लखनऊ: श्री जावीद अहमद, पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा प्रदेश के समस्त पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों को नववर्ष के अवसर पर शुभ कामना संदेश दिया गया है ।
भेजे गये संदेश में कहा गया है कि नववर्ष 2017 की आगमन-बेला पर आप सभी को यह संदेश लिखते हुए अपार हर्ष हो रहा है। यह एक ऐसा क्षण होता है, जहाँ हम आत्मचेतस होकर व्यतीत हो चुके वर्ष को आत्म-निरीक्षण की भावना से निहारते हैं तथा आगमन की दस्तक दे रहे नये वर्ष को नये संकल्पों, नयी सोच और नूतन प्रेरणाओं से अभिसिंचित करते हैं ।
नववर्ष की इस संधि-बेला में हमें स्वयं को अपने संागठनिक आदर्शों और संकल्पों की कसौटी पर रखकर एक तटस्थ दृष्टा की तरह विचार करना होगा। यह सही है कि बीता हुआ वर्ष अनुपम उपलब्धियों से भरा रहा है, तथापि यह भी सत्य है कि पुलिस में आन्तरिक कार्य-संस्कृति के निर्धारित आदर्शो की प्राप्ति अभी भी हम सभी का सामूहिक लक्ष्य है, जिसकी ओर हम सभी निरंतर यात्रारत हैं। कार्य-संस्कृति के इन उच्चादर्शों की प्राप्ति ही नववर्ष 2017 में हमारा अभीष्ट लक्ष्य होना चाहिये।
वर्ष 2016 में एक विभाग के तौर पर पुलिसजनों ने मिलकर उपलब्धियों के कई आयाम स्थापित किये हैं, जहाँ एक ओर पुलिस ने अपराध नियंत्रण तथा संवेदनशील अवसरों पर कानून-व्यवस्था बनाये रखने जैसे अपने पारम्परिक दायित्वों को बखूबी निभाया, वहीं दूसरी ओर यू0पी0 पुलिस ने कई क्षेत्रों में वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियों के अनूठे प्रतिमान निर्मित किये। इस दिशा में यू0पी0-100 योजना का उल्लेख करना आवश्यक प्रतीत होता है। यूपी-100 योजना पुलिस की कार्य पद्धति और उनकी जबावदेही के स्तर पर एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व संकल्पना है। जरूरत के किसी भी हालात में आम-जन मानस तक पुलिस सुरक्षा की पहुँच सुनिश्चित करना इस योजना का उद्देश्य है। पुलिस में यह योजना केवल आधुनिक टेक्नोलाॅजी का समावेश भर नही हैं, बल्कि इसके पीछे जन-सेवा और दायित्व-बोध का ऐसा दर्शन छुपा हुआ है, जिसे यदि ईमानदारी और मनोयोग से लागू किया गया तो, यह पुलिस की समग्र छवि को नये सिरे से परिभाषित कर देगा। आम जन-मानस के हृदय में पुलिस के नये मित्र-रूप का उदय इस योजना के माध्यम से सम्भव है। आशा है कि नये वर्ष में इस जनोन्मुखी योजना को सफल बनाकर पूरे देश के पुलिस संगठनों के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकेंगे। इसी के साथ-साथ उ0प्र0 पुलिस ने कुछ ऐसे जन-सरोकार आधारित उत्तर-दायित्वों को बखूबी निभाया है जिनसे उ0प्र0 पुलिस की छवि को नया कलेवर प्राप्त हुआ है। लैंगिक संवेदनशीलता की दृष्टि से महत्वपूर्ण 1090 योजना इसका अप्रतिम उदाहरण है। इस योजना के माध्यम से तकनीकी कौशल का समावेश करते हुये महिला-उत्पीड़न से सम्बन्धित शिकायतों का त्वरित निस्तारण सम्भव हुआ है। यह योजना पूरे देश में एक अनूठी परिकल्पना है। बाल तस्करी रोकने की दिशा में उ0प्र0 पुलिस ने ‘‘आॅपरेशन स्माईल’’ तथा ‘‘आॅपरेशन मुस्कान’’ चलाकर देश-देशान्तर में सराहना अर्जित की है। कानून व्यवस्था के स्तर पर त्यौहारों, मेलों तथा विभिन्न धार्मिक पद यात्राओं के कुशल प्रबन्धन से उ0प्र0 पुलिस ने अपनी पेशेवर योग्यता सिद्ध की है।
संगठित अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही के साथ-साथ नाभा जेल(पंजाब जेल) से फरार कराने वाला एवं एक उ0नि0 की हत्या के मुख्य आरोपी को जनपद शामली के थाना कैराना में नियुक्त 02 आरक्षियों ने अपनी सूझबूझ से कार्यवाही करते हुए गिरफ्तार किया, जिसकी भारत सरकार द्वारा भी मुक्तकंठ से भूरि-भूरि सराहना की गई।
बढ़ते हुए साईबर क्राईम के दृष्टिगत जनपद लखनऊ तथा गौतमबुद्धनगर में अत्याधुनिक तकनीक से युक्त साईबर थाना की स्थापना की गई। पूरे देश में पहली बार ई-एफ.आई.आर. की सुविधा प्रारम्भ की गई। आधुनिक जन जीवन में सोशल मीडिया के प्रयोग तथा उसकी पहुँच से सभी परिचित हैं। इस दिशा में भी उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जनपद स्तर पर ट्विटर ‘Twitter’ के माध्यम से जन-शिकायतों की सुनवाई की अभिनव परम्परा आरम्भ की गई ।
