लखनऊ: भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में प्रौद्योगिक एवं मशीनरी प्रदर्शन मेले का आयोजन किया गया। मेले का
उद्घाटन डा. सीताराम सिंह, पूर्व कुलपति, राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर (बिहार) ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डा. सिंह ने शोध संस्थानों द्वारा विकसित कृषि यन्त्रों एवं मशीनरी को किसानों तक शीघ्र ही पहुँचाने की आवश्यकता बताते हुए ऐसे आयोजनों को समय की जरूरत बताया। उन्होंने लघु एवं सीमान्त कृषकों के लिए सस्ते एवं प्रभावी यन्त्र बनाने पर जोर दिया। डा. सिंह ने कृषि के यांत्रिकीकरण के लाभ बताते हुए कहा कि इससे कृषि श्रमिकों की समस्या का समाधान हो जाता है, विभिन्न कृषि कार्य सुगमता से कम समय में सम्पन्न हो जाते हैं, बीज, उर्वरक एवं पानी की बचत होती है, अंकुरण बढि़या होता है तथा उत्पादकता भी अधिक मिलती है जिससे किसानों की आमदनी में भी वृद्धि होती है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में डा. अश्विनी दत्त पाठक, निदेशक, भा.कृ.अनु.प. भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने संस्थान द्वारा विकसित मशीनों के लाभ बताते हुए गन्ना कृषकों को इनके अधिकाधिक प्रयोग करके गन्ने की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने इस सन्दर्भ में राज्य सरकारों को भी इन कृषि यन्त्रों के लोकप्रिय करने में सहयोग का आह्वान किया। डा. पाठक ने बताया कि कृषि यन्त्रीकरण का यह कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा देश भर में कृषि यन्त्र एवं मशीनों तथा कटाई उपरान्त प्रौद्योगिकी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के विभिन्न केन्द्रों पर आज ही के दिन संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।
डा. अखिलेश कुमार सिंह, विभागाध्यक्ष, कृषि अभियन्त्रण विभाग ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कई सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के कारण गाँवों में कृषि मजदूरों की कमी की समस्या से निपटने के लिए कृषि यन्त्रीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए किसानों को कृषि यन्त्र तथा मशीनरी पर अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजनाओं के अन्तर्गत विकसित कृषि यन्त्रों एवं मशीनों की चर्चा की।
डा. एस.आई अनवर, प्रभारी, गुड़ इकाई ने गुड़ को सुक्रोज, ग्लूकोज, फ्रक्टोज, कैल्शियम, मैगनीशियम, फास्फोरस एवं लौह तत्व का प्रचुर स़्त्रोंत होने के कारण गुड़ को एक सम्पूर्ण खाद्य पदार्थ बताया। गर्मी में ठण्डक एवं सर्दी में गर्मी देने के विलक्षण गुण के साथ-साथ गुड़ के कई औषधीय उपयोग भी होते है। शहरों के लोगों में स्वास्थ्य के प्रति बढ़ रही जागरूकता के चलते शहरों में भी गुड़ की मांग बहुत बढ़ी है। देश में उत्पादित कुल गन्ने का अधिकांश भाग चीनी मिलों को जाने के बावजूद आज भी लगभग 20 प्रतिशत गन्ना गुड़ बनाने में प्रयोग किया जा रहा है। गुड़ बनाने के लिए संस्थान द्वारा विकसित तीन कड़ाहों वाली ऊर्जा-दक्ष भट्टी, गन्ने के रस की सफाई हेतु वानस्पतिक रस शोधकों का प्रयोग तथा मूल्य सम्वर्धित गुड़ आज देश भर में लोकप्रिय हो रहा है। डा. अनवर ने मेले में उपस्थित सभी लोगों को धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
मेले का आयोजन ”कृषि यन्त्र तथा मशीनरी” तथा ”कटाई-उपरान्त प्रौद्योगिकी” विषय पर दो अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजनाओं तथा भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया। इस मेले में भा.ग.अनु.सं. द्वारा विकसित गन्ना कृषि के यन्त्रीकरण हेतु विकसित कृषि यन्त्रों एवं मशीनरी तथा गुड़ उत्पादन प्रौद्योगिकी प्रदर्शित की गई तथा कई कृषि मशीनों का सजीव प्रक्षेत्र प्रदर्शन किया गया। उन्नत गुड़़ उत्पादन प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत तीन कड़ाहों वाली ऊर्जा-दक्ष भट्टियाँ, मोल्डिंग फ्रेम तथा भण्डारण बिन्स के सजीव प्रदर्शन किए गए। गहरी कूड़ों में बुवाई हेतु गन्ना बुवाई यन्त्र, नालियों में बुवाई हेतु ट्रैन्च प्लान्टर तथा गन्ना-सह-आलू बुवाई यन्त्र मेले का प्रमुख आकर्षण रहे। इस मेले में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए लगभग 650 कृषकों ने भाग लिया। मेले में प्रदर्शित मशीनों में किसानों ने भारी रूचि दर्शाई तथा संस्थान के भ्रमण को लाभकारी बताया।