लखनऊ: उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद के क्राप वेदर वाच ग्रुप के विशेषज्ञों ने कृषकों को जुलाई माह में धान, मूंगफली, मक्का तथा सांवा फसल की खेती करने के लिए उपयोगी एवं लाभदायक सुझाव दिए हैं।
कृषि विभाग, उ.प्र. द्वारा दिये गये आच्छादन आंकड़ों के अनुसार दिनांक 30 जून, 2015 तक प्रदेश में कुल धान की नर्सरी का आच्छादन लक्ष्य 4.03 लाख हे0 के सापेक्ष 2.56 लाख हे0 की पूर्ति हो चुकी है जो लक्ष्य का 63.58 प्रतिशत है। धान का आच्छादन लक्ष्य 60.45 लाख हे0 के सापेक्ष रोपाई की प्रतिपूर्ति 1.78 लाख हे0 में हुई है जो लक्ष्य का 2.96 प्रतिशत है। खरीफ की अन्य फसलों में मक्का के आच्छादन लक्ष्य 7.74 लाख हे0 के सापेक्ष 1.31 लाख हे. में प्रतिपूर्ति हुई है जो लक्ष्य का 16.93 प्रतिशत है। दहलनी फसल की मुख्य फसल अरहर की बुआई 3.59 लाख हे0 के सापेक्ष 0.37 लाख हे0 में हुई है जो लक्ष्य का 10.4 प्रतिशत है। ज्वार की बुआई निर्धारित लक्ष्य 1.80 लाख हे. के सापेक्ष 0.05 लाख हे0 में हुई है जो लक्ष्य का 2.69 प्रतिशत है।
अतः प्रदेश में फसल एवं मौसम के इस परिपे्रक्ष्य में किसानों को निम्नलिखित सुझाव दिये जाते हैंः-धान रोपाई के लिये मौसम अनुकूल है अतः रोपाई युद्धस्तर पर करें। शोधित बीज का ही प्रयोग करें। स्री पद्धति से 1 हे. रोपाई हेतु मात्र 1000 वर्ग फुट क्षेत्रफल की पौध पर्याप्त है तथा नर्सरी की क्यारियाॅं 4-5 इंच ऊॅंची हों। स्री पद्धति के लिये 6 किग्रा. प्रति हे. की दर से बीज की नर्सरी में बुआई करें। स्री पद्धति की नर्सरी में जहाॅं तक संभव हो देशी खाद का ही प्रयोग करें। 8-12 दिन की अवधि की नर्सरी की रोपाई करें। जहाॅं तक सम्भव हो ड्रमसीडर या फर्टी-ड्रिल से ही बुआई करें। खरीफ 2015 के लिए फसलों के बीमा कराने की अवधि संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में एक अप्रैल से 31 जुलाई तक है। इस योजना के अंतर्गत जिन किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड चालू हैं वे अपनी फसलों का बीमा सम्बन्धित बैंक कर्मचारियों से करा लें। कृषि विभाग द्वारा चलायी जा रही पारदर्शी किसान योजना के अंतर्गत कृषि निवेश, कृषि यंत्र, बीज, कृषि रसायनों को प्राप्त करने हेतु अपना रजिस्ट्रेशन कराएॅं। किसान कृषि विभाग की वेबसाइट www.upagriculture.com पर आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
किसान धान की रोपाई प्रत्येक वर्गमीटर में 50 हिल तथा प्रत्येक हिल पर 2-3 पौधे लगायें। धान की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों यथा नरेन्द्र-97, पंत धान-12, बारानी दीप, आई.आर.-50, शुष्क सम्राट, नरेन्द्र लालमती, मालवीय धान-2 की नर्सरी डालें। सुगंधित धान की प्रजातियों टाइप-3, कस्तूरी, पूसा बासमती-1, हरियाणा बासमती-1, बासमती-370, तारावडी बासमती, मालवीय सुगंध, मालवीय सुगंध 4-3, वल्लभ बासमती-22, नरेन्द्र लालमती, नरेन्द्र सुगंध आदि की नर्सरी डालें। नर्सरी लगाने के 20 दिन के अन्दर एक छिड़काव ट्राइकोडर्मा का करें। धान में खरपतवार के नियन्त्रण के लिए रोपाई के 3 दिन के उपरान्त से एक सप्ताह के अन्दर ब्यूटाक्लोर 50 ई.सी. (1.5 किग्रा./हे.) 500-600 ली. पानी अथवा प्रिटिला क्लोर 50 ई.सी. 1.25 ली./हे. की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें जिससे खरपतवार का जमाव प्रारम्भिक अवस्था पर ही रोका जा सके। खैरा रोग जिंक की कमी के कारण नर्सरी में लगता है। इस रोग में पत्तियाॅं पीली पड़ जाती हैं जिस पर बाद में कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं। खैरा रोग के नियन्त्रण हेतु 5 किग्रा. जिंक सल्फेट को 20 किग्रा. यूरिया अथवा 2.50 किग्रा. बुझे हुए चूने को प्रति हे. लगभग 1000 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें। सफेदा रोग लौह तत्व की कमी के कारण नर्सरी में लगता है। इस रोग में नई पत्ती कागज के समान सफेद रंग की निकलती है। हरी खाद के लिए बोई गई सनई, ढेंचा एवं मूॅंग की तैयार फसल की पलटाई कर दें। पलटाई के लगभग 10 दिन बाद धान की रोपाई करें।
किसान मूॅंगफली की प्रजातियों यथा चित्रा, कौशल, प्रकाश, अम्बर, टी.जी.-37 ए, उत्कर्ष तथा दिव्या की बुवाई करें। ट्राईकोडर्मा 4 ग्रा. तथा 1 ग्रा. कार्बाक्सिन/किग्रा. बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। इस शोधन के 5-6 घण्टे बाद बीज को मंूगफली के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें।
मक्का की खेती हेतु किसान मध्यम अवधि की मक्का की प्रजातियों संकर प्रजातियों यथा-दकन-107, मालवीय संकर मक्का-2, वाई.-1402 के, प्रो-303 (3461), केएच-9451, केएच-510, एमएमएच-69, बायो-9637, बायो-9682 एवं संकुल प्रजातियों नवजोत, पूसा कम्पोजिट-2, श्वेता सफेद, नवीन की बुवाई करें। सावां की खेती हेतु किसान सावां की संस्तुत प्रजातियों यथा टी-46, आई.पी.-149, यू.पी.टी.-8, आई.पी.एम.-97, आई.पी.एम.-100, आई.पी.एम.-148 व आई.पी.एम.-151 की बुवाई करें।