केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) द्वारा आयोजित एक समारोह में 9 जून को उनके 306वें बलिदान दिवस से पहले ‘बाबा बंदा सिंह बहादुर शहीद स्मारक पोस्टर’ का विमोचन किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री तरुण विजय भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि बाबा बंदा सिंह बहादुर अवश्य बहुत साहसी रहे होंगे कि उस वक्त के प्रशासन द्वारा उनके बेटे की हत्या किए जाने के बावजूद उन्होंने खुद को शांत रखा। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म की रक्षा करने के लिए उनके बलिदान को निश्चित रूप से सर्वोच्च सम्मान के साथ देखा जाना चाहिए। केंद्रीय राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि महरौली में बाबा बंदा सिंह बहादुर के शहीद स्मारक को एएसआई के तहत राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की एनएमए की मांग प्रधानमंत्री के समक्ष ले जाई जाएगी और संस्कृति मंत्रालय इस मांग को पूरा करने के लिए हर संभव कार्य करेगा।
एनएमए के अध्यक्ष श्री तरुण विजय ने खुलासा किया कि उन्होंने तथा सदस्य श्री हेमराज कामदार (गुजरात) ने मेहरौली में महान सिख योद्धा बाबा बंदा सिंह बहादुर के शहीद स्मारक के बारे में जानकारी देने के लिए आज केंद्रीय पर्यटन तथा संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी से मुलाकात की। श्री जी. किशन रेड्डी ने इस कदम की सराहना की तथा मंत्रालय से सहायता का आश्वासन दिया।
बाबा बंदा सिंह बहादुर भारत की रक्षा करने तथा मुगलों को हराने वाले एक महान योद्धा थे। उनका मूल नाम बाबा माधव दास था तथा वह एक बैरागी साधु थे। बाबा बंदा सिंह बहादुर का उद्देश्य राष्ट्रीय जागृति फैलाना तथा मुगलों के उत्पीड़क शासन से देश को मुक्त कराना था। हालांकि भारत में स्वतंत्रता बहुत बाद में आई, लेकिन बाबा बंदा सिंह बहादुर ने ही पहली बार भारतीयों को लड़ना, जीतना तथा अपना स्वतंत्र शासन स्थापित करना सिखाया।
बाबा बंदा सिंह बहादुर तथा उनके पुत्र अजय सिंह 9 जून, 1716 ईस्वी को अपने अन्य 18 साथियों के साथ तथाकथित सूफी संत कुतुब-उद-दीन बख्तियार काकी की कब्र के रास्ते पर शहीद हो गए थे। कसाइयों ने सबसे पहले उनके पुत्र अजय सिंह को उनकी गोद में मार डाला। लेकिन बाबा बंदा सिंह बहादुर अडिग बने रहे तथा शांत स्थिति में बैठे रहे। उसके बाद बाबा बंदा सिंह बहादुर की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई। उनकी महान शहादत गुरु ग्रंथ साहिब में भगत कबीर के प्रतिसमर्पण की पृष्टि करती है।