नई दिल्ली: राजस्व गुप्तचर निदेशालय (डीआरआई) की दिल्ली जोनल इकाई ने सोने की तस्करी का एक बड़ा रैकेट पकड़ा है। इस रैकेट ने ढाई साल के दौरान 7000 किलोग्राम सोने की तस्करी की थी जिसकी कीमत 2000 करोड़ रुपये से अधिक थी। यह कदाचित भारत की अब तक की सबसे बड़ी सोने की तस्करी का मामला है।
यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब डीआरआई की दिल्ली जोनल इकाई ने एक सितंबर, 2016 और दो सितंबर, 2016 की रात में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के घरेलू कार्गो टर्मिनल पर 10 किलोग्राम सोना पकड़ा था। पकड़ी गयी सोने की छड़ें 24 कैरेट शुद्धता वाली थीं और भारत-म्यांमार जमीनी सीमा के जरिये भारत में तस्करी करके लायी गयी थीं। बाद में इन्हें गुवाहाटी से घरेलू उड़ान द्वारा दिल्ली लाया गया था। पकड़े गये सोने की बाजार कीमत लगभग 3.1 करोड़ रुपये है। डीआरआई वायुसेवाओं के कर्मचारियों और अन्य लोगों की लिप्तता की जांच कर रहा है।
यह रैकेट सोने की तस्करी के लिये नये तरीके से काम करता था, जिसके तहत तस्करी का माल 617 बार गुवाहाटी से दिल्ली लाया गया। इन्हें कीमती सामान बताकर एक विशेष हवाई सेवा की घरेलू उड़ानों के जरिये लाया जाता था ताकि कस्टम की नजरों से बचा जा सके। अब तक तस्कर रेलगाड़ी और बस के जरिये तस्करी का सोना देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाते थे।
दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से पहला अभियुक्त गुवाहाटी का एक व्यापारी है और दूसरा उसका दिल्ली का सहायक है। इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। गुवाहाटी का व्यापारी पहले भी सोने की तस्करी में लिप्त रहा है, और डीआरआई ने इसके द्वारा तस्करी किया हुआ नौ करोड़ रुपये की कीमत का 37 किलोग्राम सोना पकड़ा था। पूर्व में भी इस व्यापारी को 12 किलोग्राम सोने की तस्करी के आरोप में डीआरआई की गुवाहाटी इकाई ने फरवरी, 2015 में गिरफ्तार किया था। बाद में उसे जमानत पर छोड़ दिया गया था।
खुफिया जांच में पता चला है कि भारी मात्रा में विदेशी सोने की छड़ों को म्यांमार के जरिये भारत लाया जाता रहा है। इस सोने को मणिपुर के मोरेह से भारत में लाया जाता था जो भारत-म्यांमार सीमा से सटा इलाका है। इसी तरह मिजोरम के जोखावथार इलाके से भी सोने की तस्करी की जाती रही है। यह इलाका भी म्यांमार की सीमा से सटा है। खुफिया सूचना है कि सोने की तस्करी बेरोकटोक जारी है। भारत-म्यांमार सीमा पर सोने की तस्करी की रोकथाम बहुत चुनौतिपूर्ण काम है क्योंकि यह दुर्गम क्षेत्र है और सीमा खुली है।
बहरहाल, डीआरआई विदेशी सोने को पकड़ने में कामयाब रहा है। इस तरह का सोना म्यांमार से भारत लाया गया था। इस कार्रवाई के तहत डीआरआई ने सिलिगुड़ी में मार्च 2015 में 87 किलोग्राम सोना और कोलकाता में अगस्त 2016 को 58 किलोग्राम सोना पकड़ा था। डीआरआई कोलकाता ने 12 लोगों को गिरफ्तार भी किया था। एक दूसरे मामले में डीआरआई मुम्बई ने पांच अगस्त, 2016 को 12 किलोग्राम सोना पकड़ा था। जांच से पता चला है कि पिछले 18 महीनों के दौरान इसी गिरोह ने 700 किलोग्राम सोने की तस्करी की थी, जिसकी कीमत 200 करोड़ रुपये से अधिक थी। डीआरआई की कोलकाता क्षेत्रीय इकाई ने 11 सितंबर, 2016 को सिलीगुड़ी के निकट एक ट्रक से 7.5 लाख अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा पकड़ी थी, जिसकी कीमत पांच करोड़ रुपये थी। यह ट्रक मणिपुर जा रहा था। वहां से उस विदेशी मुद्रा को सोना खरीदने के लिये म्यांमार भेजा जाना था, और फिर म्यांमार मे खरीदे गये सोने को भारत में तस्करी द्वारा लाया जाना था। इसी तरह डीआरआई गुवाहाटी ने 13 सितंबर, 2016 को एक बोलेरो जीप से 27.5 किलोग्राम सोना पकड़ा था, जिसकी कीमत 8.56 करोड़ रुपये आंकी गयी थी। इस सोने को भी मोरेह सीमा के जरिये म्यांमार से तस्करी द्वारा लाया गया था।
वर्तमान वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई, 2016 के दौरान सीटीएच 7108 के तहत सोने के आयात में भारी गिरावट देखी गयी। इस दौरान 107 मीट्रिक टन सोना आयात किया गया, जिसकी कीमत 24000 करोड़ रुपये थी, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान 274 मीट्रिक टन सोने का आयात हुआ, जिसकी कीमत 60,700 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2015-16 में सोने का कुल आयात 855 मीट्रिक टन रहा, जिसकी कीमत लगभग 1,79,172 करोड़ रुपये थी।
निकट अतीत में डीआरआई को महत्वपूर्ण नतीजे मिले हैं। वर्तमान वित्त वर्ष में 18 सितंबर, 2016 तक डीआरआई ने लगभग 91 करोड़ रुपये मूल्य का सोना पकड़ा है।