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कई स्वदेशी टीकों का विकास भारत की वैज्ञानिक क्षमता को दर्शाता है: डॉ मनसुख मंडाविया

देश-विदेश

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने आज यहां प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान (रणनीति और प्रतिस्पर्धा संस्थान के वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से संबद्ध) की दो रिपोर्ट जारी कीं।

’कोविड-19-इंडियाज वैक्सीन डेवलपमेंट स्टोरी’ और ’इंडियाज कोविड-19 वैक्सीनेशन एडमिनिस्ट्रेशन जर्नी’ शीर्षक वाली ये दोनों रिपोर्ट उन महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करती हैं, जिनका भारत के कोविड-19 वैक्सीन के विकास और टीकाकरण के प्रयासों की सफलता में योगदान है, जिसमें स्वदेशी टीकों का विनिर्माण, जबरदस्त और समयानुकूल प्रक्रियाएं और अनुमोदन के लिए प्रोटोकॉल, जो सुरक्षित तरीके से टीकाकरण को सुनिश्चित करता है, शामिल हैं। इन दोनों रिपार्ट में महत्वपूर्ण जानकारी और अनुभव संकलित किए गए हैं जो भविष्य में महामारी प्रबंधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी मसलों के लिए एक सीख के तौर पर काम कर सकते हैं।

इस अवसर पर डॉ मनसुख मंडाविया ने कहा, ’’दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के रूप में भारत द्वारा किए गए बड़े प्रयासों के इस परिशुद्ध दस्तावेज को जारी करते हुए मुझे खुशी हो रही है। कई स्वदेशी टीकों के विकास द्वारा प्रदर्शित भारत की वैज्ञानिक क्षमता, जिन्हें डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुमोदित किया गया है, एक मजबूत निगरानी नेटवर्क के माध्यम से संक्रमण के प्रसार का पता लगाने, परीक्षण करने, उपचार करने और उसे नियंत्रित करने की हमारी क्षमता, माननीय प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में हमारे स्वास्थ्य कर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं और नागरिकों द्वारा प्रदर्शित एकजुटता और राज्यों और अन्य मंत्रालयों के सहयोग से कोविड-19 टीकाकरण अभियान को सफल हुआ है।’’

भारत के 1.3 अरब लोगों में से अधिकांश, जो कोविड-19 टीकों के लिए पात्र थे उनको मुफ्त टीका मुहैया करवाना सुनिश्चित करतने और राज्य सरकारों के साथ मिलकर समान रूप से टीका का वितरण करने, टीके के प्रति लोगों की हिचकिचाहट जोकि देश के कुछ क्षेत्रों में देखा जा रहा था उसे दूर करने और वैक्सीन के प्रति लोगों में उत्सुकता पैदा करने के प्रभावी प्रबंधन में भारत सरकार के सामने आने वाली अहम चुनौतियों को रिपोर्ट में माना गया है। इनमें भारत जैसे देश के आकार और विविधता को देखते हुए व्यापक प्रयासों की भी सराहना की गई है। भारत के टीकाकरण कार्यक्रम का चरणबद्ध दृष्टिकोण, उन लोगों की आबादी को प्राथमिकता देना, जिन्हें स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, वरिष्ठ नागरिकों और रुग्णता वाले लोगों सहित सबसे बड़ी आवश्यकता थी, उनको इन रिपोर्ट में मिसाल के तौर पर प्रमुखता से पेश किया गया है।

रिपोर्ट टीकाकरण के दौरान प्रतिकूल घटनाओं के प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण और कौशल की दिशा में प्रयासों, विश्व स्तर पर सर्वोत्तम कार्यप्रणाली  के रूप में कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से टीकाकरण सत्र और प्रमाणन पोस्ट-टीकाकरण का डिजिटल शेड्यूलिंग जो अन्य देश भारत से सीख सकते हैं को चिन्हित करती हैं। सोशल डिस्टेसिंग अर्थात सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों और सभी हितधारकों और भागीदारों के प्रयासों को मान्यता दी गई है। दस्तावेजों में टीकाकरण सत्रों की गुणवत्ता, टीकाकरण प्रक्रिया के सुचारू प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित नियंत्रण कक्षों के माध्यम से शीत-श्रृंखला के बुनियादी ढांचे और लाॅजिस्टिक्स का प्रदर्शन, और वास्तविक समय की निगरानी और प्रतिक्रिया का भी अध्ययन किया गया है।

