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अटल नवप्रवर्तन मिशन द्वारा देश भर में स्थापित 295 अटल टिंकरिंग लैब्स को सीएसआईआर ने अपनाया

देश-विदेश

नीति आयोग के अंतर्गत अटल नवप्रवर्तन मिशन (एआईएम) की देश भर में प्रमुख 295 अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) को आज आधिकारिक तौर पर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने अपना लिया है, जो छात्रों के बीच वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार संस्कृति को विकसित करने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कदम है।

अपनी 36 प्रयोगशालाओं के साथ सीएसआईआर ने देश भर में 295 अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं और उनके छात्रों को अपनाया है। यह देश भर के युवा नवप्रवर्तकों के लिए राष्ट्र के सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमान और वैज्ञानिकों से सीखने का एक अभूतपूर्व अवसर है। यह अवसर पाकर  प्रगतिशील छात्र अपने स्कूल, परिवारों और स्थानीय समुदायों के लिए जीवंत प्रेरणा का स्त्रोत बन जाएंगे।

सीएसआईआर शीर्ष अनुसंधान विद्वानों और वैज्ञानिकों को नियुक्त करेगा जो प्रत्येक अटल टिंकरिंग प्रयोगशाला में परामर्शदाता की भूमिका निभाएंगे और विषय विशेषज्ञ के रूप में कार्य करेंगे। अटल नवप्रवर्तन मिशन और सीएसआईआर वैज्ञानिक और तकनीकी अवधारणाओं, विचारों या सामाजिक मुद्दों से संबंधित विभिन्न विषयों पर छात्रों के लिए वेबिनार की एक श्रृंखला भी आयोजित करेंगे।

वर्चुअल माध्यम से साझेदारी की परियोजना के शुभारम्भ पर आयोजित कार्यक्रम में अटल नवप्रवर्तन मिशन के मिशन निदेशक और नीति आयोग के अपर सचिव आर रमणन ने कहा कि कोविड महामारी ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान द्वारा लागू नवाचारों के महत्वपूर्ण महत्व को मजबूत किया है। इसलिए, सीएसआईआर के साथ यह साझेदारी अटल नवप्रवर्तन मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो सार्वजनिक और निजी संगठनों के साथ एसटीईएम अनुसंधान और नवाचार सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उन्होंने कहा, “सीएसआईआर के साथ यह साझेदारी देश के युवा स्कूली छात्रों को एटीएल द्वारा उपलब्ध कराए गए अवसरों के लिए बड़ी प्रेरणा प्रदान करेगा, जो सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के माध्यम से नवीनतम तकनीकों और वैज्ञानिक अनुसंधानों तक पहुँच प्रदान करता है, क्योंकि यह न केवल 2020 के दृष्टिकोण के साथ मेल खाता है बल्कि इससे एक आत्मनिर्भर भारत के लिए मार्ग प्रशस्त होता है।”

सीएसआईआर के महानिदेशक, डॉ. शेखर सी. मांडे ने इस अवसर पर कहा, “देश के युवा छात्रों तक पहुंच बनाने में सक्षम होने के लिए सीएसआईआर के इतिहास में यह बहुत दिलचस्प और महत्वपूर्ण पड़ाव है। सीएसआईआर हमेशा अपने नवाचारों, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत के लोगों के साथ जुड़ा हुआ है और अपने प्रमुख “जिज्ञासा” कार्यक्रम के माध्यम से पिछले कुछ वर्षों में 3 लाख से अधिक छात्रों से जुड़ने में सक्षम हुआ है। एआईएम के साथ यह साझेदारी हमें आगे भी छात्र समुदाय से हमारे संपर्क का विस्तार करने का अवसर प्रदान करती है।

डॉ. मांडे ने देश भर में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने में एआईएम के काम की सराहना की। श्री मांडे ने कहा कि एआईएम ने पूरे भारत में उद्भव केंद्रों की संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए एक लंबा सफर तय किया है।

सीएसआईआर-एनआईईएसटी, जोरहाट डॉ. जी. नरहरि शास्त्री ने अपने संबोधन में कहा, “यह एक बड़ी उपलब्धि है कि हम अभिनव मानसिकता को हल करने वाली समस्या के इस सपने को पूरा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं जो सीएसआईआर और एआईएम के लिए महत्वपूर्ण है।

डॉ. शास्त्री ने कहा, “यह एक सीखने का अनुभव है कि कैसे विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में छात्र देश के भविष्य के वैज्ञानिक बनने की दिशा में बहुत ही आकर्षक तरीके से एटीएल में काम कर रहे हैं और निश्चित तौर पर इसके लिए देश को गर्व होना चाहिए।”

एचआरडीजी के प्रमुख डॉ. अंजन रे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सीएसाईआर के हर ज़ोन में सीएसाईआर प्रयोगशालाओं के साथ महत्वपूर्ण क्षमता है, जो देश में प्रादेशिक भाषाओं में जुड़ सकते हैं और स्थानीय दूत बन सकते हैं। माननीय प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुसार जिग्यासा 2.0 कार्यक्रम के अंतर्गत सीएसआईआर की वर्चुअल प्रयोगशाला पहल में एआईएम एक भागीदार बन सकता है। यह भागीदारी देश के युवाओं के लाभ के लिए एआईएम की नवाचार शक्ति और अनुसंधान और विकास क्षमता और सीएसआईआर की क्षमता का लाभ उठा सकती है।

एआईएम और सीएसआईआर दोनों इस नवीन साझेदारी के माध्यम से नई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

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