सुप्रीम कोर्ट ने पुरी के विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा आयोजित करने की अनुमति दे दी है. रथयात्रा के एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट का यह बड़ा फ़ैसला आया है. केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रथयात्रा के पक्ष में अपना मत रखने के बाद ओडिशा सरकार ने इसका समर्थन किया. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने यह फ़ैसला सुनाया है.
कोरोना के संक्रमण के ख़तरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि कुछ पाबंदियों की भी बात की है.
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार सुचित्र मोहन्ती के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है, “पुरी शहर में रथयात्रा के दौरान प्रवेश के सभी रास्ते एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड वगैरह बंद रहेंगे. राज्य सरकार सभी दिनों को और जब रथयात्रा हो रही हो तो उस वक़्त शहर में कर्फ़्यू लगाए रखेगी. कर्फ़्यू के दौरान किसी को भी अपने घरों या फिर होटल और दूसरे आवासीय स्थानों से बाहर निकलने की इजाज़त नहीं होगी. यह कर्फ़्यू आज रात आठ बजे से ही लग जाएगी.”
सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा यह भी कहा है कि रथ को पांच सौ से ज़्यादा लोग नहीं खीचेंगे. इन पांच सौ लोगों की कोरोनो टेस्टिंग होगी और निगेटिव आने की स्थिति में ही उन्हें रथ खींचने की अनुमति होगी. इन पांच सौ लोगों में अधिकारी और पुलिसकर्मी भी शामिल होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रथयात्रा में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए राज्य सरकार को क़दम उठाना होगा. इस बार कड़ी सुरक्षा के साथ भक्तों के योगदान बिना रथयात्रा की रस्म पूरी की जाएगी.
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रथयात्रा की तैयारी को लेकर बैठक बुलाई है.18 तारीख़ को सुप्रीम कोर्ट ने इस साल रथ यात्रा बंद करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद जगन्नाथ के श्रद्धालुओं के बीच निराशा फैल गई थी.
रथयात्रा पर रोक के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका हुई थी दर्ज
इस मामले में कई पुनर्विचार याचिकाएं दायर हुई थीं. भगवान जगन्नाथ के एक मुसलमान भक्त आफ़ताब हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
आफ़ताब ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “मैं पहले एक ओड़िया हूँ बाद में मुसलमान. भगवान जगन्नाथ ओडिशा की पहचान हैं. रथयात्रा बंद होने की ख़बर से मुझे पीड़ा पहुंची. मुझे लगा कि मुझे सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार करने का अनुरोध करना चाहिए. मैं बहुत ख़ुश हूँ कि आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ने रथयात्रा की अनुमति दी है.”
टेम्पल मैनेजिंग कमिटी के अध्यक्ष पुरी के गजपति महाराज दिव्य सिंह देव ने शनिवार को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लिखे चिट्ठी में कहा था कि श्रीमंदिर के रिकॉर्ड ऑफ़ राइट के अनुसार टेम्पल मैनेजिंग कमिटी निर्धारित दिन को वार्षिक रथ यात्रा का आयोजन करने के लिए बाध्य है. शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने भी रथयात्रा आयोजन पर ज़ोर दिया था. हर तरफ़ से बढ़ते हुए दबाव के बाद ओडिशा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोविड स्थिति को मद्देनज़र रखते हुए एहतियाती क़दम के साथ भक्तों की भागीदारी के बिना, सिर्फ़ पुरी में रथयात्रा का आयोजन किया जा सकता है. इससे पहले ओडिशा सरकार ने कोर्ट को बताया था कि रथयात्रा में लाखों लोगों के इकट्ठा होने की सम्भावना है, इससे कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका है.
चल रही हैं तैयारियां
इस फ़ैसले के बाद पुरी में ख़ुशी का माहौल है. रविवार शाम तक तीनों रथ पूरी तरह से तैयार हो चुकी हैं और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जा रही है.
टेम्पल मैनेजिंग कमिटी के अध्यक्ष गजपति महाराज दिव्य सिंह देव के साथ रथयात्रा की तैयारियों के बारे में केंद्र गृहमंत्री अमित शाह ने फ़ोन पर बात की है. पुरी में जिलापाल बलवंत सिंह और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठक हुई है. जिलापाल ने मीडिया को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार रथयात्रा के लिए पुरी ज़िला प्रशासन तैयार है.
श्रीमंदिर से गुंडिचा मंदिर तक सड़क से दुकानों को हटाया जा चुका है. चीफ़ सेक्रेटरी असित त्रिपाठी और पुलिस डीजी अभय कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ पुरी पहुँच कर रथयात्रा की तैयारी की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. source: bbc.com/hindi