देहरादून: न्यायालयों में लंबित विभिन्न प्रकरणों के निस्तारण के लिए विभागों और शासकीय अधिवक्ताओं के मध्य बेहतर समन्वय जरूरी है। इसके लिए सभी विभाग नोडल अधिकारी नामित करेंगे। दिल्ली और नैनीताल में न्याय विभाग का कार्यालय होगा। मुकदमों की प्रभावी पैरवी में उदासीनता बरतने वाले शासकीय अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। जिलाधिकारी बिना शासन से अनुमति लिए सीधे उच्च न्यायालय में प्रति शपथ पत्र दायर कर सकते हैं। ये निर्णय मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में गुरूवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में लिए गए।
समन्वय बैठक में मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि न्याय विभाग सभी मुकदमों का साफ्टवेयर तैयार करे। पूरा सिस्टम कम्प्यूटराइज करे। किसी भी प्रकरण का स्टेटस विभाग सीधे आनलाइन देख सके। शासकीय अधिवक्ताओं से सीधे सम्पर्क कर सके। विभागों के साथ-साथ न्याय विभाग भी मुकदमों की ट्रैकिंग करे। सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और एनजीटी में विचाराधीन प्रकरणों की प्रभावी पैरवी की जाए। बैठक में बताया गया कि न्याय विभाग सभी विभागों के विचाराधीन मामलों की एक सूची तैयार करेगा। इस सूची में प्रत्येक केस का वर्तमान स्टेटस होगा। अगली बैठक में केस के अनुसार समीक्षा की जायेगी। समीक्षा में यह भी देखा जायेगा कि लंबित प्रकरण की वजह क्या है।
बैठक में सचिव सिंचाई आनंद बर्धन, सचिव न्याय आलोक कुमार वर्मा, सचिव परिवहन सीएस नपलच्याल, सचिव शहरी विकास डीएस गब्र्याल, सचिव आवास आर0 मीनाक्षी सुंदरम सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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