केंद्रीय इस्पात और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक और केंद्रीय खान, कोयला और संसदीय मामलों के मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी के साथ बैठक की।
यह चर्चा ओडिशा में नीलाम हो चुकी लौह अयस्क खदानों के संचालन में आने वाली समस्याओं के निदान पर केंद्रित रही, जहां से अब तक उत्पादन और आपूर्ति नहीं शुरू हो पाई है। इन खदानों का पट्टा 31 मार्च, 2020 को समाप्त हो गया था, जिसके बाद नए सिरे से नीलामी की गई थी।
श्री प्रधान ने खान मंत्रालय द्वारा इस समस्या को जल्द से जल्द दूर किए जाने पर जोर दिया, ताकि अंतिम उपयोगकर्ता को बिना किसी बाधा के कच्चा माल मिलना सुनिश्चित हो सके। इससे लौह अयस्क दाम में कमी लाने में मदद मिल सकेगी, जिसमें बीते एक महीने में बाजार के विपरीत रुझानों, मुख्य रूप से ओडिशा में हाल ही में नीलाम हुई खदानों से लौह अयस्क की आपूर्ति में कमी के चलते काफी उछाल आया है। ओडिशा में जनवरी 2019 से नवंबर 2019 तक 123.8 एमटी लौह अयस्क का उत्पादन हुआ था, जो चालू वित्त वर्ष में इसी अवधि में केवल 98.2 एमटी की रहा। ओडिशा में हाल ही में नीलाम हुई 24 खदानों में से सिर्फ 5 खदानों में ही खनन और आपूर्ति का काम शुरू हो पाया है। यह देश में लौह अयस्क की आपूर्ति गिरने का मुख्य कारण है।
कच्चे माल भंडार के बड़े हिस्से और इस्पात उत्पादन की क्षमता की वजह से ओडिशा का भारतीय इस्पात उद्योग के लिए बहुत ज्यादा महत्व है। लौह अयस्क खदानों का जल्द संचालन शुरू होना न केवल इस्पात उद्योग के लिए कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और राज्य में आर्थिक गतिविधियों को तेज करने में मदद करेगा, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। यह मिशन पूर्वोदय के व्यापक दृष्टि के अनुरूप है, जिसकी कल्पना माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वी भारत के आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए की है।