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डिजिटल लेनदेन के माध्यम से गैर-किराया राजस्व को बढ़ाने और आसान टिकट प्रक्रिया को प्रोत्साहन देने की पहलों का शुभारंभ

Digital transactions through non-fare revenue enhancing initiatives launched to promote and easy ticket process
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नई दिल्ली: रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने आज डिजिटल लेनेदेने (आरक्षित और अनारक्षित यात्रियों के लिए) के माध्यम से गैर किराया राजस्व में वृद्धि के लिए नीति पहलों का शुभारंभ किया। इन पहलों में आउट ऑफ होम विज्ञापन, मांग पर सामग्री, रेलों की ब्रॉंडिंग, गैर किराया राजस्व नीति, एटीएम नीति और आसान टिकट प्रक्रिया को प्रोत्साहन देना शामिल है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर रेल नेटवर्क पर एक वृत्तचित्र फिल्म भी जारी की।

 इस अवसर पर, रेल राज्य मंत्री श्री राजेन गोहेन, रेल बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए. के. मित्तल, रेल बोर्ड के सदस्य ट्रैफिक, मोहम्मद जमशेद, आईआरसीटीसी के मुख्य प्रबंध निदेशक श्री ए. के. मनोचा के अलावा रेल बोर्ड के अन्य सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी भी रेल भवन में उपस्थित थे।

 इस अवसर पर अपने संबोधन में, रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल में गैर-किराया राजस्व वृद्धि के लिए बहुत से नए सृजनात्मक अभिनव विचारों और गैर किराया राजस्व में कई नीति पहलों को शामिल कर लिया गया है।

 रेल राज्य मंत्री श्री राजेन गोहेन ने कहा कि भारतीय रेल के गैर – किराया राजस्व प्रयासों से पर्याप्त मात्रा में राजस्व प्राप्त होगा। उऩ्होंने कहा कि नकदी रहित लेनदेन पहलों से और अधिक कुशलता लाई जाएगी।

 गैर – किराया राजस्व में वृद्धि के लिए बजट घोषणा के अनुसार रेल मंत्रालय ने गैर –  किराया राजस्व क्षेत्र में विभिन्न पहलों पर नई नीतियों की घोषणा की है। इन नीतियों के अंतर्गत रेलों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों जैसे सेतुओं और परिसंपत्तियों पर विज्ञापन से लेकर प्टेलफार्मों पर एटीएम को लगाने के अलावा यात्रियों के लिए डिजिटल सामग्री के मामलों की देखरेख की जाएगी।

 डिजिटल लेनदेन के माध्यम से टिकिट प्रक्रिया को आसान बनाने को प्रोत्साहन देने की भी कई पहलें की गई हैं। इनमें आईआरसीटीसी कनेक्ट एप के अलावा मोबाइल एप पर यूटीएस पर अतिरिक्त भुगतान विकल्प शामिल है। वर्तमान में सिर्फ आर-वॉलेट के माध्यम से ही भुगतान विकल्प हैं। निजी वॉलेट्स (पेटीएम और मोबिक्विक) के माध्यम से नकदी रहित भुगतान सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त भविष्य में और अधिक वॉलेट्स (जैसे एसबीआई बडी) को भी समाकलित किया जाएगा। भारतीय रेल अपनी रेलों के माध्यम से प्रतिदिन करीब 22.3 मिलियन आरक्षित और अनारक्षित (गैर उपनगरीय और उपनगरीय) यात्रियों को उनके गंतव्य पर पहुंचाती है। इन यात्रियों से प्राप्त होने वाला दैनिक राजस्व करीब 130 करोड़ रुपये है जिसमें से 80 करोड़ रुपये आरक्षित खंड से, 42 करोड़ रूपये गैर – उपनगरीय खंड से और 8 करोड़ रुपये उपनगरीय खंड से होते हैं।

 अप्रैल से नवम्बर, 2016 की अवधि के दौरान नकदी रहित आय का प्रतिशत आरक्षित वर्ग में 58 प्रतिशत था, गैर उपनगरीय में 7 प्रतिशत और उपनगरीय में 4 प्रतिशत था। भारतीय रेल में नकदी रहित भुगतान को प्रोत्साहन देने के क्रम में आईवीआरएस के माध्यम से आरक्षित और अनारक्षित दोनों ही मामलों में टिकटिंग और कार्डों के द्वारा भुगतान की सुविधा के लिए पवाइंट और सेल मशीनें (पीओएस), स्टेशनों पर टिकट वेंडिंग मशीनें, इंटरनेट और मोबाइल एप्लीकेशन को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ वॉलेट के माध्यम से अतिरिक्त नकदी रहित भुगतान विकल्पों की सुविधा प्रदान की जा रही है।

 9 जनवरी, 2017 तक करीब 2084 स्थलों पर 2967 पीओएस मशीनें प्रदान की जा चुकी हैं और इसके अलावा उपनगरीय स्टेशनों (483 स्टेशन) और ए1, ए और बी श्रेणी के स्टेशनों (709 स्टेशन) के सभी आरक्षण केंद्रों (3300) पर पीओएस मशीनें उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। महत्वपूर्ण गैर – उपनगरीय स्टेशनों को भी पीओएस मशीनें प्रदान की जायेंगी। इस प्रक्रिया के 31 मार्च, 2017 तक पूर्ण होने की आशा है। पीआरएस केंद्रों पर पीओएस मशीनों के माध्यम से कुल दैनिक आय का 3.5 से 4 प्रतिशत के करीब संग्रह होता है।

 आरक्षित वर्ग में नकदी रहित लेनदेन के प्रतिशत में वृद्धि दर्ज की गई है और यह वर्ष 2015-16 के औसत 58 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान में 68 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अनारक्षित वर्ग में भी वृद्धि दर्ज की गई है और यह 6.5 प्रतिशत से 8 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

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