बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। बुलंदशहर में गरीबी से जूझ रहे परिवार में 13 साल का एक बच्चा ओलम्पियन बनने चला है। एक साल पहले अपना करियर शुरू करने वाले फर्राटा धावक विशाल भाटी ने 100 मीटर दौड़ की स्टेट और नेशनल चैम्पियनशिप में अपनी धाक जमाते हुए आधा दर्जन मेडल जीते हैं। विशाल के मां-पिता का उस वक्त अलगाव हो गया था, जब वह महज 5 महीने का था। गरीबी और मुश्किलों से जूझ रही उसकी मां राजबाला ने अपने बेटे को ओलम्पिक में भेजने की ठानी है।
बुलंदशहर के शिवाली गांव में गरीबी से जूझ रहे इस परिवार का गुजारा दूध बेचकर चलता है। साल भर पहले तक 13 साल का विशाल भाटी एक हलवाई की दुकान में बर्तन साफ करने का काम करता था। बुलंदशहर के स्टेडियम के कोच अनिल लोधी की नजर इस बच्चे पर पड़ी और वह इसे अपने साथ ले आए। एक साल की कड़ी मेहनत के दौरान विशाल ने देश में हुई स्टेट और नेशनल चैम्पियनशिप में अपने जज्बे का फर्राटा दिखाते हुए 2 गोल्ड और 4 सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिए। विशाल और उसकी मां का सपना अब ओलम्पिक तक जाने का है।
विशाल के कोच अनिल लोधी बताते हैं कि उन्होंने विशाल को हलवाई की दुकान पर काम करते देखा था। वह कभी-कभार गांव के खिलाड़ियों के साथ स्टेडियम आता था और मैदान में दौड़ लगाता था। उसकी बॉडी लैंग्वेज किसी खिलाड़ी की तरह ही थी। उन्होंने विशाल में अपार क्षमताएं देखीं और उसे ट्रेंड करना शुरू कर दिया।
2014 में हरिद्वार की इंटरडिस्ट्रिक्ट नेशनल चैम्पियनशिप में पहली बार विशाल ने अपनी प्रतिभा साबित करके सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद तो दो और इंटरडिस्ट्रिक्ट नेशनल चैम्यिनशिप में सिल्वर, यूपी स्टेट चैम्पियनशिप में गोल्ड, नॉर्थ जोन चैम्पियनशिप में गोल्ड और जूनियर नेशनल में सिल्वर मेडल विशाल ने जीता है। लखनऊ में हुई यूपी स्टेट चैम्यिनशिप में तो विशाल और उसके प्रतिद्वंद्वियों का फासला इतना था कि उसने अपनी खुशी जाहिर करने के लिए फिनशिंग लाइन से पहले ही अपनी शर्ट उतार दी। विशाल को दौड़ते हुए देखने वाले कहते हैं उसके पैरों में पदम का वास है। दौड़ शुरू करते ही उसके पैरों में जैसे पंख लग जाते हैं और पलक झपकते ही वह फिनिशिंग लाइन को पास कर देता है।
बुलंदशहर की जिलाधिकारी बी. चन्द्रकला ने जब स्टेडियम में अपने निरीक्षण के दौरान विशाल के बारे में सुना तो वह भी खुद को विशाल से मिलने से नहीं रोक सकीं। जिलाधिकारी ने उसकी प्रैक्टिस के मद्देनजर स्टेडियम के मैदान की मरम्मत कराकर रनिंग ट्रैक भी तैयार कराया है। विशाल की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने हाल ही में उसे 10 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी है। जिलाधिकारी ने विशाल की हरसंभव मदद के लिए भी उससे वायदा किया है।
वहीं बुलंदशहर के संतोष पब्लिक स्कूल के मालिक प्रशांत गर्ग ने जब विशाल के बारे में सुना तो वह उसके घर जाकर उसे स्कूल ले आए और यहां एडमिशन देकर उसकी पढ़ाई-लिखाई शुरू करा दी। विशाल अब संतोष पब्लिक स्कूल में पढ़ता है और उसकी प्रतियोगिताओं से जुड़ी जिम्मेदारियां भी प्रशांत गर्ग उठाते हैं। प्रशांत गर्ग के अलावा, डॉ. सतीश आर्य और विशाल के कोच अनिल लोधी भी उसकी प्रतियोगिताओं से जुड़े खर्चों में उसकी मदद करते हैं।
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