देहरादून: राज्य सभा सांसद राजबब्बर ने हरिद्वार सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा दिये गये बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि डाॅ. निशंक एक विद्वान एवं साहित्यकार व्यक्ति है। उन्हें आपदा के पुराने जख्मों को कुरेदना नही चाहिए। उन्होंने कहा कि डाॅ. निशंक विद्वान एवं साहित्यकार व्यक्ति है, इसलिए उन्हें आपदा पर राजनीति करने के बजाय उत्तराखण्ड के विकास की राजनीति करनी चाहिए।
वे चुने हुए जनप्रतिनिधि है और उन्हें अपनी आवाज लोक सभा में राज्य के हक को दिलाने के लिए बुलंद करनी चाहिए। राज्य के हक और विकास के लिए अगर वे लोक सभा में अपनी आवाज बुलंद करते है, या केन्द्र सरकार से उत्तराखण्ड के हक की लड़ाई लड़ते है, तो उस लड़ाई में मैं उनके पीछे चलने को तैयार हूं। राज्यसभा सांसद ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्वतीय राज्य है, यहां की आर्थिकी पर्यटन पर आधारित है, ऐसे में यदि राजनीतिक पार्टियां आपदा व यात्रा को लेकर राजनीति करेंगे, तो उसका नुकसान राज्य की जनता को ही उठाना पड़ेगा। इसलिए उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों से अनुरोध किया है कि प्रदेश के विकास की राजनीति करे।
डाॅ. निशंक जब स्वयं मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने राज्यहित से जुड़े अनेक मसलों पर तत्कालीन केन्द्र सरकार पर दबाव डाला था। उनमें से अभी भी कुछ मुद्दे ऐसे है, जो केन्द्र सरकार के स्तर पर लंबित है। डाॅ. निशंक को चाहिए कि वह अपनी दक्षता और ऊर्जा का उपयोग केन्द्र के समक्ष राज्य के हित से जुड़े मुद्दों को उठाने में लगाये। ग्रीन बोनस की मांग अभी भी लंबित है, कुछ और न सही कम से कम अब केन्द्र में उनकी ही सरकार है, राज्य को ग्रीन बोनस के रूप में मिलने वाली राशि तो वह दिला ही सकते है। डाॅ. निशंक को अपनी इस मुहिम में अपने अन्य साथियों को भी साथ लेना चाहिए। उत्तराखण्ड की जनता ने उन्हें चुन कर लोक सभा में बड़ी आशाओं के साथ भेजा था कि राज्यहित में उनके सांसद उनकी समस्याआंे को उठायेंगे।