केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज उत्तर प्रदेश के जल शक्ति कैबिनेट मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह की वर्चुअल उपस्थिति में ‘जिला गंगा समितियों (डीजीसी) की कार्य निष्पादन निगरानी प्रणाली’ (जीडीपीएमएस) के लिए डिजिटल डैशबोर्ड का शुभारंभ किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री जी.अशोक कुमार भी उपस्थित थे। बैठक में गंगा बेसिन की 100 से अधिक जिला गंगा समितियों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
डैशबोर्ड की शुरूआत करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 4पी सिद्धांत- राजनीतिक इच्छाशक्ति, सार्वजनिक खर्च, साझेदारी और लोगों की भागीदारी के बारे में बात करके कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कई अवसरों पर नमामि गंगे को सफल बनाने में लोगों की भागीदारी के महत्व पर जोर दिया।
श्री शेखावत ने कहा कि सीवरेज प्रबंधन, घाट के विकास, जैव विविधता, वनीकरण, जल स्रोत कायाकल्प, दलदली संरक्षण और नेहरू युवा केन्द्र संगठन, गंगा प्रहरी आदि जैसे स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी प्रेरणादायी रही है। लेकिन, अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है और जो काम किया गया है उसे बनाए रखने के प्रयास भी किए जाने चाहिए।
केन्द्रीय मंत्री ने आगे कहा कि गंगा अविरल और निर्मल बनाने के लिए लोगों में स्वामित्व और कर्तव्य की भावना पैदा करने के लिए विभिन्न संगठनों के साथ साझेदारी में डीजीसी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करना डीजीसी की जिम्मेदारी है कि तैयार संपत्ति का ठीक से उपयोग हो रहा है और वह कार्य कर रही है, कोई भी अनुपचारित पानी/ ठोस कचरा गंगा में नहीं जा रहा है, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए वनीकरण, जैव विविधता का संरक्षण और दलदल भूमि की उचित निगरानी की जा रही है।”
श्री शेखावत ने कहा कि आज शुरू किया गया डिजिटल डैशबोर्ड लोगों और नदी के बीच संबंध स्थापित करने में डीजीसी की मदद करेगा। यह बताते हुए कि कुछ डीजीसी नियमित बैठक नहीं कर रहे हैं, उन्होंने जिलाधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि गंगा की सफाई एक प्राथमिकता बने और जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में गंगा नदी में सफाई सुनिश्चित की जाए।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा की सफाई का मतलब उसकी सभी सहायक नदियों की सफाई है और यह महत्वपूर्ण है कि जिला अधिकारी गंगा बेसिन में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत तैयार संपत्ति का स्वामित्व लें और उनका सुचारू संचालन सुनिश्चित करें।
मंत्री ने डीजीसी 4एम पर जोर दिया और कहा कि यह आवश्यक है कि मासिक बैठकें निर्धारित समय (हर महीने के दूसरे शुक्रवार) पर आयोजित की जाएं। उन्होंने मासिक बैठकों सहित विभिन्न मापदंडों के आधार पर डीजीसी की कार्य पद्धति के विश्लेषण के बारे में भी चर्चा की और प्रतिस्पर्धा पैदा करने के लिए अच्छा काम करने वालों को धन्यवाद दिया।
अर्थ गंगा की चर्चा करते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि स्थानीय लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए नदी के चारों ओर एक स्थायी आर्थिक मॉडल विकसित करने के उद्देश्य से गंगा के विश्व स्तर पर ज्ञात ब्रांड का उपयोग करना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना है। उन्होंने कहा, “पर्यटक सर्किट, योग, एकेएएम, वास्तुकला, जैव विविधता आदि जैसे आर्थिक कार्यों को गंगा नदी के किनारे विकसित किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “गंगा यात्रा एक और कार्य है जिस पर प्रधानमंत्री ने जोर दिया और मुझे खुशी है कि उत्तर राज्य प्रदेश ने यात्रा का संचालन किया।”
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नए जोश और दृष्टिकोण के साथ कार्य किया जा रहा है, जिससे लोगों के चेहरों पर मुस्कान आ रही है। उन्होंने नमामि गंगे के प्रयासों की सराहना की और कहा कि डीजीसी मां गंगा को साफ करने में मिली सफलता का उदाहरण हैं। उन्होंने आज डीजीसी डिजिटल डैशबोर्ड के शुभारंभ का हिस्सा बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इस तरह के कदम लोगों में एक अच्छा संदेश भेजते हैं।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री और उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री का स्वागत करते हुए एनएमसीजी के महानिदेशक ने अर्थ गंगा की अवधारणा की समीक्षा की, जिसमें गंगा नदी के आसपास एक स्थायी आर्थिक मॉडल के विकास की परिकल्पना की गई है और उसमें डीजीसी को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
जिला गंगा समिति फोरम (डीजीसी-4एम (मासिक, शासनादेश वाले, निरीक्षण के साथ और ब्यौरेवार) की बैठकों को शुरू करने के लिए नए प्रयोग की अवधारणा को समझाते हुए एनएमसीजी महानिदेशक ने जिलाधिकारियों से इसे अपने मासिक बैठक कार्यक्रम में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एजेंडा बैठकों के लिए तीन समूहों में तीन गुना हो सकता है – जिले में एनएमसीजी परियोजनाओं का शासनादेश एजेंडा ठोस और तरल कचरा लाने वाली नालियों की निगरानी, घाटों और श्मशान का कामकाज, प्राकृतिक/ जैविक खेती को बढ़ावा देना और दलदल भूमि का विकास आदि हो सकता है। राज्य और स्थानीय विशिष्ट एजेंडा रेत खनन, स्थानीय पूजा, डॉल्फ़िन का संरक्षण आदि जैसे जैव विविधता गतिविधि वाले मुद्दे और मौसमी एजेंडा जल संरक्षण अभियान हो सकते हैं जैसे मानसून के दौरान बारिश का पानी एकत्र करने का अभियान, स्वच्छता पखवाड़ा, वनीकरण अभियान, आजादी का अमृत महोत्सव आदि हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि डीजीसी डिजिटल डैशबोर्ड का शुभारंभ लोगों और नदी के बीच संबंध स्थापित करने में एक लंबा सफर तय करेगा और नमामि गंगे कार्यक्रम की सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के प्रबंधन और प्रदूषण उपशमन में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर एक तंत्र स्थापित करने के लिए गंगा नदी बेसिन पर जिलों में जिला गंगा समितियों का गठन किया गया था। डीजीसीको यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि नमामि गंगे के तहत बनाई गई संपत्ति का उचित उपयोग सुनिश्चित हो, गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में गिरने वाले नालों/ सीवेज की निगरानी हो औरगंगा की कायाकल्प के साथ उसका लोगों से मजबूत संबंध स्थापित हो।