नई दिल्लीः शिपिंग मंत्रालय की स्थायी वित्त समिति ने कांडला स्थित दीनदयाल बंदरगाह पर उर्वरक कार्गो के लिए एक विशेष एवं पूर्ण एकीकृत संचालन सुविधा स्थापित करने हेतु एक परियोजना को मंजूरी दे दी है। यह सुविधा अथवा यूनिट बंदरगाह की बर्थ संख्या 4 पर विकसित की जाएगी, जिसका निर्माण लगभग 138 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। यह बंदरगाह अपने आंतरिक संसाधनों से परियोजना के लिए लगभग 340 करोड़ रुपये का और निवेश करेगा। आरंभ में प्रस्तावित सुविधा अथवा यूनिट 2.60 एमएमटीपीए का संचालन करेगी और बाद में यह मात्रा बढ़ाकर 4.50 एमएमटीपीए कर दी जाएगी।
प्रस्तावित परियोजना में बल्क उर्वरक कार्गो को जहाज से नीचे उतारने से लेकर उर्वरक की बोरियों को वैगनों पर चढ़ाने तक की समस्त गतिविधियां पूरी तरह से यंत्रीकृत होंगी। उर्वरक कार्गो को जहाजों से नीचे उतारने का काम मोबाइल हॉपर पर लगी मोबाइल हार्बर क्रेन का इस्तेमाल करके संपन्न किया जाएगा। टिपर सिस्टम युक्त कन्वेयर सिस्टम 38,500 वर्ग मीटर आकार के कार्गो भंडारण शेड में कार्गो का हस्तांतरण करेगा।
मौजूदा समय में दीनदयाल बंदरगाह पर उर्वरक कार्गो के संचालन में कई तरह की गतिविधियां पूरी करनी पड़ती हैं और इसके साथ ही कई एजेंसियों को इस काम में संलग्न होना पड़ता है। अत: यंत्रीकृत सुविधा से इसमें लगने वाला समय कम हो जाएगा और इसके साथ ही अंतिम उपयोगकर्ताओं तक कार्गो की त्वरित डिलीवरी सुनिश्चित हो जाएगी। यह लागत एवं त्वरित डिलीवरी की दृष्टि से किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। परियोजना के लिए निविदा प्रक्रिया प्रगति पर है। इस सुविधा या यूनिट के अक्टूबर 2020 तक चालू हो जाने की आशा है।