वर्ष 2016 उ0प्र0 पुलिस के इतिहास में अपने मानव संसाधनों के पुनर्नियोजन और पदोन्नतियों के कीर्तमान के लिये याद रखा जाऐगा। गत वर्ष में लगभग 14 हजार अराजपत्रित पुलिस कर्मियों को विभिन्न पदों पर पदोन्नत किया गया। पदोन्नति की इसी श्रंृखला में 03 उप निरीक्षक कई दशकों के बाद पदोन्नति पाकर अपर पुलिस अधीक्षक के पद तक पहुँचे हैं। इससे कर्तव्य-निष्ठ कर्मियों का मनोबल बढ़ा है। उ0प्र0 पुलिस में पहली बार लिपिकीय-संवर्ग में भी व्यापक रूप से पदोन्नति की गयी हैं। रिक्त पदों पर भर्तियां की गयी है तथा पुरानी विभागीय नियमावलियों को पुनः संशोधित करते हुये सरलीकृत किया गया है ।
इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष अराजपत्रित कर्मियों के कक्षा-10 एवं कक्षा-12 में उत्तीर्ण 100 मेधावी बच्चों का चयन कर प्रोत्साहन हेतु उनके उपयोग की कोई वस्तु(वर्ष 2016-17 हेतु लैपटाप) प्रदान किए जाने का निर्णय लिया गया है। पुलिस पर बढ़ते हुए कार्य के दबाव के दृष्टिगत पहली बार संस्थागत रुप से पुलिस कर्मियों को अनिवार्य रुप से साप्ताहिक अवकाश देने के नियम आरम्भ किये गये। आउट आॅफ टर्न प्रोन्नति की व्यवस्था समाप्त होने के बाद वीरोचित शौर्य का प्रदर्शन करने पर पुलिस कर्मियों को मा0 मुख्यमंत्री उ0प्र0 द्वारा वीरता का पदक तथा मा0 मुख्यमंत्री प्रशस्ति-पत्र प्रदान किये जाने की व्यवस्था प्रारम्भ की गई है। उ0प्र0 पुलिस में पहली बार शहीद हुए पुलिस कर्मियों को प्रदान की जाने वाली अनुग्रह राशि के साथ-साथ उनके माता-पिता को भी आर्थिक सहायता अलग से प्रदान किये जाने की भी व्यवस्था प्रारम्भ की गई ।
यह एक ऐसा क्षण है जहाँ अपनी उपलब्धियों के साथ-साथ न्यूनताओं तथा आत्म-दोषों को भी स्वीकार करना चाहिये। इस दिशा में आम-जन के स्तर पर पुलिस की छवि में सुधार अभी भी एक विचारणीय पहलू है। विशेष तौर पर पुलिस द्वारा जनता के साथ किये जाने वाले रोजमर्रा के व्यवहार के प्रति ध्यान देना आवश्यक है। आये दिन इलेक्ट्रानिक/प्रिन्ट मीडिया के द्वारा इस प्रकार की कई खबरें प्रकाशित की जाती हैं, जिनमें पुलिस को आम जनता के साथ दुव्र्यवहार करते हुये अथवा उन्हें पुलिस द्वारा प्रताड़ित करते हुए दिखाया जाता है। ऐसे दृश्य देखकर किसी भी संजीदा पुलिस कर्मी के लिये चिन्तित होना जायज है। पुलिस को थाना/बीट स्तर पर जनता के साथ अपने व्यवहार में परिवर्तन करने की आवश्यकता है। टेक्नोलाॅजी केवल एक माध्यम है, यह किसी समस्या का स्वयं में समाधान नहीं है। जब तक समाज के वंचित वर्गों, महिलाओं, वृद्ध नागरिकों, बच्चों तथा दुर्बल समुदायों के प्रति अपने पूर्वाग्रहों को नहीं बदलते, तब तक हमारी छवि में भी सुधार असंभव है। नूतन वर्ष पर पुलिसजन यह संकल्प लें कि नववर्ष की बेला में अपनी उपलब्धियों के साथ-साथ अपने उत्तरदायित्वों की परिधि को और विस्तृत करें ताकि उस परिधि में समाज के वंचित वर्गों और जरूरत-मंदो तक पुलिस की पहुँच सुनिश्चित हो सके। इस अवसर पर विभिन्न चुनौतीपूर्ण दायित्वों का निर्वहन करते हुए विगत वर्ष में अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले वीर जवानों का भावपूर्ण स्मरण करना आवश्यक है। हिन्दी के प्रख्यात कवि श्री हरिवंश राय बच्चन की एक कविता की पंक्ति -‘मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ।’ उक्त पंक्ति वस्तुतः पुलिस की कष्ट-साध्य जीवन शैली की याद दिलाती है। पुलिस का कार्य भी यथार्थ में ‘जग-जीवन का भार’ उठाना ही है। यदि यह भार सफलता पूर्वक उठा सके तो आम-जन के हृदय में बनने वाली नयी छवि आने वाले समय में नई ऊँचाईयों तक पहुँच सकेगी।
शीघ्र ही उ0प्र0 में विधान सभा चुनाव होना है। इस चुनाव में उत्तर प्रदेश पुलिस की कौशल, दक्षता और निष्पक्षता की परीक्षा होगी। आशा है कि अपने इतिहास का शानदार स्मरण रखते हुये उ0प्र0 पुलिस इस चुनौती का बखूबी सम्पादन करेगी।