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रक्षामंत्री ने डेफकॉम-2015 का उदघाटन किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: रक्षामंत्री श्री मनोहर पर्रिकर ने विघटनकारी साइबर हमलों और तिकड़मों से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सूचना, संचार, प्रौद्योगिकी, इलेक्‍ट्रोनिक्‍स और भारतीय सेना के साइबर ढांचे यानी आर्इसीटीईसी की क्षमता को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है।

वह दो दिन तक चलने वाले डेफकॉम- 2015 के उदघाटन अवसर पर बोल रहे थे। श्री पर्रिकर ने कहा, हालांकि हम आर्इसीटीईसी का इस्‍तेमाल तथा सेना का और अधिक डिजिटलीकरण कर तरक्‍की कर रहे हैं, लेकिन खतरा दुश्‍मनों द्वारा व्‍यवधान डाले जाने का है। उन्‍होंने कहा, ‘मेरी चिंता सूचनाओं को ब्‍लैक आउट कर दिए जाने को लेकर है जिसके परिणामस्‍वरूप विघटनकारी तंत्र खड़ा हो सकता है।’ रक्षामंत्री ने कहा, भविष्‍य की लड़ाइयां साइबर युद्ध के रूप में लड़ी जाएंगी, लेकिन वह दृढ़ता से यह मानते हैं कि पारंपरिक सेनाओं को नहीं बदला जा सकता और इन्‍हें अच्‍छी तरह से निर्धारित, सुसज्जित और सुनियोजित योजनाबद्ध तरीके से लड़ने के लिए सूचनाएं उपलब्‍ध करा कर तैयार किया जाना चाहिए। भारत को बुद्धिमत्‍ता का स्रोत बताते हुए उन्‍होंने कहा, हम सॉफ्टवेयर विकसित करने के क्षेत्र में आगे रहे हैं और अब हमें अपने क्षेत्रों को बेहतर हार्डवेयर डिजाइन देने और एकीकृत करने की जरूरत है।

सिग्‍नल के ऑफिसर इन चीफ और कर्नल कमांडेंट कॉर्प्‍स लेफ्टिनेंट जनरल नितिन कोहली ने अपने भाषण में कहा कि भारतीय सेना केंद्रित होने की दिशा में आगे बढ़ रही है और बड़ी संख्‍या में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी परियोजनाओं को लागू कर रही है। इस अवसर पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी और सीआईआई के अध्‍यक्ष श्री किरण कार्णिक ने भी अपने विचार रखे।

डेफकॉम 2015 भारतीय सेना की सिग्‍नल कोर और सीआईआई द्वारा संयुक्‍त रूप से आयोजित किया जा रहा है।

इस समारोह में थल सेना अध्‍यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग, सेना के वरिष्‍ठ अधिकारियों, प्रतिष्ठित वक्‍ताओं, उद्योग क्षेत्र के दिग्‍गजों, शिक्षाविदों और अनुसंधान एवं विकास संगठनों ने भी हिस्‍सा लिया।

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