नई दिल्ली: समन्वय (पुलिस वायरलेस) निदेशालय 19 फरवरी, 2016 को अपना 70वां स्थापना दिवस मनाएगा। निदेशालय की स्थापना 1946 में हुई थी
और तब उसे ‘वायरलेस निरीक्षणालय’ के नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में 1950 में इसे गृह मंत्रालय के अधीन करके समन्वय (पुलिस वायरलेस) निदेशालय बना दिया गया था। निदेशालय पूरे देश में पुलिस संचार की जिम्मेदारी निभाता है।
निदेशालय 24 घंटे अंतर-राज्यीय पुलिस वायरलेस नेटवर्क के जरिए काम करता है और सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की राजधानियों में इसके 31 स्टेशन हैं। इनके जरिए निदेशालय शांति-व्यवस्था संबंधित आपातकालीन संदेश भेजता है। निदेशालय देश में पुलिस संचार के लिए गृह मंत्रालय के अधीन एक नोडल निकाय है और सभी राज्यों में विभिन्न प्रकार के पुलिस संचार का समन्वय करता है। सुरक्षा मामलो के संबंध में होने वाले रेडियो संचार के लिए भी निदेशालय सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस के साथ तालमेल रखता है।
2003 में भारत के विदेश मंत्रालय के निर्देश पर निदेशालय की एक टीम अफगानिस्तान गई थी ताकि वहां संचार प्रणाली को दुरुस्त किया जा सके। वर्ष 2004 के सुनामी आपदा के दौरान निदेशालय की एक विशेषज्ञ टीम ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में संचार प्रणाली को दोबारा चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। वर्ष 2008 में इस्लामाबाद में हुए सार्क सम्मेलन के दौरान निदेशालय ने सार्क देशों के पुलिस प्रमुखों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक प्रजेंटेशन भी दिया था। सितंबर, 2014 में जब श्रीनगर में बाढ़ आई थी तो उस समय निदेशालय की एक टीम को वहां रवाना किया गया था, जिसने दिल्ली के साथ राज्य का वायरलेस संपर्क सफलतापूर्वक दुरुस्त किया था। अप्रैल, 2015 में भी नेपाल में आए भूकंप के दौरान निदेशालय की एक टीम को काठमांडू रवाना किया गया था ताकि काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास और दिल्ली के बीच वायरलेस संचार सुचारू रूप से चल सके। निदेशालय की टीम ने नेपाल में राहत और बचाव कार्य में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की टीम का सहयोग भी किया था।
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