नई दिल्ली: केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां स्वयंसेवी एजेंसियों की स्थाई समिति (स्कोवा) की 29वीं बैठक की अध्यक्षता की। स्कोवा की यह बैठक कार्मिक लोक, शिकायत और पेंशन मंत्रालय के पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा आयोजित किया गया है। इस तरह की पिछली बैठक 27 जून, 2016 को हुई थी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज का संवाद बहुत सार्थक और प्रेरित करने वाला रहा। यह कार्मिक तथा पेंशन कल्याण विभाग के काम को दिखाता है। उन्होंने कहा कि देश में लगभग 50-55 लाख पेंशनभोगी हैं और 88 प्रतिशत पेंशन खाते आधार से जोड़ दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर 9000 रुपए प्रति व्यक्ति कर दिया है और अनुग्रह राशि 10-15 लाख रुपए से बढ़ाकर 25-35 लाख रुपए कर दी गई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमें सेवानिवृत्त कर्मचारियों के ज्ञान, अनुभव तथा प्रयासों का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए संस्थागत व्यवस्था करने की आवश्यकता है। इससे वर्तमान परिस्थिति में मूल्यवर्द्धन होगा। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारी भारत के लिए स्वस्थ और उत्पादक कार्यबल हैं और हमें सेवानिवृत्त कर्मचारियों की ऊर्जाओं का उत्पादक दिशा में इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा हमें पेंशनभोगियों के अनुभव से सीखना चाहिए। पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्याण विभाग को ऐसा बनना चाहिए ताकि पेंशनभोगी राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें।
बैठक में स्कोवा की 28वीं बैठक के कार्य रिपोर्ट पर चर्चा हुई। इसमें पेंशनभोगियों से संबंधित विभिन्न विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। इनमें 2006 से पहले के पेंशनभोगियों का पीपीओ संशोधन, गैर-सीजीएचएस क्षेत्र के निवासियों सहित पेंशनभोगियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना, सैनिकों की विधवाओं के लिए अधिक परिवारिक पेंशन, पीएंडटी पेंशनभोगियों के लिए सीजीएचएस सुविधाएं तथा सीजीएचएस स्वास्थ्य केंद्र देहरादून से संबंधित विषय शामिल हैं। डॉ. जितेंद्र सिंहने पेंशनभोगियों की शिकायतों के शीघ्र और समयबद्ध समाधान का निर्देश दिया और कहा कि हमें पेंशनभोगियों के प्रति हमदर्दी की भावना रखनी चाहिए।
इस अवसर पर पेंशन तथा पेंशनभोगियों कल्याण सचिव श्री सी.विश्वनाथ तथा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में पेंशनभोगी एसोसिएशनों के सदस्य तथा भारत सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालयों/विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।