देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि महिलाएं ग्रामीण बदलाव के हमारे नक्शे में रंग भरने का काम करें। इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूह एक विचार के रूप में
आगे बढ़ें। इनके माध्यम से गांवों व मोहल्लों की आर्थिक सहभागिता हो। डूंगा हाउस में स्टेट बैंक के सौजन्य से ‘‘महिला स्वयं सहायता समूह व बैंक लिंकेज’’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि विकास की दौड़ में बने रहने के लिए हमें अपनी मातृ शक्ति को साथ लेना होगा। गरीबों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, एससी व एसटी को मुख्यधारा में लाना ही सच्चे मायने में विकास है।
महिला स्वयं सहायता समूहों को बड़े स्तर पर ऋण वितरण के लिए स्टेट बैंक आॅफ इण्डिया का आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इससे दूसरे बैंकों को भी प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने एसबीआई से अपेक्षा की कि आगे इसी तरह के आयोजन हल्द्वानी, श्रीनगर व हरिद्वार में भी किये जाएं। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि सहकारिता विभाग, अन्य सार्वजनिक व प्राईवेट संस्थाओं को भी इसके लिए आगे आना चाहिए। महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए देहरादून, हल्द्वानी, रूद्रपुर व हरिद्वार में स्थायी बाजार की व्यवस्था की जाएगी। सरकारी विभागों को निर्देशित किया गया है कि खरीद में महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को प्राथमिकता दी जाए। एक ई-पेार्टल भी तैयार किया जाएगा जिसमें सभी महिला स्वयं सहायता समूहों को रजिस्टर किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राजमार्गों पर स्थानीय व्यंजन व हेंडीक्राफ्ट के लिए सराय विकसित की जाएंगी। ऋण के भार से दबे महिला स्वयं सहायता समूहों को उबारने की व्यवस्था की जा रही है। सभी महिला स्वयं सहायता समूहों को एक सहकारी-सहभागिता से जोड़ने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि कार्यक्रम में दूर दराज के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में महिला स्वयं सहायता समूहों ने शिरकत की है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले प्रत्येक महिला स्वयं सहायता समूहों को 5-5 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से दिए जाने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आर्थिक सहभागिता में महिलाओं की समान भूमिका सुनिश्चित करनी होगी। इस पर हमने कई नीतिगत निर्णय लिए हैं। महिला के नाम पर रजिस्ट्री को प्रोत्साहित कर रहे हैं। वन पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्राविधान किया जा रहा है। वन पंचायतों के माध्यम से लगभग 700 करोड़ का खर्च किया जाएगा। उŸाराखण्ड में बदलाव में हमारी बहनों की मुख्य भूमिका दिखनी चाहिए। महिला के जन्म से लेकर वृद्वावस्था तक जीवन के हर पल राज्य सरकार अपनी किसी न किसी योजना को लेकर उनके साथ खड़ी है। गर्भवती महिलाओं को पोष्टिक आहार में मंडुवा व काला भट देने के उत्साहजनक परिणाम मिले हैं। रूद्रप्रयाग सहित कई जिलों में मातृत्व मृत्यु दर में कमी आई है। प्रत्येक 5 तारीख को खिलती कलियां कार्यक्रम के तहत कुपोषित बच्चों का वजन किया जाता है और उन्हें आवश्यक पोष्टिक आहार उपलब्ध करवाया जाता है। विकलांग बच्चे के लिए 500 रूपए का पोष्टिक भŸाा दिया जाता है। विक्षिप्त व्यक्ति की पत्नी केा 800 रूपए की पेंशन के साथ 400 रूपए का पोषण भत्ता दिया जाता है। पुलिस में 1 हजार महिलाओं की भर्ती करने जा रहे हैं। प्रत्येक थाने में एक महिला सब इंस्पेक्टर नियुक्त की जाएंगी। होमगार्ड व पीआरडी में महिलाओं की संख्या 30 प्रतिशत की जाएगी। 60 वर्ष से अधिक आयु की बुजुर्ग महिलाओं को टेक होम राशन दिया जा रहा है। रोड़वेज बस में इनके लिए निशुल्क यात्रा का प्राविधान है। मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ योजना सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है।
विŸा मंत्री डा.(श्रीमती) इंदिरा हृद्येश ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए स्थाई मार्केट बनाए जाने की जरूरत है। आज हमारे महिला समूहों द्वारा उच्च गुणवŸाा के उत्पाद बनाए जा रहे हैं। हमारी सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के प्रयास कर रही है। उन्होंने स्टेट बैंक की पहल का स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की कि इस प्रक्रिया को स्टैट बैंक व अन्य बैंक आगे बढ़ाएंगे।