विज्ञान में भारत की सफलता की पुष्टि करते हुए, डॉ. माइकल ग्रीन, सीईओ, सोशल प्रोग्रेस इंपेरेटिव ने हर मोर्चे पर भारत की प्रतिक्रिया की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा, ’’टीका महामारी के खिलाफ सबसे प्रभावी उपाय है और निवारक गुण होने के कारण, इसने मानवता को सामान्य रूप से आशा और आश्वासन दिया है कि महामारी के प्रसार को काबू किया जा सकता है और मरीज ठीक हो सकते हैं। हालांकि विश्व स्तर पर फैली महामारी चलते पैदा हुई अभूतपूर्व आपदा ने सामान्य जिंदगी को तबाह कर दिया और इसके परिणामस्वरूप अनेक लोगों की जान चली गई, फिर भी दूसरी तरफ, इसने मानव में महामारी का मुकाबला करने के लिए पूर्ण लचीलापन के साथ दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति जगाई है। अपने नागरिकों द्वारा प्रदर्शित वैक्सीन निर्माण, वितरण और लचीलेपन से हर मोर्चे पर भारत की प्रतिक्रिया को देखना उत्साहजनक है।

महामारी के दौरान प्रौद्योगिकी द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के डॉ मार्क एस्पोसिटो ने कहा कि भारत ने इस तरह की विविधता के बावजूद, न केवल राष्ट्रीय संकट निपटने का का किया, बल्कि भविष्य में जन-स्वास्थ्य संबंधी संकट से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी का नये तरीके से इस्तेमाल करने के लिए दुनिया के लिए एक खाका तैयार किया है।

भारत की कुछ अनूठी पहलों का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा, ’’कोरोना संक्रमण के मामलों की रीयल-टाइम ट्रैकिंग और नियंत्रण के लिए ई-गवर्नेंस मोबाइल ऐप की शुरुआत, डब्ल्यूएचओ के वैश्विक मानकों के अनुरूप पीपीई किट का स्वदेशी निर्माण और टेस्टिंग स्वाब का स्थानीय तौर पर विनिर्माण महामारी की स्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार द्वारा एक जबरदस्त प्रयास थे। कोविन और आरोग्य सेतु जैसे मोबाइल ऐप को अपनाने से देश में नवाचार का माहौल बना है। इसने उत्पादकता बढ़ाकर और लाभार्थियों के लिए समय की बचत करके विश्वसनीय वादे की पेशकश की। इसने नागरिकों के लिए टीकाकरण नहीं होने की अनिश्चितता को भी समाप्त कर दिया है।’’

प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान के अध्यक्ष डॉ अमित कपूर ने टीके की झिझक को दूर करने के लिए भारत द्वारा अपनी संचार रणनीति में संस्कृति के साथ विज्ञान को मिलाने और एकजुटता बनाने की अनूठी विशेषता की सराहना की। उन्होंने कहा, ’’टीकाकरण  के दौरान जमीनी स्तर पर कार्यबल के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र और संचार और लोगों की लामबंदी की पहल के माध्यम से टीकाकरण की दिशा में व्यवहार में बदलाव लाने में प्रक्रिया की आखिरी कड़ी का टीकाकरण पहल की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान था। इसके अतिरिक्त, भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के लिए वितरण, लाॅजिस्टिक्स और परिचालन समन्वय के लिए एक रैपिड इम्यूनाइजेशन स्किल एन्हांसमेंट (आरआईएसई), ज्ञान और कौशल-निर्माण पैकेज विकसित किया गया था। इस प्रकार, एक व्यापक संचार रणनीति ने टीकों के संबंध में सूचना प्रवाह के प्रबंधन में हितधारकों का मार्गदर्शन किया।

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