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दिसंबर, 2022 के बाद दिल्ली की यमुना नदी में निश्चित रूप से जल की गुणवत्ता में सुधार महसूस होगाः श्री शेखावत

देश-विदेश

  केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 564 एमएलडी क्षमता के ओखला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। यमुना कार्य योजना-III के अंतर्गत इस ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा धन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री सबसे पहले आईटीओ स्थित छठ घाट गए और वहां से नाव से 12 किलोमीटर दूर ओखला वोट क्लब पहुंचे। फिर श्री शेखावत सड़क मार्ग से ओखला एसटीपी स्थल पहुंचे। गंगा की सफाई के लिए राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार भी निरीक्षण के दौरान उपस्थित थे। लागत साझा करने की व्यवस्था के अनुसार 85 प्रतिशत लागत का वहन नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत केन्द्र सरकार को और 15 प्रतिशत लागत वहन राज्य सरकार को करना है। ओखला एसटीपी परियोजना की कुल स्वीकृत लागत 665.78 करोड़ रुपये है।

श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि दिल्ली में स्थिति पर विचार करते हुए और दिसंबर, 2022 की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए एसटीपी कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि दिसंबर, 2022 के बाद दिल्ली की यमुना नदी में निश्चित रूप से जल की गुणवत्ता में सुधार महसूस किया जाएगा। ओखला एसटीपी एशिया में सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है। 564 एमएलडी के इस प्लांट के निर्माण के बाद यमुना नदी के जल की गुणवत्ता में काफी सुधार होगा। यह एकीकृत परियोजना है इसलिए इसके कार्य के दायरे में गाद प्रबंधन को भी शामिल किया गया है। इसके अनुसार पर्यावरण संबंधी विषयों को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक तरीके से गाद का उचित निपटान किया जाएगा।

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वर्तमान में दिल्ली में नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत 1268 एमएलडी गंदा जल शोधन के लिए कुल 11 परियोजनाएं 2009 करोड़ रुपये की लागत से एनएमसीजी द्वारा यमुना नदी संरक्षण के लिए शुरू की गई हैं। इन परियोनजाओं का उद्देश्य कोरोनोशन पिलर (कोरोनोशन पिलर एसटीपी पूर्ण) कोंडली-ओखला तथा रिठाला के जलग्रहण क्षेत्र में 1268 एमएलडी की कुल शोधन क्षमता का सृजन करना है। इन परियोजनाओं को दिसंबर, 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

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ओखला सीवेज ट्रीटमेंट परिसर में 6 अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र-फेज- I (136 एमएलडी), फेज- II (55 एमएलडी), फेज- III (205 एमएलडी), फेज- IV (168 एमएलडी), फेज- V (73 एमएलडी) तथा फेज- VI (136 एमएलडी) हैं। फेज- I II III और IV के संयंत्र 1993 से पहले बनाए गए थे। अब इन संयंत्रों की जीवन अवधि पूरी हो गई है इसलिए यह निर्णय लिया गया कि फेज- I II III और IV (136+55+205+168)=564 एमएलडी की संयुक्त क्षमता का नया एसटीपी कठोर प्रवाह मानकों के साथ बनाया जाए। इन मानकों में जैविक पोषक शामिल है। इसमें प्रवाह, एससीएडीए, बायोगैस से विद्यत उत्पादन तथा गाद प्रबंधन आदि की ऑनलाइन निगरानी का भी प्रावधान है।

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