फिरोजाबाद: पढ़ी लिखी लड़की रोशनी घर की, इस नारे को गांव गाजीपुर की एमए की छात्रा ने चरितार्थ कर दिखाया। घर में शौचालय बनवाने
के लिए उसने पिता से जिद की। वे नहीं माने तो तीन दिन तक खाना नहीं खाया। आखिर में पिता को झुकना ही पड़ा। उसने लाडली के लिए खुद ही शौचालय बना डाला। अब यह प्रेरक कहानी भारत सरकार की जुबानी बनने जा रही है। एसआरके कॉलेज में एमए फाइनल की छात्रा वंदना शहर से सटे छोटे से गांव गाजीपुर में रहती है।
आसपास के गांवों में सरकारी अनुदान से शौचालय बनने की बात सुनी तो अपने भी घर में शौचालय बनवाने की अपील पिता से की। छात्रा के पिता प्रदीप चूड़ी कारखाने में श्रमिक हैं। कुछ तंगी के चलते उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। छात्रा ने पिता से फिर शौचालय निर्माण की बात कही। पिता तब भी नहीं माने तो वंदना से घर में ही भूख हड़ताल कर दी। तीन दिन खाना नहीं खाया। आखिरकार पिता माने तो तंगी सामने थी। इस पर उन्होंने आस-पड़ोस से शौचालय बनाने का तरीका पूछा और खुद ही शौचालय बना डाला।
वंदना ने पिता को शौचालय का महत्व बताया। पिता की आंखें खुलीं तो वह अब बेटी के साथ अपने साथियों को शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यह कहानी गांव में ही दबी रहती, गुरुवार को गांव में जब स्वच्छ भारत मिशन के परियोजना समन्वयक राजीव नयन गुप्ता पहुंचे तो उन्हें इस कार्य के बारे में जानकारी मिली। इस बेटी के काम को वह भारत सरकार तक पहुंचाने की तैयारी में हैं।
छात्रा वंदना के पिता ने कई बार शौचालय निर्माण को सरकारी कार्यालय में आवेदन करने की बात कही लेकिन बेटी ने समझाया कि शौचालय जैसी चीज के लिए हम सरकार की तरफ देखेंगे तो यह हमारे लिए डूब मरने जैसी बात है। सरकार ही सब कुछ देगी तो हम क्या करेंगे। बेटी के यह शब्द सुनकर पिता ने भी विचार बदला।
साभार हिन्दुस्तान