नई दिल्ली/देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सस्कृति, पयर्टन एवं नागरिक उड्डयन (स्वतंत्र प्रभार) राज्यमंत्री महेश शर्मा से भेंट की। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड नैसर्गिक सुन्दरता से परिपूर्ण पर्यटन प्रदेश है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 13वें वित्त आयोग की संस्तुतियों में राज्य की पर्यटन आधारित विशेष योजनाओं के लिए धनराशि स्वीकृत हुई थी,
जिसमे से 63 करोड़ रूपये की धनराशि अब तक अवमुक्त नहीं हो पायी है। मुख्यमंत्री ने टिहरी झील को प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 500 करोड़ रूपये तथा प्रमुख पर्यटक स्थलों को रोपवे के माध्यम से जोड़ने के लिए 500 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान किये जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत सरकार की ओर से वर्ष 2008-09 से वर्ष 2013-14 के अंतर्गत कुल 36 योजनाओं के लिए 287 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की गयी थी। इस स्वीकृति के बाद राज्य सरकार को दो किश्तों में अभी तक मात्र 135 करोड़ रूपये की राशि ही प्राप्त हो सकी है, जिसकी अवशेष 143 करोड़ रुपये की धनराशि मुख्यमंत्री नेे शीघ्र अवमुक्त किये जाने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पिछले वर्ष की योजनाओं के स्वरूप में परिवर्तन करते हुए ‘‘स्वदेष दर्षन’’ एवं ‘‘प्रसाद’’ योजना प्रारम्भ की गयी हैं, जिसके कारण गत वर्षो में स्वीकृत अपूर्ण योजनाआंे में अवशेष धनराशि अवमुक्त किये जाने की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं की गई है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने केन्द्रीय राज्यमंत्री को प्रदेश में नागरिक उड्डयन के संबंध में पत्र प्रेषित किया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पूर्व में भी केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री को प्रस्ताव दिया गया था। मुख्यमंत्री ने अपेक्षा की राज्यहित में नागरिक उड्डयन सेवाओं के विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण के संबंध में केन्द्र सरकार को प्रेषित प्रस्तावों पर शीघ्र ही निर्णय लिया जायेगा।
केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि उत्तराखण्ड द्वारा प्रेषित प्रस्तावों पर शीघ्र ही निर्णय लिया जायेगां
बैठक में अपर मुख्य सचिव उत्तराखण्ड राकेश शर्मा, स्थानिक आयुक्त एसडी शर्मा भी उपस्थित रहे।