नई दिल्ली: फ्रांस के इंवेस्टिगेटिव जरनल मीडियापार्ट ने दावा किया है कि उसके पास राफेल डील से जुड़े दसॉल्ट एवीएशन के कुछ अहम कागजात हैं। इनके मुताबिक राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट के लिए इस डील को करने के लिए रिलायंस को इसका ठेका देना जरूरी थी। एनडीटीवी के मुताबिक, ये मीडियापार्ट की रिपोर्ट कहती है कि कंपनी के सामने ये शर्त थी कि भारत को 36 राफेल बेचने के लिए उसे अनिल अंबानी की कंपनी को इसमें शामिल करना ही होगा।
रक्षामंत्री के फ्रांस दौरे के वक्त सामने आई रिपोर्ट
ये रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई हैं जब रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण फ्रांस जा रही हैं। उनके फ्रांस जाने को लेकर पहले ही राहुल गांधी सवाल उठा चुके हैं। राहुल गांधी ने कहा है कि पीएम के फैसले को न्यायसंगत बनाने के लिए रक्षा मंत्री आज रात फ्रांस के लिए जा रहीं है। कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल लगातार इस डील को लेकर सरकार को घेर रहे हैं और इसमें भारी गड़बड़ी की बात कह रहे हैं।
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति भी कह चुके कुछ ऐसी ही बात
हाल ही में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा था कि राफेल डील को लेकर भारत सरकार ने ही अनिल अंबानी की कंपनी का नाम सुझाया था, जिसके बाद दसॉल्ट कंपनी के पास कोई विकल्प ही नहीं बचा था। ओलांद ने कहा कि भारत सरकार ने अनिल अंबानी की कंपनी के अलावा किसी दूसरे का नाम ही नहीं दिया था। एक इंटरव्यू में ओलांद से जब पूछा गया कि रिलायंस को एक पार्टनर के रूप में चुनने के बारे में सुझाव किसने और क्यो दिया? ओलांद ने कहा, ‘यह भारत सरकार थी जिसने रिलायंस के नाम का प्रस्ताव दिया था और दसॉल्ट के पास कंपनी को देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।’
दसॉल्ट चेयरमैन का वीडियो भी आया सामने
इस मामले पर दसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन एरिक ट्रैपिए का 25 मार्च 2015 का एक वीडियो हाल में सामने आया था जिसमें वो कह रहे हैं कि लंबी बातचीत के बाद मैं बहुत संतुष्ट हूं कि भारतीय वायुसेना ने राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया है और हम एचएएल के साथ मिलकर इस विमान निर्माण की जिम्मेदारियों को निभाएंगे। मुझे खुशी है कि यह सब प्रस्ताव के प्रत्यावेदन की शर्तों के मुताबिक किया जा रहा है। यहां भारती वायुसेना प्रमुख और एचएएल के चेयरमैन दोनों ही मौजूद हैं। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही इस सौदे के लिए औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे।
source: oneindia