नई दिल्ली: भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अपीलीय निकाय में न्यायाधीशों की नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति में जारी गतिरोध से जुड़े मुद्दों को सुलझाने की अपनी इच्छा दोहराई है। भारत ने इसके साथ ही विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों से डब्ल्यूटीओ के मौजूदा संकट को सुलझाने के लिए एकजुट होने का अनुरोध किया है। भारत सरकार के वाणिज्य विभाग में अपर सचिव श्री सुधांशु पांडे ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश कानून पर भारत सरकार के अधिकारियों के लिए व्यापार एवं निवेश कानून केन्द्र (सीटीआईएल) द्वारा आयोजित गहन प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
पैनल के सदस्यों में डब्ल्यूटीओ के तीन पूर्व उप-महानिदेशक श्री डेविड शार्क, प्रो. अनवारूल हुदा और डॉ. हर्षवर्धन सिंह के अलावा भारत के पूर्व वाणिज्य सचिव श्री राजीव खेर शामिल थे। विचार-विमर्श के दौरान सदस्यों की नियुक्ति/पुनर्नियुक्ति पर अपीलीय निकाय के संकट, डब्ल्यूटीओ के समझौता वार्ता कराने संबंधी कार्यकलाप को बेहतर करने और राष्ट्रीय सुरक्षा अपवाद के उपयोग के औचित्य से जुड़े मुद्दों पर फोकस किया गया। व्यापार एवं निवेश कानून केन्द्र के प्रमुख एवं प्रोफेसर डॉ. जेम्स जे.नेदुमपारा ने डब्ल्यूटीओ से जुड़ी चिंताओं का उल्लेख किया और इस प्रणाली को ‘कमजोर’ बताया। उन्होंने यह बात भी दोहराई कि मौजूदा विवादों से नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को अपूरणीय क्षति होने का खतरा है।
श्री डेविड शार्क ने यह बात रेखांकित की कि डब्ल्यूटीओ के अपीलीय निकाय के कार्यकलाप को लेकर अमेरिका द्वारा व्यक्त की गई चिंताएं नई नहीं है और पूर्ववर्ती प्रशासनों द्वारा भी इस आशय की चिंताएं जताई जाती रही हैं। उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा अपवाद पर विश्व व्यापार संगठन के अधिनिर्णय के भी कुछ संभावित खतरे हैं।
प्रो. अनवारूल हुदा ने ‘न्याय में देरी न्याय से वंचित होना है’ के बुनियादी सिद्धांत पर विशेष बल देते हुए अपीलीय निकाय को ‘अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली का मुख्य आधार’ बताया और इसके साथ ही उन्होंने डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों से इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए सक्रियतापूर्वक कदम उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने ‘आगे की राह के रूप में बहुपक्षीय दृष्टिकोण’ अपनाने की वकालत की। संबंधित परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे श्री राजीव खेर ने कहा कि विकासशील देशों के खिलाफ ‘गैर वाजिब एवं अपारदर्शिता से संबंधित दावों को डब्ल्यूटीओ के समानता एवं निष्पक्षता के सिद्धान्तों के सापेक्ष आंकना होगा।’
डब्ल्यूटीओ के पूर्व उप महानिदेश डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने वर्तमान चुनौतियों को विकट बताया और सदस्य देशों से एक-दूसरे से उलझने से पहले इसके सार और प्रक्रिया के बीच सावधानीपूर्वक चयन करने का अनुरोध किया।