए ग्राहकों को दिया जाता है।
- एलपीजी के सुरक्षित उपयोग के संबंध में ग्राहक जागरूकता में वृद्धि करने के लिए समय-समय पर सुरक्षा और कस्टमर एजुकेशन क्लिनिकों का आयोजन किया जाता है।
- डिस्ट्रीब्यूटरशिप का कार्य समय समाप्त होने के बाद और अवकाश के दिनों में रिसाव से संबंधित शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए आकस्मिक सेवा प्रकोष्ठ बनाया गया है। क्षेत्र विशेष के आकस्मिक सेवा प्रकोष्ठों के संपर्क के ब्यौरे डिस्ट्रीब्यूटरों के शोरूम पर प्रदर्शित किए जाते हैं और इसके अतिरिक्त रीफिल कैश मेमोरी में भी छापे जाते हैं। सुरक्षा क्लिनिकों के दौरान भी ये नम्बर प्रसारित किए जाते हैं।
- रिसाव के मामले में, डिस्ट्रीब्यूटरों द्वारा नियुक्त प्रशिक्षित मेकैनिक, प्राथमिक आधार पर शिकायतों पर तुरंत ध्यान देते हैं।
एलपीजी सिलिंडरों की ढुलाई करने वाले सभी ट्रकों को वार्षिक आधार पर संबंधित प्राधिकारी द्वारा इनकी फिटनेस के लिए प्रमाणित किया जाता है और उन्हें निम्नलिखित से सुसज्जित किया जाता है।
- सीसीओई (मुख्य विस्फोटक नियंत्रक) से अनुमोदित चिंगारी रोधी। (स्पार्क एरेस्टर)
- दो अदद अनुमोदित 10 कि.ग्रा. के डीसीपी अग्निशामक।
III. एंटी लॉक ब्रेकिंग प्रणाली (एबीएस)
- ट्रक के फर्श पर ऐंटी स्टैटिक रबड़ मैट।
- मास्टर कट ऑफ स्विच।
- सिलिंडरों की ढुलाई केवल क्षैतिज (वर्टिकल) स्थिति में की जाती है।
VII. सिलिंडरों की बेहतर स्थिरता और सुरक्षा के लिए ट्रक की बाडी को केजिंग सिस्टम से कवर किया जाता है।
VIII. ट्रकों को कार्पोरेशन की मानकीकृत रंग योजना में पेंट किया जाता है और उस पर आपातकालीन संपर्क के ब्यौरे लिखे जाते हैं।
- एक ड्राइवर और खलासी उस पर होता है।
इसके अलावा, आपूर्ति स्थल से डिस्ट्रीब्यूटरों तक और डिस्ट्रीब्यूटरों से ग्राहकों तक एलपीजी की ढुलाई के दौरान तथा ग्राहक परिसर में हुई किसी दुर्घटना के कारण जनता को सुरक्षा देने के उद्देश्य से तीन तेल कंपनियों (आईओसीएल/बीपीसीएल/एचपीसीएल) ने संयुक्त् रूप से सार्वजनिक देयता बीमा नीति बनाई है।
ओएमसीज ने सूचित किया है कि विगत तीन वर्षों और वर्तमान वर्ष में एलपीजी सिलिंडरों के स्वयं फट जाने के कारण किसी एलपीजी दुर्घटना की रिपोर्ट नहीं है। तथापि, ऐसे मामलों की रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं जिसमें अन्य स्रोतों/कारणों से एलपीजी सिलिंडर में आग लग गई जिसके बाद आग से बाहरी हिस्सा अत्यधिक गर्म हो जाने के कारण सिलिंडर फट गया। विगत तीन वर्षों और वर्तमान वर्ष में प्राप्त सूचना के अनुसार एलपीजी उपस्करों के कारण राज्य/केंद्र शासित प्रदेश वार दुर्घटना के ब्यौरे अनुलग्नक-2 में दिए गए हैं।
ओएमसीज ने सूचित किया है कि एलपीजी सिलिंडरों की ढुलाई करने वाले सभी ट्रकों को वार्षिक आधार पर संबंधित प्राधिकारी से इसकी फिटनेस के लिए प्रमाणित किया जाता है।
