देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं सवर्धन के लिये समेकित प्रयासों पर बल दिया है। प्रदेश की मिली जुली संस्कृति के संवर्धन की कार्ययोजना तैयार करने के साथ ही राज्य के ऐसे क्षेत्रों को भी चिन्हित किया जाय जो अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोये रखने के साथ ही उनकी विशिष्टता को बनाये रखे हुए है।
शनिवार को बीजापुर अतिथि गृह में संस्कृति, संवर्धन एवं मेला वर्गीकरण समिति की बैठक को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि सांस्कृतिक पलायन को रोकने तथा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिये मिल कर प्रयास करने होंगे। उन्होने गणतंत्र दिवस अथवा राज्य स्थापना दिवस के आस पास राज्य के विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञ लोक कलाकारों को सम्मानित करने के भी निर्देश दिये। 30 वर्ष से अधिक पुराने मेलो का चिन्हीकरण कर उनके लिये अलग से कार्यक्रम निर्धारित करने के भी उन्होने निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि संस्कृति संवर्धन समिति सभी जनपदों में बैठके आयोजित कर वहां की लोक संस्कृति व परम्परागत विधाओं का अध्ययन करे, लोक वाद्य यंत्रो के साथ ही वाद्य कलाकारों का भी संरक्षण सुनिश्चित हो, इसे उनकी आर्थिकी से जोड़ने के प्रयास हो तथा उन्हे राज्य संरक्षित कलाकार के रूप में पहचान दिलायी जाय। इस क्षेत्र में पुराने जानकार आज की पीढी को इनका ज्ञान दे, इसके लिये गुरू शिष्य परम्परा को बढ़ावा दिया जाय।
इस अवसर पर संस्कृति संवर्धन एवं मेला वर्गीकरण समिति के अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला ने कहा कि समिति द्वारा प्रदेश के विभिन्न अंचलो में होने वाले विभिन्न पारम्परिक पौराणिक धार्मिक एतिहासिक एवं व्यापरिक मेलों को उनकी महत्ता एवं गरिमा के अनुरूप आयोजित करने तथा इन मेलों से जुडी प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दृष्टि से इन्हे श्रेणीबद्ध किया जा रहा है। पूर्व विधायक एवं समिति के सदस्य करण मेहरा ने प्रदेश के कुछ एतिहासिक व पौराणिक क्षेत्रों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने व बद्रीकेदार व जागेश्वर महोत्सव जैसे कार्यक्रमों के आयोजन का सुझाव दिया।
इस अवसर पर समिति के सदस्य डा. यशवंत सिंह कटौच, महानिदेशक सूचना विनोद शर्मा,निदेशक संस्कृति बीना भट्ट आदि उपस्थित थे।