नई दिल्ली: रक्षा और अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हैदराबाद में डीआरडीओ और उद्योग के बीच समन्वय बैठक 2019 का आयोजन किया। अपने वीडियो संदेश में रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा प्रणालियों तथा टेक्नालॉजी के स्वदेशी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे समन्वय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ रक्षा प्रणाली विकास के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने प्रक्षेपास्त्र, लड़ाकू विमान, नौसना प्रणाली, इलेक्ट्रोनिक युद्ध, राडार, सोनार तथा शस्त्र प्रणाली के क्षेत्र में अनुसंधान, डिजाइन और विकास की दिशा में योगदान किया है। रक्षामंत्री ने कहा कि रक्षा उत्पादन की नीति के अन्तर्गत रक्षा मंत्रालय ने 2025 तक एयरोस्पेश, रक्षा सेवाओं और सामग्रियों के लिए 26 बिलियन डॉलर निर्धारित किया है। इसमें से लगभग 10 बिलियन डॉलर का उपयोग 20-30 लाख लोगों को रोजगार के अवसर सृजित करने में किया जाएगा।
रक्षा क्षेत्र में नवाचार और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने के सरकार के कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा नवाचार और उन्हें अपनाने में उत्कृष्टता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में 25 आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित उत्पादों को शामिल करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा इकाईयों, उद्योग, अनुसंधान संस्थानों और सेवाओं को एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
रक्षा मंत्री ने सराहना की कि डीआरडीओ ने 1800 से अधिक उद्योगों का पालन-पोषण किया है, जो एक साथ रक्षा प्रणालियों का उत्पादन कर रहे हैं।
रक्षा विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने टेक्नालॉजी के शून्य हस्तांतरण और विकास-सह-उत्पादन साझेदारों के लिए शून्य रायल्टी और घरेलू उद्योगों द्वारा डीआरडीओ के पेटेंट के निशुल्क उपयोग जैसी नवीनतम नीतियों की जानकारी दी। उन्होंने रक्षा उद्योग में विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि खाईयों को पाटने के लिए उद्योग और डीआरडीओ के बीच घनिष्ठ सक्रियता के लिए स्वस्थ माहौल बनाया जाना चाहिए।