इसके अलावा, आपूर्ति स्थल से डिस्ट्रीब्यूटरों तक और डिस्ट्रीब्यूटरों से ग्राहकों एवं ग्राहक परिसरों तक एलपीजी की ढुलाई के दौरान हुई किसी दुर्घटना के कारण जनता को सुरक्षा देने के उद्देश्य से तीन तेल कंपनियों (आईओसीएल/बीपीसीएल/एचपीसीएल) ने संयुक्त रूप से सार्वजनिक देयता बीमा नीति बनाई है। इसके अतिरिक्त परिवहनकर्ता ढुलाई विधि देयता बीमा और तृतीय पक्ष बीमा भी करते हैं।
ट्रकों में एलपीजी सिलिंडर लोड करते समय आपूर्ति स्थलों पर उपर्युक्त सुनिश्चित करते हैं और क्षेत्र अधिकारी औचक निरीक्षण के दौरान डिस्ट्रीब्यूटरों के परिसर में सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं।
बीआईएस विनिर्देशनों के अनुसार सुरक्षा निर्देश सिलिंडरों पर हिन्दी और अंग्रेजी में स्टेंसाइल से चित्रित किए जाते हैं।
अनुलग्नक- 1 | ||||
दिनांक 01.07.2015 की स्थिति के अनुसार ओएमसीज के उपयोग हो रहे राज्यवार 14.2 कि.ग्रा. सिलिंडर | ||||
राज्य/यूटी | उपयोग हो रहे ओएमसीज के 14.2 कि.ग्रा. सिलिंडरों की कुल संख्या (लाख में) | |||
आईओसीएल | बीपीसीएल | एचपीसीएल | योग | |
चंडीगढ़ | 4.5 | 3.1 | 1.5 | 9.1 |
दिल्ली | 68.1 | 22.3 | 14.9 | 105.3 |
हरियाणा | 41.4 | 32.5 | 20.4 | 94.3 |
हिमाचल प्रदेश | 25.4 | 2.1 | 3.4 | 30.9 |
जम्मू एवं कश्मीर | 11.8 | 3.7 | 23.6 | 39.1 |
पंजाब | 72.1 | 34.9 | 26.2 | 133.2 |
राजस्थान | 71.3 | 43.3 | 44.4 | 159.1 |
उत्तर प्रदेश | 202.1 | 89.8 | 51.8 | 343.8 |
उत्तराखंड | 34.0 | 11.6 | 2.3 | 47.9 |
उप योग उत्तर | 530.8 | 243.4 | 188.4 | 962.6 |
अंडमान एवं निकोबार | 2.1 | 0.0 | 2.1 | |
अरूणाचल प्रदेश | 4.6 | 0.1 | 0.0 | 4.7 |
असम | 48.2 | 4.2 | 0.0 | 52.4 |
बिहार | 59.3 | 23.4 | 23.1 | 105.9 |
झारखंड | 24.2 | 4.4 | 7.4 | 36.1 |
मणिपुर | 6.8 | 0.0 | 6.8 | |
मेघालय | 3.3 | 0.1 | 0.0 | 3.4 |
मिजोरम | 5.6 | 0.0 | 5.6 | |
नागालैंड | 4.5 | 0.0 | 0.0 | 4.5 |
ओडिशा | 20.9 | 12.7 | 19.5 | 53.1 |
सिक्किम | 2.7 | 0.0 | 2.7 | |
त्रिपुरा | 7.5 | 0.0 | 7.5 | |
पश्चिम बंगाल | 103.7 | 36.6 | 34.1 | 174.4 |
उप योग पूर्व | 293.3 | 81.5 | 84.2 | 459.0 |
छत्तीसगढ़ | 19.4 | 7.4 | 12.0 | 38.7 |
दादर एवं नागर हवेली | 0.0 | 1.2 | 1.2 | |
दमन एवं दीव | 0.0 | 0.4 | 0.7 | 1.1 |
गोवा | 0.3 | 3.6 | 6.7 | 10.6 |
गुजरात | 82.0 | 37.0 | 31.6 | 150.6 |
मध्य प्रदेश | 67.5 | 28.7 | 34.3 | 130.5 |
महाराष्ट्र | 42.0 | 161.5 | 152.0 | 355.5 |
उप योग पश्चिम | 211.1 | 238.6 | 238.6 | 688.2 |
आंध्र प्रदेश | 61.4 | 31.4 | 79.2 | 172.1 |
कर्नाटक | 77.7 | 45.2 | 64.0 | 187.0 |
केरल | 80.0 | 44.0 | 26.6 | 150.6 |
लक्षदीप | 0.1 | 0.0 | 0.1 | |
पुदुचेरी | 2.3 | 2.3 | 2.3 | 6.9 |
तमिलनाडु | 163.3 | 71.9 | 42.8 | 277.9 |
तेलंगाना | 54.8 | 31.4 | 48.5 | 134.7 |
उप योग दक्षिण | 439.6 | 226.2 | 263.5 | 929.2 |
अखिल भारत | 1474.8 | 789.6 | 774.7 | 3039.1 |
अनुलग्नक – 2 | |||||||||||||||||||||||||
राज्य | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | अप्रैल-जून 2015 | |||||||||||||||||||||
