केन्द्रीय जल मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में आज जल शक्ति मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की बैठक हुई। इसमें जल शक्ति राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया भी उपस्थित थे। बैठक में शामिल हुए 18 सांसदों ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) की प्रगति पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कोविड महामारी के कठिन समय के बावजूद ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन के जरिए सुरक्षित पेयजल पहुंचाने के राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के प्रयासों की सराहना की और अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मिशन कार्यों के तेजी से कार्यान्वयन के लिए सुझाव दिए।
जल जीवन मिशन को सही मायने में जनआंदोलन में परिवर्तित करने के लिए सामुदायिक स्तर पर सक्रिय भागीदारी के लिए लोगों को इसके साथ जोड़ने में संसद सदस्य अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए कार्यक्रम में सांसदों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को इस संबंध में एक सलाह जारी की गई है। इसके लिए जल जीवन मिशन के तहत कुछ प्रावधान किए गए हैं जिसमें जिला जल और स्वच्छता मिशन की बैठकों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना तथा जिला स्तर पर मिशन की प्रगति की त्रैमासिक समीक्षा,सामुदायिक सहभागिता और भागीदारी को बढ़ावा देना;सांसद निधि और केन्द्र प्रायोजित कार्यक्रमों की निधियों के समायोजन को प्राथमिकता देना और अड़चनों का समाधान जैसी गतिविधियां शामिल हैं।. इनकी भागीदारी से मिशन को उसकी मूल भावना के अनुरूप क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी।
मिशन की दिन प्रति दिन की योजना, कार्यान्वयन तथा निगरानी और प्रगति की रिपोर्टिंग के लिए आधुनिक ऑनलाइन जल जीवन मिशन एकीकृत सूचना प्रबंधन प्रणाली (आईआईएमएस) की स्थापना की गई है। इसपर सूचनाएं और जानकारियां सार्वजनिक की गई हैं। इसपर कोई भी राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों, जिलों और गांवों के स्तर पर मिशन की समग्र प्रगति की जानकारी हासिल कर सकता है। पारदर्शिता और कोष प्रबंधन के आधुनिक तरीके सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) का उपयोग जेजेएम के तहत अनिवार्य कर दिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और उनका जीना आसान बनाने के लिए 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री की ओर से जल जीवन मिशन की शुरुआत की घोषणा गई थी। इसके तहत 2024 तक राज्यों के साथ भागीदारी के माध्यम से देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को उनके घरों तक नल के जरिए पीने का पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। 15 अगस्त 2019 को जब जल जीवन मिशन की घोषणा की गई थी तब देश के कुल 18.93 करोड़ ग्रामीण घरों में से 3.23 करोड़ ग्रामीण घरों (17%) में नल के पानी के कनेक्शन थे। तब से लेकर अबतक ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 3.47 करोड़ से अधिक परिवारों को उनके घरों में नल का कनेक्शन उपलब्ध कराया जा चुका है। मौजूदा समय कुल 19.18 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से एक तिहाई (35%) से अधिक को यानी देश के 6.70 करोड़ ग्रामीण परिवारों को घरों में पीने योग्य जल की आपूर्ति नल के जरिए हो रही है जिससे उनका जीवन आसान होने के साथ ही उसकी गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।
समानता और समग्रता के सिद्धांत पर आधारित जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल के जरिए पीने का पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है और कोई भी इसमें छूट ना जाए इस आधार पर इसे क्रियान्वित किया जा रहा है। अबतक देश में गुजरात के पांच, तेलंगाना के 32, हिमाचल प्रदेश के 3, जम्मू कश्मीर के 2, गोवा के 2, हरियाणा के 5 और पंजाब के तीन जिले हर घर जल जिले के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। इसका अर्थ यह है कि इन जिलों के सभी ग्रामीण परिवारों तक नल के जरिए पीने का पानी पहुंचाया जा चुका है। अपने यहां सभी ग्रामीण परिवारों तक यह सुविधा पहुंचाने के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के बीच होड़ सी लग गई है। सभी ग्रामीण परिवारों तक नल का जल पहुंचाने के मामले में गोवा देश का पहला राज्य है। इसके बाद दूसरा स्थान तेलंगाना का है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 52 जिलों, 663 ब्लॉकों तथा 76 हजार गांवों में हर घर तक नल का जल पहुंच चुका है।
जल जीवन मिशन का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक ग्रामीण परिवारों को उनकी भिन्न आर्थिक और सामाजिक स्थितियों के बावजूद नल के जरिए पीने का पानी उपलब्ध कराया जाए। मिशन “ कोई भी छूट न जाए” और समाज के कमजोर और हाशिए पर खड़े सबसे गरीब लोगों के लिए भी उनके घर तक नल के जरिए पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के सिद्धांत पर आधारित है।
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ साझेदारी में भारत के जीवंत आईओटी इको-सिस्टम का दोहन करने के लिए आईसीटी ग्रैंड चैलेंज के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति पर निगरानी रखने के लिए एक ‘स्मार्ट माप और निगरानी प्रणाली’ शुरू की है।
इसके अलावा, पानी के नमूनों के परीक्षण के लिए पोर्टेबल जल गुणवत्ता परीक्षण उपकरणों को विकसित करने के लिए उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ साझेदारी में एक नवाचार प्रतिस्पर्धा शुरु की गई है। इसका लक्ष्य ऐसे पोर्टेबल उपकरण विकसित करना है जो नवाचार से युक्त और किफायती हों तथा जिनका इस्तेमाल ग्रामीण स्तर पर घरों में पीने की गुणवत्ता की तुरंत जांच के लिए आसानी से किया जा सके।