लखनऊ: देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हुए शहीद हुए तीनों सेनाओं व अर्द्धसैनिक बलों के सैनिकों के आश्रितों को राज्य सरकार ने नौकरी देने का फैसला किया है।
पिछले माह मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के साथ हुईं सिविल- मिलिट्री लाइजनिंग कमेटी की बैठक में सैन्य प्रशासन ने इस मुद्दे को उठाया गया था। सरकार ने सैन्य प्रशासन की मांग को स्वीकार करते हुए इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। आदेश के अनुसार एक अप्रैल 2017 के बाद शहीद होने वाले सैनिकों व अर्द्धसैनिक बलों के आश्रितों यह लाभ मिल सकेगा। प्रमुख सचिव मनोज सिंह की ओर से इस बारे में जारी आदेश में कहा गया है कि यह आदेश उत्तर प्रदेश के मूल निवासी शहीद सैनिकों के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति के संबंध में कार्यकारी आदेश है।
स्टाम्प शुल्क से भी राहत मिली:
राज्य में बीस लाख रुपये तक की सम्पत्ति खरीद पर प्रदेश के पूर्व सैनिकों को स्टाम्प शुल्क नहीं देना होगा। सिविल-मिलिट्री लाइजनिंग कमेटी की पिछले दिनों हुई बैठक के बाद राज्य सराकर की ओर से लिये गये इस फैसले में शहीद सैनिकों के आश्रितों को भी शामिल किया गया है। जीओसी मेजर जनरल प्रवेश पुरी के अनुसार सेना के तीनों अंगों के साथ ही अर्द्धसैनिक बल व केन्द्रीय सशस्त्र बल के शहीदों के आश्रितों को भी इसका लाभ प्राप्त होगा। राज्य सरकार अभी तक पूर्व सैनिकों को 200 मीटर प्लाट की खरीद पर स्टाम्प शुल्क से छूट देती थी, जिसमें राशि का जिक्र नहीं था। प्रमुख सचिव हिमांशु कुमार की ओर से जारी शासनादेश में किया गया है कि विकास प्राधिकरणों व आवास विकास की ओर से आवंटित होने वाली सम्पत्ति में भी पूर्व सैनिकों को बीस लाख रुपये तक की खरीद पर स्टाम्प शुल्क नहीं देना होगा।
ऐसे होगा वरीयताक्रम
शहीदों के आश्रितों को वरीयता क्रम में निम्नानुसार रखा गया है। प्रथम स्तर पर पत्नी/पति (जैसी स्थिति हो), इसके बाद पुत्र/ विधवा पुत्रवधू, इसके बाद अविवाहित पुत्रियां फिर कानून संगत दत्तक पुत्र/दत्तक पुत्रियां और अंत में पिता/माता। शहीद सैनिक के अविवाहित होने की स्थिति में वरीयता क्रम में पिता/माता, अविवाहित भाई, अविवाहित बहन उसके बाद विवाहित भाई शामिल हो सकेगा।