दुर्घटनाओं की संख्या | मृतकों की संख्या | घायलों की संख्या | दुर्घटनाओं की संख्या | मृतकों की संख्या | घायलों की संख्या | दुर्घटनाओं की संख्या | मृतकों की संख्या | घायलों की संख्या | दुर्घटनाओं की संख्या | मृतकों की संख्या | घायलों की संख्या | ||||||||||||||
आंध्रप्रदेश +तेलंगाना | 22 | 3 | 24 | 16 | 8 | 18 | 17 | 3 | 32 | 9 | 3 | 10 | |||||||||||||
असम | 2 | 0 | 1 | 2 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | |||||||||||||
बिहार | 3 | 9 | 11 | 3 | 4 | 3 | 5 | 4 | 4 | 1 | 0 | 2 | |||||||||||||
चंडीगढ़ | 0 | 0 | 0 | 2 | 0 | 3 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | |||||||||||||
छत्तीसगढ़ | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 1 | 0 | 10 | 0 | 0 | 0 | |||||||||||||
दादर एवं नागर हवेली | 0 | 0 | 0 | 2 | 0 | 3 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | |||||||||||||
दमन एवं दीव | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | |||||||||||||
दिल्ली | 2 | 2 | 5 | 2 | 1 | 12 | 3 | 1 | 0 | 4 | 1 | 0 | |||||||||||||
गुजरात | 25 | 3 | 18 | 36 | 4 | 19 | 17 | 5 | 7 | 2 | 0 | 0 | |||||||||||||
हरियाणा | 2 | 0 | 2 | 2 | 0 | 1 | 4 | 1 | 4 | 0 | 0 | 0 | |||||||||||||
हिमाचल प्रदेश | 3 | 0 | 4 | 5 | 3 | 8 | 5 | 0 | 2 | 1 | 1 | 3 | |||||||||||||
जम्मू एवं कश्मीर | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | 1 | 0 | 0 | |||||||||||||
झारखंड | 4 | 2 | 2 | 2 | 0 | 1 | 3 | 0 | 1 | 1 | 0 | 1 | |||||||||||||
कर्नाटक | 22 | 15 | 46 | 21 | 4 | 26 | 28 | 9 | 44 | 12 | 0 | 6 | |||||||||||||
केरल | 16 | 0 | 6 | 19 | 3 | 17 | 19 | 3 | 2 | 6 | 0 | 2 | |||||||||||||
मध्य प्रदेश् | 6 | 0 | 3 | 3 | 1 | 8 | 12 | 1 | 18 | 4 | 1 | 1 | |||||||||||||
गोवा | 0 | 0 | 0 | 3 | 1 | 2 | 2 | 0 | 1 | 0 | 0 | 0 | |||||||||||||
महाराष्ट्र | 6 | 0 | 13 | 15 | 11 | 44 | 31 | 4 | 62 | 9 | 1 | 6 | |||||||||||||
मेघालय | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | |||||||||||||
ओडिशा | 0 | 0 | 0 | 2 | 0 | 0 | 5 | 4 | 2 | 1 | 0 | 0 | |||||||||||||
पंजाब | 6 | 0 | 2 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 | 1 | 1 | 0 | 0 | |||||||||||||
पुदुचेरी | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | |||||||||||||
राजस्थान | 14 | 5 | 8 | 7 | 0 | 8 | 15 | 6 | 24 | 8 | 5 | 18 | |||||||||||||
तमिलनाडु | 15 | 7 | 3 | 12 | 8 | 18 | 51 | 34 | 35 | 12 | 7 | 11 | |||||||||||||
त्रिपुरा | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | |||||||||||||
उत्तर प्रदेश | 23 | 8 | 51 | 23 | 9 | 17 | 29 | 23 | 83 | 3 | 0 | 4 | |||||||||||||
उत्तराखंड | 4 | 10 | 10 | 2 | 0 | 5 | 0 | 0 | 0 | 2 | 0 | 0 | |||||||||||||
पश्चिम बंगाल | 4 | 2 | 6 | 10 | 2 | 4 | 13 | 17 | 10 | 0 | 0 | 0 | |||||||||||||
कुल योग | 180 | 66 | 215 | 190 | 59 | 218 | 262 | 115 | 342 | 78 | 19 | 65 | |||||||||||||