नई दिल्ली: मैसूर में सकारात्मक मामलों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है और 24 घंटे के अंदर सात मामले सामने आए हैं। यह आंकड़ा कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी की गई ताजा मीडिया बुलेटिन के अनुसार है। मैसूरु स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान- केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीएफटीआरआई) ने जिला प्रशासन को नमूनों की जांच के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराकर उनसे हाथ मिलाया है।
वर्तमान समय में, कोविड-19 संक्रमण को रियल टाइम पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) विधि नामक एक बहुत ही परिष्कृत और सामयिक तकनीक के माध्यम से पता लगाया जाता है। इस पीसीआर विधि में नमूनों से वायरस के आरएनए का निष्कर्षण करना और पीसीआर मशीन का उपयोग करके उसका प्रवर्धन करना शामिल है। इस पीसीआर परीक्षण का एक स्पष्ट फायदा यह है कि इसके द्वारा किसी व्यक्ति में वायरस का पता बहुत प्रारंभिक अवस्था में ही लगाया जा सकता है, अर्थात लक्षण सामने आते ही।
मैसूर जिले की पहचान उन चार हॉट स्पॉट जिलों में से एक के रूप में की गई है, जहां पर बड़ी संख्या में संदिग्ध संक्रमण पाए गए हैं। संदिग्ध व्यक्तियों के शरीर में वायरस की उपस्थिति की जांच की आवश्यकता, उनको क्वारंटाइन करने से पहले और उसके बाद में होती है, चाहे उनमें रोग के लक्षण दिखाई दें अथवा नहीं।
सीएसआईआर-सीएफटीआरआई द्वारा जिला प्रशासन को दो पीसीआर मशीनें और एक आरएनए निष्कर्षण इकाई को आवश्यक रसायनों के साथ प्रदान किया जा रहा है जिससे जिले में नमूनों का परीक्षण बड़ी संख्या में किया जा सके।
डॉ. केएसएमएस राघवराव, निदेशक, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई ने कहा कि “सटीक और विशुद्ध परीक्षण समय की आवश्यकता है। चूंकि परीक्षण बहुत ही परिष्कृत है और इसको भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा अनुमोदित चुनिंदा केंद्रों में किया जा रहा है, इसलिए हम इसमें क्षमता को बढ़ाकर सहायता प्रदान कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि उपकरण के साथ-साथ जिला प्रशासन द्वारा अपेक्षित समय के लिए दो कुशल टेकनीशियन भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
इन पीसीआर मशीनों को 5 अप्रैल 2020 को सौंप दिया गया। डॉ. अमरूथा कुमारी, नोडल अधिकारी, वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक्स लेबोरेटरी (वीआरडीएल) और प्रभारी, कोविड टेस्ट प्रयोगशाला, मैसूर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूरु द्वारा उपकरण प्राप्त किया गया। उन्होंने कहा कि इससे केंद्र को प्रति दिन किए जा रहे परीक्षणों की संख्या को तीन गुना करने में मदद मिलेगी। आरएनए निष्कर्षण इकाई एक सप्ताह में वहां पहुंच जाएगी।