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हारकर भी जीते धामी: भाजपा ने उत्तराखंड में क्यों नहीं बदला मुख्यमंत्री? जानिए पुष्कर धामी को चुनने के पांच कारण

उत्तराखंड

खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव हारने के बाद भी उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने रहेंगे। उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। इसी के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रहे सारे कयासों पर विराम लग गया। चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ने धामी पर ही भरोसा क्यों जताया? आइए जानते हैं पांच कारण

  1. विपरीत परिस्थितियों में भी दिलाया दो तिहाई बहुमत2017 में भाजपा ने 57 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था। तीन साल 357 दिन के बाद ही भाजपा ने त्रिवेंद्र रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया था। तीरथ का कार्यकाल भी महज 116 दिन ही रहा। चुनाव से ठीक पहले जुलाई 2021 में खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया। सात महीने में धामी द्वारा की गई मेहनत का फल भाजपा को 47 सीट पर जीत के रूप में मिला।
  2. सत्ताविरोधी लहर को खत्म कियाधामी के नेतृत्व में ही उत्तराखंड में भाजपा ने चुनाव लड़ा और दोबारा 47 सीटें पाकर सत्ता हासिल कर ली। छह महीने के अंदर दो बार मुख्यमंत्री बदलने से जनता में काफी रोष था। लेकिन धामी ने उसे अपने अंदाज में संभाल लिया। युवा नेता के तौर पर धामी ने सात महीने के अंदर खूब मेहनत की और एंटीइनकंबेंसी को दूर किया। जिसकी बदौलत भाजपा ने राज्य में हर चुनाव में सत्ता बदलने के मिथक को तोड़ दिया।
  3. . युवा चेहरा और जनता के बीच लोकप्रिय :पुष्कर सिंह धामी की उम्र 46 साल है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने पूरे उत्तराखंड में अपनी अलग पहचान बना ली। देवभूमि के युवाओं के बीच उनकी काफी लोकप्रियता बढ़ गई।
  4. . सीएम बनते ही बड़ी योजनाओं का एलान किया : चार जुलाई 2021 को पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी। इसके एक महीने बाद यानी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर धामी ने कई योजनाओं का ऐलान कर दिया। 10वीं-12वीं पास छात्रों को मुफ्त टैबलेट, खिलाड़ियों के लिए खेल नीति बनाने, जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने, पौड़ी और अल्मोड़ा को रेल लाइन से जोड़ने जैसी योजनाओं का ऐलान इसमें शामिल था। इसने आम लोगों के बीच धामी की लोकप्रियता को बढ़ाने का काम किया।
  5. पुराने और युवा नेताओं के बीच तालमेलमुख्यमंत्री बनने के बाद भी धामी ने उत्तराखंड भाजपा के पुराने और वरिष्ठ नेताओं का ख्याल रखा। बड़े-बड़े फैसले लेने से पहले उन्होंने तीरथ सिंह रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे पूर्व मुख्यमंत्रियों की सलाह ली। पार्टी और सरकार के बीच तालमेल बनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं से भी सुझाव मांगे। इससे उन्होंने वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच अच्छा तालमेल बना।

20 साल में बदले 10 मुख्यमंत्री
उत्तराखंड के 20 साल के इस सफर में प्रदेश को 11 मुख्यमंत्री मिले हैं। भाजपा ने सात मुख्यमंत्री दिए हैं, तो कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश को तीन मुख्यमंत्री दिए हैं। सबसे खास बात यह है कि सभी मुख्यमंत्रियों में से सिर्फ कांग्रेस के पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी ही अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाए थे।

सोर्स: यह Amar Ujala न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ श्रमजीवी जर्नलिस्ट टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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