देहरादून: श्रम विभाग के तहत बीओसीडब्ल्यू(बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स) के तहत पंजीकरण के अभियान को तेज किया जाए। इसके लिए 2 लाख पंजीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया जाए। पंजीकृत भवन व सन्निर्माण श्रमिकों को घरों में शौचालय निर्माण के लिए 20 हजार रूपए की सहायता दी जाए। श्रम विभाग, पंजीकृत महिला श्रमिकों को सेनेटरी नेपकीन उपलब्ध करवाए। बीजापुर हाउस में श्रम विभाग, ग्राम्य विकास व अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उक्त निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिए कि सेल्फ एफीडेविट के आधार पर मनरेगा श्रमिकों को भी पंजीकृत करते हुए लाभान्वित किया जाए। जो महिला स्वयं सहायता समूह लीज पर भूमि लेकर खेती, बागवानी करते हैं उन्हें 1 लाख रूपए का राज्य सरकार की ओर से अनुदान दिया जाए। महिला स्वयं सहायता समूहों को गतिशील करने के लिए अभियान चलाया जाए। जो महिलाएं अपने खेत में नर्सरी, चारा विकास, बागवानी का काम करती हैं, उन्हें भी मनरेगा के तहत लिया जाए। इंदिरा अम्मा कैंटीनों को एपीएल दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध करवाया जाएगा। पर्वतीय क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से संचालित इंदिरा अम्मा कैंटीनों को दी जाने वाली सब्सिडी में 2 रूपए प्रति थाली बढ़ोतरी की जाए। जिन नगर पालिकाओं, नगर परिषदों व अन्य नगर निकायों द्वारा इंदिरा अम्मा कैंटीन के लिए सुविधाएं विकसित की जाती हैं, उनमें आधी लागत का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाए।
बैठक में जानकारी दी गई कि पिछले एक वर्ष में श्रम विभाग के तहत भवन एवं सन्निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण में तेजी आई है। लगभग 1 लाख 25 हजार श्रमिकों का पंजीकरण हो चुका है। मनरेगा श्रमिकों व अल्मोड़ा के ओड़ श्रमिकों के पंजीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ की जा चुकी है। महिला स्वयं सहायता समूहों के पांच हजार रूपए से खाते खोलने की प्रक्रिया प्रारम्भ की जा चुकी है। इसके लिए 650 समूहों को चिन्हित किया जा चुका है। साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों को 20 हजार रूपए का अनुदान सीड केपिटल के तौर पर उपलब्ध करवाए जाने की स्वीकृति हो चुकी है। इसके लिए भी 350 समूहों को चिन्हित किया जा चुका है। महिला स्वयं सहायता समूहों को ऋणग्रस्तता से उबारने के लिए यह तय किया गया है कि जो महिला स्वयं सहायता समूह मूलधन चुकाते हैं या जिनका रिपेमेंट ठीक है, उनके ब्याजभार को वहन करने में राज्य सरकार सहभागी बनेगी। इस संबंध में बैंकों से भी सहमति बन चुकी है। श्रम विभाग के तहत राज्य में 15 कॉमन फेसिलिटी सेंटर स्थापित किए जाने हैं। एमएसएमई के तहत नाबार्ड के सहयोग से 4 ग्रामीण हाट स्थापित की जानी हैं। चमोली में एक हाट पूरी तरह से महिला उद्यमियों व महिला स्वयं सहायता समूहों को समर्पित होगी।