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ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा करने में सहकारिता बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है: राधा मोहन सिंह

IFFCO celebration for Agriculture and Farmers' Welfare Minister, Shri Radha Mohan Singh's speech
कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा करने में सहकारिता बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है और डेयरी से जुड़े सहकारी संस्थाओं ने डेयरी में बड़ी संख्या में रोजगार सृजित कर इस बात को साबित कर दिखाया है। श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि सहकारिता ने हर क्षेत्र में अपनी प्रभुत्ता बनायी है और सहकारिता के विशाल नेटवर्क से दुनिया भर में 100 मिलियन लोगों को रोजगार मिला है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने ये बात आज यहां अशोक होटेल में आयोजित 12वीं अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संघ-एशिया प्रशांत (आईसीए) की रीजनल असैम्बली की बैठक एवं 9वीं सहकारी फोरम में कही। श्री सिंह ने सम्मेलन में हिस्सा ले रहे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के करीब 250 विदेशी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन भारत और एशिया-प्रशांत की सहकारिता को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगा ।

केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरूआत की है जैसे स्कूलों में शौचालय, जन – धन योजना, स्वच्छ – भारत अभियान, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मेक इन इंडिया, सॉयल हेल्थ कार्ड स्कीम आदि। इन्हें लागू करने में सहकारिता संस्थाएं काफी काम की साबित हो सकती है क्योंकि सहकारिता का विशाल और विस्तृत नेटवर्क गांवों और सूदूर क्षेत्रों में फैला हुआ है। श्री सिंह ने कहा कि सरकार ने कौशल युक्त रोजगार के सृजन पर काफी बल दिया है और आज जबकि देश की 65 प्रतिशत जनसंख्या 38 साल से कम लोगों की है, ऐसे में सहकारिता की ग्रामीण इलाकों में विस्तृत पहुँच, रोजगार के अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

श्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि आईसीए रिजनल अंसेंबली का थीम ’सतत् विकास’ है जो आज के संदर्भ में काफी प्रांसगिक है। यह संयुक्त राष्ट्र के 2030 के सतत् विकास एजेंडा के अनुरूप है जिसने ’सतत विकास’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये एक दूरगामी नीति बनाने पर बल दिया है जिसमें गरीबी-उन्मूलन, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार सृजन, जलवायु परिवर्तन की रोकथाम जैसे विषय शामिल हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश में 6 लाख से ज्यादा सहकारी समितिया हैं जिनकी सदस्य संख्या 2491.20 मिलियन है। इन समितियों ने सहकारी आंदोलन को विश्व में सबसे बड़ा आंदोलन बनाया है। ये समितियां उर्वरक वितरण, चीनी उत्पादन, हथकरघा, रिटेल क्षेत्र में कार्यरत हैं। सहकारी क्षेत्र 17.80 मिलियन लोगों को स्व-रोजगार प्रदान करता है और मत्स्य, श्रम, हथकरघा, और महिला सहकारिताओं ने समाज के निर्बल वर्ग की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दूध सहकारिता ने श्वेत क्रान्ति द्वारा भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया है। आवास सहकारिता ने समाज के कमजोर वर्ग को कम दाम पर आवास की सुविधायें प्रदान की हैं।

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