नई दिल्ली: नौसेना कमांडरों के द्विवार्षिक सम्मेलन का इस वर्ष का पहला संस्करण 23 अप्रैल 2019 को शुरू हुआ और तीन दिन के उपयोगी विचार-विमर्श के बाद 25 अप्रैल 2019 को संपन्न हो गया।
माननीय रक्षा मंत्री ने 23 अप्रैल 19 को नौसेना कमांडरों को संबोधित किया। उन्होंने उच्च परिचालन गति बनाए रखने तथा समुद्री क्षेत्र में न केवल भारतीय हितों की रक्षा करने, बल्कि दुश्मन से बलपूर्वक समर्पण कराने की भारतीय नौसेना की योग्यता की सराहना की, जैसा कि हाल की गतिरोध की एक घटना के दौरान जाहिर हुआ। उन्होंने स्वदेशीकरण, आत्मनिर्भरता और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को समर्थन देने की दिशा में नौसेना द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सरकार के ‘डिजिटल इंडिया कार्यक्रम’ के अनुरूप ‘डिजिटल नौसेना’ विज़न प्राप्त करने की दिशा में अनेक कदम उठाये गये।
बातचीत के दौरान माननीय रक्षा मंत्री ने युद्ध की तत्परता, आधुनिकीकरण की रफ्तार और अधिग्रहण और अवसंरचना से संबंधित विभिन्न मामलों में हुई प्रगति की समीक्षा की। क्षेत्र अन्य नौसेनाओं की सहायता के लिए भारतीय नौसेना के विदेशी सहयोग के प्रयासों की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने नौसेना कमांडरों से अनुरोध किया कि वे ऐसी सशक्त नौसेना का निर्माण करने के लिए उपलब्ध संसाधनों को सर्वोत्तम उपयोग करे, जो सामुद्रिक क्षेत्र से उभरने वाली किसी भी चुनौती का समाना करने के लिए तैयार और सतर्क रहे।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कमांडरों को संबोधित करते हुए परिचालन की तत्परता, क्षमता में वृद्धि, रखरखाव, ऑप लॉजिस्टिक्स, अवसंरचना का विकास और मानव संसाधन प्रबंधन से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।
नौसेना के लिए दीर्घकालिक योजना को अंतिम रूप देने से संबंधित मामलों पर चर्चा के दौरान ‘परिचालनगत दक्षता में सुधार की दिशा में भारतीय नौसेना का कार्यात्मक पुनर्गठन’ और ‘ऑप्टिमल मैनिंग’ पर मुख्य रूप से विचार-विमर्श किया गया। उपयुक्त तकनीकों का उपयोग करने की नौसेना की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए नौसेनिक युद्ध, नेटवर्क/सूचना का अभिसरण, संभार तंत्र, प्रशासन और निरंतर परिचालन के लिए उपकरण की स्थिति की निगरानी के क्षेत्र में समाधानों के लिए “बिग डेटा एनालिटिक्स” और “कृत्रिम आसूचना” को शामिल करने की ठोस योजनाओं पर भी चर्चा हुई।
एचएडीआर के लिए प्रथम रिस्पोंडर के रूप में भारतीय नौसेना की निरंतर विशिष्टता और आईओआर में नेट सुरक्षा प्रदाता के रूप में इसकी भूमिका की कमांडरों द्वारा समीक्षा की गई। इस सम्मेलन के दौरान कई मित्र देशों के साथ साझेदारी करके नौसेना द्वारा समग्र सामुद्रिक क्षेत्र जागरूकता विकसित करने, कोच्चि में 10वीं आईओएनएस वर्षगांठ मनाने, व्यापक हिंद प्रशांत क्षेत्र और उससे परे रक्षा क्षेत्र में इसकी श्रेष्ठता के प्रमाण के रूप में संभारतंत्र, प्रशिक्षण और प्रचालन से संबंधित अनेक रक्षा सहयोग समझौतों को अंतिम रूप देने की दिशा में उठाये गये ठोस कदमों की समीक्षा की गई। नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का अगला संस्करण इस वर्ष के अंत में अक्टूबर/ नवंबर में आयोजित किया जायेगा।