आज यानी 16 मई देर शाम को चांद दिखाई दिया. कल यानी गुरुवार से रमजान शुरू हो जाएगा. इसका एलान पटना में इमारत-ए-शरिया की तरफ से किया गया. बता दें कि इस बार रमजान में 5 जुमे आएंगे. 5वां और आखिरी जुमा 15 जून को पड़ेगा. आखिरी जुमे को अलविदा जुमा भी कहा जाता है. आखिरी रमजान के अगले दिन ईद मनाई जाती है. रमजान के महीने को नेकी और इबादत का महीना भी कहा जाता है. रमजान के शुरुआती 10 दिन रहमतों का दौर माना जाता है. तो इससे अगले 10 दिनों तक माफी का दौर होता है. और आखिरी 10 दिनों को जहन्नुम से बचने का दौर कहा जाता है.
भारत में कई संस्कृतियों का मेल है, सभी संस्कृतियों की अपनी-अपनी मान्यताये हैं. लेकिन सभी का मकसद प्रेम और करूणा है. बस निभाने का तरीका अलग-अलग है. इसलिए भारत में कई त्योहार मनाये जाते हैं. रमजान का भी अपना महत्व है. रमजान के महीने में अल्ला ने अपने बंदे को कुरान-ए-शरीफ से नवाजा है.
रमजान की सबसे बड़ी इबादत रोजा रखना है. दूसरी सबसे बड़ी इबादत तराबी है, तराबी में कुरान की तिलावत होती है. इस्लाम में रमजान महीने में रोजे के बाद तराबी सबसे बड़ी इबादत है. रमजान पर रोजे रखना इसलिए फर्ज किया गया है, ताकि लोगों के गुनाह छूट जाएं. रोजा से इंसान और अल्ला से बीच की दूरी खत्म होती है. रोजा हमारे पूरे जिस्म का होता है, आंख, दिल, दिमाग, हाथ, पैर और मुंह का. दिमाग कुछ गलत नहीं सोच रहा, तो रोजा है. मुंह से कुछ गलत नहीं कह रहे हैं या निगल नहीं रहे हैं, तो रोजा है.
सहरी-सूरज से निकलने से डेढ़ घंटे पहले उठना होता है, और कुछ खाने के बाद ही रोजा शुरू होता है. शाम को सूरज डूबने के कुछ समय के अंतराल के बाद रोजा खोला जाता है. रात में तराबी की नमाज अदा की जाती है. रमजान में दान यानी जकात का बड़ा महत्व बताया गया है.
5 साल के छोटे बच्चे को रोजा रखने मनाही है. बुजुर्ग व्यक्तियों को रोजा में छूट मिलती है, अगर कोई बीमार है, तो रोजा खोल सकता है. गर्भवती महिला और दूध पिलाने वाली महिला को रोजा की मनाही होती है. live cities