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बाल अपराध के शिकार बच्चों में समाज के प्रति पनपा अविश्वास और घृणा अत्यंत खतरनाक- कांग्रेस

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि 2012 में बच्चों को यौन हिंसा से बचाने के लिए मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाया गया पास्को एक्ट का लक्ष्य असुरक्षित बच्चों के हितों का संरक्षण करना तथा उनकी सुरक्षा व गरिमा को सुनिश्चित करना था। पिछले 9 सालों से बाल अपराध को रोक पाने में पूरी तरीके से आकर्मण्य और विफल केंद्र की मोदी सरकार ने 2019 में पाक्सो एक्ट में कुछ जरूरी संशोधन करते हुए जो बड़े-बड़े दावे किए थे, वह सभी दावे आज पूरी तरीके से हवा हवाई साबित हुए हैं। सच्चाई यह है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्डस ब्यूरो (एनसीआरबी) की वार्षिक रिपोर्ट ने देशभर में और उत्तर प्रदेश में अपराध की भयावह तस्वीर उजागर किया है। हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि हर दो घंटे में राज्य पुलिस में महिलाओं और बच्चियों के साथ रेप का एक मामला दर्ज किया जाता है,जबकि यूपी में हर 90 मिनट में एक बच्चे के साथ अपराध की रिपोर्ट है। वही उपलब्ध एनसीआरबी 2021 के आंकड़ों के  मुताबिक देशभर में बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी, जो आज 2023 में लगभग 18 प्रतिशत पार है।

कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों, अपराध की प्रवृत्ति, पुलिसिया रवैया और समाज की ऐसे मामलों को नजरअंदाज करने की भूमिका के चलते आज समूचे देश में बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं काफी तेजी से बढ़ती जा रही हैं। इसे सिर्फ कानून बनाकर रोक पाना संभव नहीं हैं। आज उसके लिए सरकारों को सामाजिक जागरूकता पैदा करने हेतु कार्यक्रमों और मजबूत रोडमैप बनाने की जरूरत है। आम नागरिकों व सामाजिक संगठनों को भी बाल हिंसा के खिलाफ आज जनआंदोलन खड़ा करने की जरूरत है।

कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने योगी सरकार से मांग किया कि प्रदेश सरकार को आज बढ़ते बाल अपराध को रोकने के लिए कारगर ज़मीनी कार्यक्रम प्रदेश भर के गांव और शहरों में ब्लॉक और वार्ड स्तर पर चलाने की जरूरत है। इसके अलावा सरकार को समाज में आय दिन होने वाले बाल अपराध के प्रति अपना कड़ा रुख अख्तियार करना चाहिए। उन्होंने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया कि ताजा मामला सिद्धार्थनगर जिले के पथरा थाना क्षेत्र एक गांव में दो नाबालिग बालकों से दरिंदगी का मामला सामने आया है। मुर्गी की दुकान में घुसने पर उसके मालिक और अन्य लोगों ने दरिंदगी की हदें पार कर दी। बच्चों को पेशाब पिलाया, फिर पेट्रोल का इंजेक्शन लगाया गुप्तांग में हरी मिर्ची डाल दिया। बच्चे चीखते चिल्लाते रहे। लेकिन दरिंदगी करने वालों को जरा सा भी दया नहीं आई। एक अन्य मामला फरवरी 2022 में यूपी में बच्चे के साथ दरिंदगी की हदें पार मामला सामने आया था, जिसमें चेहरा जलाया, कील से निकाली आंखे, बच्चे का शव देखकर, दिल दहल उठा।

कांग्रेस प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कितने मामलों को गिनाया जाए? सोशल मीडिया और मीडिया में आए दिन बच्चों के साथ दरिंदगी की हदें पार होती खबरों और वीडियो को समूचा देश देख रहा, फिर भी हमारी केंद्र और प्रदेश की सरकारें अपनी जिम्मेदारियों के प्रति बेपरवाह नजर आ रही हैं।केवल एफआईआर, अदालत और पुलिस द्वारा की जाने वाली खानापूर्ति करके बच्चों में आत्मविश्वास और सुरक्षा का भाव नहीं पैदा कर सकते है। दरिंदगी के शिकार लाखों बच्चें,जो दर्द भरे जीवन को जीने के लिए मजबूर हैं। मानसिक आघात के शिकार ऐसे बच्चों में समाज के प्रति पनपे हुए अविश्वास और घृणा को न हम खत्म कर सकते है, न ही हम उन बच्चों में बीजेपी  सरकार के ‘‘न्यू इण्डिया और विकास’’ जैसे फर्जी नारों के प्रति विश्वास पैदा कर सकते हैं?

कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि सच्चाई कड़वी है कि समूचे देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी हम अपने पीड़ित बच्चों को न्याय नहीं दिला पा रहे हैं। हालिया आंकड़ों से भी ज्यादा स्थितियां भयावह है। देश भर की अदालतों में बच्चों के प्रति हुए अपराधों में से ज्यादातर मामलों का लंबे समय से निराकरण नहीं हो रहा है। सरकारी लापरवाही, पुलिस की कमज़ोर जांच, पुलिस अधिकारियों की असंवेदनशीलता और भ्रष्टाचार के कारण पास्को एक्ट के मामलों में समय से चार्जशीट तक नहीं दायर हो रही है। सरकार को ऐसे मामलों को बहुत ही तत्परता और गंभीरता से निपटाना चाहिए।

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