देहरादून: भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आई आई पी), देहरादून में 21 अगस्त, 2018 को “महत्वपूर्ण संस्थापनों की रक्षा और सुरक्षा” पर सीएसआईआर मिशन मोड परियोजना की एक शुरुआती बैठक आयोजित की गई। यह वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) की एक बहुत ही महत्वपूर्ण मिशन मोड परियोजना है जो कि भूकंप रक्षा, सीमा संस्थापनों की सुरक्षा और मानव जनित आपदाओं से निर्माणों की रक्षा के मूल्यांकन से संबंध रखती है। सीएसआईआर-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनजीआरआई) नोडल प्रयोगशाला है और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की; संरचनात्मक अभियांत्रिकी अनुसंधान केंद्र (एसईआरसी), चेन्नई; केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ), चंडीगढ़; केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीईईआरआई), पिलानी प्रतिभागी संस्थान हैं।
डॉ. वी.एम. तिवारी, निदेशक, एनजीआरआई, हैदराबाद ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और परियोजना का महत्व और उत्तराखंड क्षेत्र, जहां प्राकृतिक और मानव जनित आपदाएं गंभीर हैं, के लिए इसकी प्रासंगिकता के बारे में अवगत कराया। उन्होंने उल्लेख किया कि परियोजना के महत्वपूर्ण उद्देश्य 1. उत्तराखंड में भूकंप खतरे का परिमाणन और 2. हिमालयी क्षेत्र के पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन के शमन के लिए प्रभावी ढलान स्थिरीकरण उपायों का रूपांकन एवं विकास हैं। सीएसआईआर के मिशन निदेशालय के प्रधान डॉ. सुदीप कुमार ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में भवनों, अस्पतालों, पुलों और रक्षा संस्थापनों की रक्षा और सुरक्षा के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करने के लिए इस तरह की पहल के महत्व के बारे में उल्लेख किया। डॉ. आर.के. सिन्हा, निदेशक, सीएसआईओ, चंडीगढ़; डॉ. संतोष कपूरिया, निदेशक, एसईआरसी, चेन्नई; डॉ. एन.एन. गोपालकृष्णन, निदेशक, सीबीआरआई, रुड़की ने परियोजना के अपने-अपने कार्य घटकों पर प्रकाश डाला। डॉ. आर.के. सिन्हा, सीएसआईआर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, नई दिल्ली ने बैठक में भाग लिया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. डी. श्रीनगेश ने एफ टी टी एवं मिशन मोड परियोजनाओं के बारे में प्रस्तुति की है।
डॉ. पियूष रौतेला, कार्यपालक निदेशक, आपदा शमन और प्रबंधन केंद्र, देहरादून ने उत्तराखंड राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व हितधारक विभाग – आपदा प्रबंधन, भूजल, सीमा सुरक्षा बल,उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड आदि से पधारे अधिकारियों के साथ किया।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. रौतेला ने आपदा प्रबंधन और शमन कार्यक्रमों में उत्तराखंड सरकार के निरंतर प्रयासों के बारे में उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भूकंप खतरे का मूल्यांकन राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण गतिविधि है और उत्तराखंड राज्य के लिए ऐसी महत्वपूर्ण पहल करने के लिए सीएसआईआर की सराहना की है। डॉ. वी.एम. तिवारी, निदेशक, सीएसआईआर-एनजीआरआई ने डॉ. पियूष रौतेला को देहरादून शहर के लिए जोखिम सूचकांक मानचित्रों के विकास पर लक्षित त्वरित रूपांतरण (एफ टी टी) परियोजना रिपोर्ट सौंपी है।