पौड़ी: चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की ओर आज यहां विकास भवन सभागार पंचायत प्रतिनिधियों के साथ आयोजित सुनवाई बैठक में जनप्रतिनिधियों ने
राज्य वित्त की धनराशि का आवंटन जनसंख्या के आधार पर नहीं बल्कि क्षेत्रफल के आधार पर किए जाने की मांग की। उन्हों पंचायतों में बजट की कटौती किए जाने पर भारी रोष जताते हुए कहा कि गांवों के विकास से ही पहाड़ों से पलायन रूक सकता है।
बैठक में ब्लाॅक प्रमुखों ने कहा कि उनके द्वारा जनता से किए गए वादे बजट के अभाव मंे पूरे नहीं हो पा रहे है। जिससे वे जनता की अपेक्षाओं के बीच खरे नहीं उतर पा रहे हैं। इस मौके पर ब्लाॅक प्रमुख थलीसैंण शिव सिंह गुसांई ने थलीसैंण क्षेत्र में जनसंख्या में बढोत्तरी होने के बावजूद भी बजट में भारी कटौती करना दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्हांेने कहा कि विधायक व सांसद निधि में तो लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है लेकिन पंचायतों के बजट मंे कटौती कर गांवों के विकास की अवहेलना की जा रही है। उन्होंने कहा कि विकास ग्रामसभा की प्रथम श्रेणी होती है। पूर्व ब्लाॅक प्रमुख खिर्सू सम्पत सिंह रावत ने राज्य वित्त में पंचायतों के लिए स्पेशल बजट का प्राविधान रखने की बात कही। ब्लाॅक प्रमुख दुगड्डा सुरेश असवाल ने क्षेत्र पंचायतों को पंचायतीराज व्यवस्था की रीड बताते हुए कहा कि क्षेत्र पंचायत के बजट में कटौती होने से क्षेत्र के विकास में प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ब्लाॅक प्रमुख खिर्सू सुषमा नेगी ने बजट कटौती पर नाराजगी व्यक्त करते हुए इस मंच के माध्यम से सरकार को सकारात्मक प्रस्ताव भेजे जाने की बात कही। बैठक में ब्लाॅक प्रमुख नैनीडांडा ने स्वजल के माध्यम से शौचालय निर्माण की धनराशि का भुगतान न होने की शिकायत की। ब्लाॅक प्रमुख बीरोंखाल कविता पोखरियाल ने कहा कि बिना बजट से विकास संभव नहीं है। कहा कि प्रमुख निधि के बारे में सिर्फ उन्होंने सुना ही है कभी देखा नहीं। उन्होंने कहा कि ब्लाॅक में कई पद खाली होने से शासकीय कार्य बाधित हो रहे हैं। जिसके लिए सभी को एकजुट होकर आवाज उठाने की जरूरत है। ब्लाॅक प्रमुख एकेश्वर सुधा नेगी ने कहा कि मनरेगा के तहत भुगतान न होने से लोगों में आक्रोश व्याप्त है। ब्लाॅक प्रमुख कोट सुनील लिंगवाल ने पंचायतों के विकास पर जोर देते हुए कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए बजट का आवंटन होना चाहिए। इस अवसर पर क्षेत्र पंचायत सदस्य यमकेश्वर सुधांशु ने सिलसारी गांव मंे पेयजल की भारी किल्लत बताते हुए कहा कि गांव में पेयजल व्यवस्था के लिए तक बजट उपलब्ध नहीं हो पाता। जिससे ग्रामीणों को भारी समस्या से जूझना पड़ रहा है, जबकि मनरेगा का बजट गधेरों मंे बह रहा है। बैठक में ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष जगपाल सिंह नेगी ने भी ग्राम पंचायतों के बजट में कटौती किए जाने का विरोध करते हुए जनसंख्या नहीं बल्कि क्षेत्रफल के आधार पर बजट आवण्टित किए जाने की मांग की। इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों ने प्रदेश के पंचायतीराज एक्ट लागू किए जाने की मांग की। बैठक में जनप्रतिनिधियों ने प्रमुखतः स्वजल के तहत शौचालय निर्माण, समाज कल्याण की ओर से दिए जाने वाले गौरादेवी