पानी की कमी और दूषित जल जैसे दो बड़े खतरे हैं जिनसे हम आज भी लड़ रहे हैं। सीएसआईआर-सीएमईआरआई दुर्गापुर ने इस समस्या से निपटने के लिए लंबे समय से काम कर रहा है और मानव जाति के लाभ के लिए नवीन तकनीकों के साथ सामने आया है। यह प्रौद्योगिकी स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों पर आधारित है जिन्हें नए तरीके से विकसित किया गया है। दूषित जल की समस्या को दूर करने के लिए सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने हाई फ्लो रेट डी-फ्लोराइडेशन प्लांट की तकनीक को मैसर्स यूनिकेयर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, पुणे महाराष्ट्र को आज हस्तांतरित की है। इस दौरान सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर हरीश हिरानी और मैसर्स यूनिकेयर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, पुणे वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। ये संयत्र प्रति घंटे 10,000 लीटर और 5000 लीटर पानी से प्रति घंटे उच्च प्रवाह दर के हिसाब से आर्सेनिक हटाने की क्षमता रखते हैं।
इस मौके पर बोलते हुए प्रोफेसर (डॉ.) हिरानी ने कहा कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई कई तरह के पर्यावरण प्रदूषण खतरों से निपटने के लिए नवीन साधनों को विकसित करने की निरंतर प्रक्रिया में है, जिनमें से एक जल प्रदूषण भी है। उन्होंने दोहराया कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई लगातार पीने के पानी, खेती आदि के लिए जल की सतत पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सस्ती जल प्रौद्योगिकियों के विकास में लगा हुआ है।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक के अनुसार इन प्रौद्योगिकियों का औद्योगिकीकरण करने के लिए, संस्थान का दृष्टिकोण प्रौद्योगिकी को उद्योग में स्थानांतरित करना, युवाओं को कौशल प्रदान करना, स्थानीय संसाधनों को शामिल करना और सरकारी अधिकारियों के साथ ज्ञान साझा करना है ताकि मजबूत संबंध बनाए जाएं, जो कि राष्ट्र के आर्थिक मापदंडों को मजबूत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। सीएसआईआर-सीएमईआरआई की जल प्रौद्योगिकी से पहले ही देश भर में दस लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं। सीएसआईआर-सीएमईआरआई के उद्योग भागीदार अधिकतम राष्ट्रीय आउटरीच सुनिश्चित करने के लिए देश भर में फैले हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने पहले ही देश भर में 62 से अधिक जल प्रौद्योगिकियों को एमएसएमई को हस्तांतरित कर दिया है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने जल शोधन तकनीक और गुणवत्ता भी विकसित की। पिछले एक महीने के दौरान इस कार्यक्रम में सीकॉम स्किल्स यूनिवर्सिटी, शांतिनिकेतन, दुर्गापुर महिला कॉलेज, दुर्गापुर गवर्नमेंट कॉलेज, एनआईटी-दुर्गापुर, बर्दवान विश्वविद्यालय और विद्यासागर विश्वविद्यालय, सूरी, बी. बी. कॉलेज आनसोल आदि के छात्रों ने हिस्सा लिया। प्रोफेसर (डॉ.) हिरानी ने कहा कि पारिस्थितिक नवाचार युवाओं को पानी जैसे अत्यंत मूल्यवान संसाधनों का जिम्मेदारी के साथ उपयोग करने के प्रति जागरूक करेगा। संस्थान जनता को नवीनतम उपलब्ध समाधान प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचे की मरम्मत और प्रौद्योगिकियों के उन्नयन को विकसित करने में भी लगा हुआ है।