नई दिल्लीः रेलवे बोर्ड ने खराब मौसम में लोकोमोटिव पायलटों की दृश्यता को बेहतर बनाने के लिए लोकोमोटिव पर त्रि-नेत्रा प्रणाली स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। त्रि-नेत्रा का अर्थ है – डीजल ड्राइवरों के इंफ्रा-रेड, बेहतर ऑप्टिकल एवं राडार समर्थित प्रणाली के लिए भू-भागीय छवि।
त्रि-नेत्रा प्रणाली उच्च रिजुलुशन ऑप्टिकल वीडियो कैमरा, उच्च संवेदनशील इंफ्रारेड वीडियो कैमरा से निर्मित होगी एवं इसके अतिरिक्त, एक राडार आधारित भू-भागीय मानचित्रण प्रणाली भी होगी।
प्रणाली के ये तीनों संघटक लोकोमोटिव पायलट के तीन नेत्रों (त्रि-नेत्रा) के रूप में कार्य करेंगे।
त्रि-नेत्रा की रूपरेखा की उप-प्रणालियों द्वारा कैद छवियों के संयोजन के द्वारा खराब मौसम के दौरान चल रहे लोकोमोटिव से आगे के भू-भाग को ‘देखने’ तथा एक समग्र वीडियो छवि का निर्माण करने के लिए बनाई गई है, जिसे लोको पायलट के सामने लगे कंप्यूटर मॉनीटर पर डिस्प्ले किया जाएगा।
कोहरे, भारी बारिश एवं रात के दौरान भी लोकोमोटिव पायलटों को पटरी पर फंसे वाहनों, जो पटरी या पेड़ों या बोल्डरों आदि के कारण पटरी पर गिर जाते हैं, जैसी किसी बाधा को देख पाने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। चल रही गाड़ी की तेज गति के कारण रेल गाड़ी के चालक को हमेशा ही रेल गाड़ी की गति को इस प्रकार समायोजित करना पड़ता है जिससे कि वह बाधा को देखने के बाद गाड़ी को रोक पाने में सक्षम हो सके। स्वच्छ मौसम या दिन के दौरान इस प्रकार की समस्या नहीं आती क्योंकि रेल गाड़ी चालक आगे की पटरी को साफ तौर पर देख सकता है। लेकिन निम्न दृश्यता में उसे गति को उपयुक्त तरीके से कम करना पड़ता है जिससे कि बगैर किसी बाधा से टकराए रेल गाड़ी को रोकने के लिए समय पर ब्रेक लगाया जा सके।
त्रि-नेत्रा प्रणाली इसीमे उपयोगी साबित होगी और निम्न दृयता स्थितियों में आगे की पटरी को साफ तरीके से देखने में लोकोमोटिव पायलट की मदद करेगी जिससे कि वह बिल्कुल सही समय पर ब्रेक लगा सके। इसके विपरीत वह निम्न दृश्यता में भी रेल गाड़ी की गति बढ़ा सकता है, अगर त्रि-नेत्रा प्रणाली से यह प्रदर्शित होता है कि आगे की पटरी पर कोई बाधा नहीं है। यह प्रणाली आगे के भू-भाग का मानचित्रण पर भी कर सकती है जिससे कि चालक यह जान सके कि वह किसी स्टेशन या सिगनल के पास पहुंच रहा है। त्रि-नेत्रा की संकल्पना रेलवे बोर्ड के मेम्बर मैकेनिकल के दिशा-निर्देश के तहत विकास प्रकोष्ट द्वारा लड़ाकू विमानों द्वारा बादलों में देख सकने तथा धुप्प अंधेरे में संचालन करने तथा नौ-सेना के जहाजों द्वारा अंधेरे में यात्रा कर सकने और समुद्र की सतह का मानचित्रण करने में प्रयुक्त प्रौद्योगिकी विकसित करने पर चर्चा के दौरान की गई थी। ऐसी ‘समर्थित दृश्यता’ प्रणाली वर्तमान में किसी भी उन्नत रेलवे प्रणाली में सहजता से उपलब्ध नहीं है, लेकिन विनिर्माता एवं प्रौद्योगिकी प्रतिभागी जो रक्षा के लिए ऐसी प्रणालियों के तत्व विकसित करते हैं, इस संकल्पना को लेकर बेहद उत्साहित हैं। लड़ाकू विमानों के लिए ऐसी प्रणालियां विकसित करने वाले विदेशी विशेषज्ञों में से एक ने कहा, ‘ऐसी प्रणालियों का उपयोग शांति काल के दौरान प्रयोगों में नहीं किया गया है और हम इस बात को लेकर बेहद उत्साहित हैं कि भारतीय रेल ने हमारे सामने एक चुनौती पेश की है।’
रेलवे बोर्ड द्वारा प्रकाशित इस इच्छा पत्र (ईओआई) को बहुत उत्साहवर्द्धक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अमेरिका, इजरायल, फिनलैंड एवं ऑस्ट्रिया से कई कंपनियों ने ऐसी प्रणाली विकसित करने में दिलचस्पी प्रकट की है।