कन्या धन योजना, वृद्धा, विकलांग समेत अन्य पेंशनों व छात्रवृत्तियों की धनराशि का भुगतान समय पर न होने की शिकायत भी प्रस्तुत की। जिस पर मुख्य विकास अधिकारी हरक सिंह रावत ने कहा कि समाज कल्याण, स्वजल आदि विभागों की समस्याओं के बारे मंे जनप्रतिनिधि सीधे उन्हें अवगत कराएं। जिनका निस्तारण किए जाने का प्रयास तत्काल किया जाएगा। उन्होंने आवण्टित बजट का उपयोग शत-प्रतिशत विकास कार्याें किए जाने की बात कही। कहा कि मनरेगा के तहत जल संरक्षण के कार्य भी प्राथमिकता से किए जाएंगे। उन्होंने सभी बीडीओ को गांवों में चारा विकास योजना के कार्यों को बढ़ावा दिए जाने के निर्देश दिए। सुनवाई बैठक में चतुर्थ वित्त आयोग के सदस्य सीएमएस बिष्ट ने सभी जनप्रतिनिधियों के विचार व सुझाव सुने और कहा कि आयोग पूरे प्रदेश में भ्रमण पर है। इस दौरान आठ जनपदों का भ्रमण किया जा चुका है और शेष चार जनपदों का भ्रमण किया जाना शेष है। उसके बाद भ्रमण के दौरान सभी शिकायतों व सुझावों का प्रस्ताव शासन के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इस मौके पर आयोग के सदस्य अविकल थपलियाल ने कहा कि ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायतें लोकतंत्र की रीड हैं और गांव-गांव तक का विकास किए जाने के प्रयास करना वित्त आयोग की मंशा है। बैठक में ब्लाॅक प्रमुख रिखणीखाल लक्ष्मी देवी, प्रमुख यमकेश्वर कृष्णा नेगी, प्रमुख द्वारीखाल छोटी देवी, प्रमुख पौड़ी संतोषी रावत, ज्येष्ठ उप प्रमुख पौड़ी हरदयाल पटवाल, क्षेत्र पंचायत सदस्य भरत सिंह रावत, जगमोहन सिंह रावत, ग्राम प्रधान जगदीश प्रसाद बडोली, दिनेश कुमार, उदय सिंह नेगी, देवकी नन्दन शाह, कलावती डोभाल, अर्जुन सिंह समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किए। बैठक में जिले के जनप्रतिनिधियों के साथ ही सभी खण्ड विकास अधिकारी व विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
दूसरे सत्र में चले चर्चा के दौरान चतुर्थ राज्य वित्त आयोग के सदस्य सीएमएस बिष्ट ने उरेड़ा, बाल विकास, समाज कल्याण, पंचायतराज, मनरेगा, स्वयं सहायता समूह की कार्यशैली की जानकारी विभागीय अधिकारियों से प्राप्त की। उन्होंने सोलर लाइटों की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकाधिक किए जाने, बाल विकास विभाग की टेकहोम राशन व्यवस्था, न्याय पंचायतों में ग्राम सचिवालयों का निर्माण, ग्राम पंचायतों के आय के स्रोत बढ़ाने तथा स्वयं सहायता समूहों को आपसी समन्वय बनाकर लोगों को अधिकाधिक सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की बात कही। उन्होंने मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों मंे चलायी जा रही विभिन्न विकासपरक योजनाओं में डपटेलिंग के माध्यम से अधिकाधिक विकास किए जाने पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने खण्ड विकास अधिकारियों से कहा कि वे एडीओ पंचायत एवं ग्राम विकास अधिकारियों के मध्य आपसी तालमेल के माध्यम से कार्यादेश देकर लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करें। उन्होंने बाल विकास के अंतर्गत कुपोषित बच्चों के चिन्हिकरण किए जाने की आवश्यकता जतायी। बैठक मंे सीडीओ हरक सिंह रावत व सभी खण्ड विकास अधिकारियों समेत संबन्धित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।