नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक
में कार्ड और डिजिटल माध्यमों से भुगतान के प्रोत्साहन के लिए अपनाए जाने वाले तरीकों के शुरूआती चरण को लागू करने को मंजूरी मिल गई। इस कदम का उद्देश्य लेनदेन में नकदी के चलन को कम करना है। मंत्रालयों, विभागों और संगठनों द्वारा अपनाए जाने के लिए कुछ छोटी अवधि की ( जिन्हें एक साल के अंदर लागू करना है) और कुछ मध्यम अवधि के (जिन्हें 2 साल के भीतर लागू करना है) उपायों को मंजूरी दी गई है।
कार्ड और डिजिटल माध्यमों से भुगतान को प्रोत्साहन देना, कर परिहार, सरकारी भुगतान से पलायन और कैशलेस मोड के लिए संग्रह के पलायन को कम करने में सहायक होगा। नागरिकों के लिए कार्ड / डिजिटल साधनों के माध्यम से लेनदेन का संचालन करने के लिए वित्तीय भुगतान सेवाओं तक पहुँच उपलब्ध कराने और नकद में लेनदेन को हतोत्साहित करने, तथा गैर-नकद / कम नकद भुगतान प्रभुत्व के पारिस्थितिकी तंत्र के स्थानांतरण की तरफ प्रेरित करेगा।
कार्ड और डिजिटल साधनों के माध्यम से भुगतान को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तावों में दी जाने वाली आवश्यक सुविधाओं में कार्ड और डिजिटल भुगतान पर विभिन्न सरकारी विभागों संगठनों द्वारा लगाए जाने वाले सरचार्ज, सेवा शुल्क, सुविधा शुल्क को खत्म करना और सरकारी विभागों संगठनों में उपयुक्त स्वीकार्यता बुनियादी ढांचे को स्थापित करना, कार्ड लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) को युक्तिसंगत बनाना और कुछ महत्वपूर्ण लेनदेन क्षेत्रों के लिए एक विभेदित एमडीआर ढांचे को युक्तिसंगत बनाने, एक निर्धारित सीमा से परे भुगतान केवल कार्ड / डिजिटल मोड में अनिवार्य करना, कुछ कार्ड उत्पादों के हितधारकों द्वारा स्वीकृति के बुनियादी ढांचे से जुड़े सूत्रों की शुरूआत, डिजिटल वित्तीय लेन-देन के लिए दूरसंचार सेवा शुल्क को युक्तिसंगत बनाने, मोबाइल बैंकिग को प्रोत्साहन, और धोखाधड़ी वाले लेनदेन के त्वरित समाधान के लिए आवश्यक आश्वासन तंत्र के सृजन और देश में भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र की समीक्षा शामिल है।
पृष्ठभूमि:
कार्ड/डिजिटल भुगतान का बुनियादी ढांचा बढ़ रहा है, लेकिन नकद भुगतान की तुलना में ये बढ़त मामूली बनी हुई है। कार्ड और डिजिटल भुगतान को बढ़ाने के लिए जरूरी है कि वे प्रयोग करने में आसान हों, उपलब्ध हों और स्वीकार किए जाएं, मर्चेंट और उपयोगकर्ता पर कोई अनावश्यक वित्तीय बोझ न बढ़ाएं और सुरक्षा का उपयुक्त स्तर प्रदान करें।
यद्दपि कि इलेक्ट्रानिक अंतरण सेवा योजना, राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर, रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट योजनाओं जैसी भुगतान व्यवस्थाएं बढ़िया रही हैं फिर भी आधुनिक कार्ड या डिजिटल भुगतान व्यवस्थाओं का लाभ समाज के सभी तबकों तक पहुंचना और देश के सभी हिस्सों में इसे स्वीकार किया जाना अभी बाकी है। वर्तमान अनुभव और तथ्य बताते हैं कार्ड और डिजिटल भुगतान के उत्पाद अभी टियर-1 और टियर-2 शहरों तक सीमित हैं और मुख्य रूप से सामान्य बैंकिग सुविधाओं का लाभ उठा पाने वाले लोगों तक सीमित हैं।
भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 के आने से आधुनिक कार्ड और डिजिटल भुगतान को देश में गहराई से स्वीकार किया गया है तथा आधार सक्षम भुगतान प्रणाली से बायोमेट्रिक वैरिफिकेशन को बढ़ावा मिला है और एक घरेलू कार्ड की भी शुरूआत हुई है जिसका नाम है रूपे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी हाल ही में भुगतान बैंकों की स्थापना को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य भुगतान बैंकों द्वारा प्रवासी मजदूरों, कम आय वालों तथा छोटे व्यवसायों व अन्य असंगठित क्षेत्र के लोगों को छोटे बचत खातों और भुगतान सुविधा प्रदान कर वृहत्तर वित्तीय समावेशन करना है।