16.3 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

हमारी भाषाओं को संरक्षित करने के लिए सहयोगपूर्ण और अभिनव प्रयासों की जरूरत है: उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज भारतीय भाषाओं के संरक्षण और कायाकल्प के लिए अभिनव और सहयोगपूर्ण प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भाषाओं को संरक्षित करना और उनकी निरंतरता सुनिश्चित करना केवल एक जन आंदोलन के माध्यम से ही संभव है। श्री नायडु ने कहा कि हमारी भाषा की विरासत को हमारी आने वाली पीढ़ियों को हस्तांतरित करने के प्रयासों में लोगों को एक स्वर से साथ आना चाहिए।

भारतीय भाषाओं को संरक्षित करने के लिए विभिन्न लोगों द्वारा संचालित मार्मिक पहलों पर बात करते हुए, उपराष्ट्रपति ने एक भाषा को समृद्ध बनाने में अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय भाषाओं में अनुवादों की गुणवत्ता और संख्या में सुधार के लिए प्रयास बढ़ाने का आह्वान किया। श्री नायडु ने युवाओं के लिए बोली जाने वाली भाषाओं में प्राचीन साहित्य को अधिक सुलभ और संबंधित बनाने की भी सलाह दी। अंत में, उन्होंने लुप्तप्राय और पुरातन शब्दों को ग्रामीण क्षेत्रों और विभिन्न बोलियों की भाषा में संकलित करने का भी आह्वान किया ताकि उन्हें भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित किया जा सके।

मातृभाषाओं के संरक्षण पर ‘तेलुगु कूटमी’ द्वारा आयोजित एक वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित करते हुए, श्री नायडु ने आगाह किया कि अगर किसी की मातृभाषा लुप्त जाती है, तो उसकी आत्म-पहचान और आत्म-सम्मान अंततः खो जाएगी। उन्होंने कहा कि हम अपनी विरासत के विभिन्न पहलुओं संगीत, नृत्य, नाटक, रीति-रिवाजों, त्योहारों, पारंपरिक ज्ञान को केवल अपनी मातृभाषा के जरिये ही संरक्षित कर सकते हैं।

इस अवसर पर श्री नायडू ने भारत के मुख्य न्यायाधीश, श्री एन.वी रमना की हालिया पहल की सराहना की, जिन्होंने एक महिला को अपनी मातृभाषा तेलुगु में अपनी परेशानियों को बताने की अनुमति देकर एक सौहार्दपूर्ण तरीके से 21 साल पुराने वैवाहिक विवाद को हल किया जब उन्होंने देखा कि उस महिला को धाराप्रवाह अंग्रेजी में बोलने में कठिनाई हो रही है। उन्होंने कहा कि यह मामला न्यायिक प्रणाली की आवश्यकता पर बदल देता है ताकि लोग अदालतों में अपनी मूल भाषाओं में अपनी समस्याओं को बता सकें और क्षेत्रीय भाषाओं में आदालत निर्णय भी दे सकें।

उपराष्ट्रपति ने प्राथमिक विद्यालय स्तर तक मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने और प्रशासन में मातृभाषा को प्राथमिकता देने के महत्व को भी दोहराया।

श्री नायडू ने एक दूरदर्शी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लाने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की, जो हमारी शिक्षा प्रणाली में मातृभाषा के उपयोग पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि एनईपी की परिकल्पना के अनुसार समग्र शिक्षा तभी संभव है जब हमारी संस्कृति, भाषा और परंपराओं को हमारी शिक्षा प्रणाली में एकीकृत किया जाए।

उन्होंने नए शैक्षणिक वर्ष से विभिन्न भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों के हालिया निर्णय की सराहना की। उन्होंने तकनीकी पाठ्यक्रमों में भारतीय भाषाओं के उपयोग में क्रमिक तरीके से बढ़ाने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने लुप्तप्राय भाषाओं के सुरक्षा और संरक्षण के लिए योजना (एसपीपीईएल) के माध्यम से लुप्त हो रही देशी भाषाओं की रक्षा करने की पहल के लिए शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों की भी सराहना की।

मातृभाषा के संरक्षण में दुनिया में विभिन्न सर्वोत्तम परिपाटी का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने भाषा के प्रति उत्साही भाषाविदों, शिक्षकों, अभिभावकों और मीडिया से ऐसे देशों से पूरा ज्ञान लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों ने इंजीनियरिंग, चिकित्सा और कानून जैसे विभिन्न उन्नत विषयों में अपनी मातृभाषा का उपयोग करते हुए खुद को अंग्रेजी बोलने वाले देशों के मुकाबले हर क्षेत्र में मजबूत साबित किया है।

श्री नायडू ने व्यापक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली में सुधार का भी सुझाव दिया।

यह देखते हुए कि मातृभाषा को महत्व देने का अर्थ अन्य भाषाओं की उपेक्षा नहीं है, श्री नायडु ने बच्चों को अपनी मातृभाषा में मजबूत नींव के साथ अधिक से अधिक भाषाएं सीखने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।

तेलंगाना सरकार के सलाहकार श्री के.वी. रामनाचारी, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, श्री नंदीवेलुगु मुक्तेश्वर राव, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी, श्री चेन्नुरु अंजनेय रेड्डी, तेलुगु एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (टीएएनए) के पूर्व अध्यक्ष, श्री तल्लूरी जयशेखर, द्रविड़ विश्वविद्यालय के डीन, श्री पुलिकोंडा सुब्बाचारी, तेलंगाना के पूर्व साहित्य अकादमी अध्यक्ष श्री नंदिनी सिद्धारेड्डी, लिंग्विस्टिक सोसाइटी ऑफ इंडिया की अध्यक्ष, श्री गरपति उमामहेश्वर राव, तेलुगु कूटमी के अध्यक्ष, श्री पारुपल्ली कोदंडारमैया और अन्य गणमान्य लोगों ने इस  आभासी कार्यक्रम में भाग लिया।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More