लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह आज ग्राम पंचायत गंगोल, थाना परतापुर, जनपद मेरठ में तालाब जीर्णोद्धार कार्य पर श्रमदान कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को जन आंदोलन से जोड़ने वाला यह एक तरह का अनोखा प्रोग्राम है आजादी के बाद से हमने कई तरह के प्रोग्राम देखे हैं किंतु जल संरक्षण को जन आंदोलन से जोड़ने वाले इतने बड़े कार्यक्रम की पहले कभी कल्पना नहीं की गई थी। यह कल्पना स्वयं आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की है। 2 अक्टूबर, 2014 को माननीय प्रधानमंत्री जी ने जब अपने हाथों में स्वच्छता अभियान की झाड़ू उठाई तो बहुत लोगों ने मजाक बनाया था तथा इसे एक झूठे प्रचार का हिस्सा मात्र कहा था किंतु बाद में यह एक बड़ा जन आंदोलन बना।
श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि स्वच्छता से स्वास्थ्य विभाग का सीधा जुड़ाव है और अगर हमें अपने आप को तथा आस-पड़ोस के लोगों को स्वस्थ रखना है तो सफाई रखना आवश्यक होगा। उन्होंने मुजफ्फरनगर की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि उत्तर प्रदेश में भी पिछले 40 वर्षों से कुछ इसी तरह की परिस्थितियां विद्यमान थी परंतु जब श्री योगी जी की सरकार आई तब उन्होंने नगर विकास विभाग, शहरी विकास विभाग तथा अन्य विभागों को मिलाकर एक कार्ययोजना बनाई और उस पर व्यवस्थित तरीके से कार्य किया। परिणाम स्वरूप 2017 की तुलना में 2018 में बच्चों की मृत्यु में 80 प्रतिशत तक की गिरावट आई। इसी प्रकार जब हम व्यवस्थित तरीके से कार्य करके जल संरक्षण अभियान को एक जनांदोलन का रूप देंगे, तो निश्चित ही इस कार्ययोजना के अच्छे परिणाम सामने आएंगे। इसके लिए आम जनता का भी इसमें भाग लेना जरूरी है। श्री सिंह ने कहा कि यह कोई छोटा-मोटा अभियान नहीं है बल्कि पूरे देश में व्यापक पैमाने पर इस अभियान को चलाया जा रहा है तथा मोदी जी एवं योगी जी स्वयं इस अभियान में शिरकत कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मेरठ के 12 में से 5 ब्लॉक डार्क जोन बन चुके हैं जिसमें वाटर लेवल नीचे चला गया है। गांव के जितने भी छोटे-बड़े तलाब हैं उनका संरक्षण करना है, पानी को बचाना है तथा उनमें गंदगी नहीं होने देना है। यदि हम ऐसा करने में सफल रहे तो कुछ दिनों में वाटर लेवल बढ़ जाएगा जो कि पेयजल, खेतों तथा अन्य कामों के लिए हमारे दैनिक उपयोग में आएगा। श्री सिंह ने कहा कि वह तो एक तरह से सांकेतिक रूप में अभियान में हिस्सा लेकर श्रमदान कर रहे हैं किंतु उनके जाने के बाद जन आंदोलन के रूप में अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी सामूहिक रूप से जनता की भी है।
उन्होंने उपस्थित ग्रामीण जनता से आग्रह किया कि किसी अन्य व्यक्ति पर दोषारोपण करने के बजाय वे स्व-प्रेरणा से साफ- सफाई एवं जल संरक्षण से संबंधित कामों में अपने आप को आगे लाएं। श्री सिंह ने श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के द्वारा चलाए गए जन आंदोलन का उदाहरण देते हुए उपस्थित जनता को याद दिलाया कि जब अमेरिका ने पी एल-480 के तहत हमें उच्च कोटि का गेहूं देने से इनकार कर दिया था तथा केवल निम्न कोटि का गेहूं देने के लिए कहा था तब शास्त्री जी ने देश के लोगों से आग्रह किया था कि वे एक समय के खाने का त्याग करें बजाय निम्न कोटि का गेहूं स्वीकार करने के और उसे एक जनआंदोलन बनाते हुए पूरे देश की जनता ने भी उसमें सहभागिता की और आज इस घटना के लगभग 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं किंतु अब तक हमें इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है।
श्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने जनमानस को सचेत करते हुए कहा कि आने वाले समय में पूरे विश्व में जल संकट की समस्या आने वाली है किंतु यदि देश की 130 करोड़ की जनता जल संरक्षण के इस अभियान में शास्त्री जी द्वारा चलाए गए जनआंदोलन की भांति हिस्सा लेगी तो इससे हम आसानी से निपट सकते हैं और ऐसा होने पर हमें एक-एक बाल्टी पानी के लिए आपस में लड़ाई नहीं करनी पड़ेगी तथा पेयजल समेत अन्य दैनिक कार्यों के लिए पानी की उपलब्धता भी सुलभ रहेगी।