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सीएसई ने ब्रेड को लेकर किया खुलासा, प्रयोग होने वाला केमिकल जानलेवा

देश-विदेश

नई दिल्ली: आम लोगों के घर का सामान्य खाना ब्रेड भी खतरनाक है। इसको बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाला कैमिकल कैंसर का खतरा बढ़ा रहा है। यह खुलासा किया है दिल्ली के सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरमेंट (सीएसई) ने। मैगी के बाद ये दूसरा सबसे इस्तेमाल किये जाने वाला खाद्य पदार्थ है जिसके खतरनाक होने की पुष्टि हुई है।

केंद्र सरकार ने सोमवार को दिल्ली में ब्रेड में कैंसर का कारण बनने वाले रसायनों के अंश मिलने के बाद इस मामले की जांच के आदेश जारी किए है। इससे पहले, सोमवार को ही सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई) की ओर से जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में यह सामने आया था कि शहरों मे बिक रहे ब्रेड के नियमित सेवन से कैंसर का खतरा है।

सीएसई के उपमहानिदेशक चंद्रभूषण ने बताया कि उन्होंने दिल्ली में आमतौर पर बिकने वाले 38 ब्रांडेड ब्रेड के सैंपल लिए। इनमें पाव, बन, बर्गर ब्रेडऔर पिज्जा ब्रेड भी शामिल हैं। जब इनकी जांच की गई, तो 84 फीसदी सैंपल में पोटेशियम ब्रोमेट या पोटेशियम आयोडेट की मात्रा मिली। हालांकि, कुछ सैंपल की जांच बाहरी प्रयोगशालाओं में भी कराई गई। यहां भी जांच में इन रसायनों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।

सीएसई ने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से उन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की अपील की है, जिनके ब्रांड में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट रसायन मिले हैं।

कैंसर और थायरायड का खतरा –
यह अध्ययन सीएसई की प्रदूषण निगरानी प्रयोगशाला में किया गया है। अध्ययन के अनुसार, ब्रेड बनाने के दौरान आटे में पोटेशियम ब्रोमेट तथा पोटेशियम आयोडेट का इस्तेमाल किया जाता है। पोटेशियम ब्रोमेट से शरीर में कैंसर होने का खतरा रहता है, जबकि पोटेशियम आयोडेट से थायरायड संबंधित बीमारी हो सकती है।

भारत में प्रतिबंधित नहीं –
कई देशों में ये रसायन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सूची में शामिल हैं। खासतौर से ब्रेड में इनका इस्तेमाल में प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि, भारत में इन पर प्रतिबंध नहीं है।

हम जांच कर रहे हैं-नड्डा  
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सीएसई की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, हम मामले की जांच कर रहे हैं। मैंने अधिकारियों से जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा है। घबराने की जरूरत नहीं है। जल्द ही जांच रिपोर्ट में सब साफ हो जाएगा।

अध्ययन एक नजर में  –
– 84 फीसदी सैंपल (38 में से 32) की जांच में पोटेशियम ब्रोमेट या पोटेशियम आयोडेट (1.15-22.54 पीपीएम) मिला है।
– 79 प्रतिशत सैंपल (24 में से 19), जो बे्रड, पाव, बन और पिज्जा बे्रड के थे, में यह रसायन मिले।
– 75 प्रतिशत सैंपल (4 में से 3), जो पिज्जा बे्रड के थे, में यह रासयन मिले।

साभार हिन्दुस्तान

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