बलरामपुर: मजबूत इरादों से खिलाड़ी शब्द को यथार्थ करने वाले दिव्यांग हर्षवर्धन मणि दीक्षित देश को मेडल दिलाने के लिए चुनौतियों को मात देते आगे बढ़ रहे हैं। हाल ही में विशाखापत्तनम में भी राष्ट्रीय पैराबोसिया चैंपियनशिप में देश के लिए दो स्वर्ण पदक हासिल किए। साथ ही पांच अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को पराजित कर नया कीर्तिमान स्थापित किया। स्पाइनल कार्ड इंजरी को 12 साल बीत गए, लेकिन उनका जोश व जज्बा अभी भी बरकरार है।
पैरा स्पोर्ट्स वेलफेयर सोसयटी इंडिया की तरफ से पांचवीं बोसिया नेशनल चैंपियनशिप का आयोजन विशाखापत्तनम स्थित गौतम विश्वविद्यालय में हुआ था। बकौल हर्षवर्धन इस चैंपियनशिप में दिव्यांग खिलाड़ियों की बीसी-1, बीसी-2, बीसी-3 व बीसी-4 श्रेणी में खिलाड़ियों ने भाग लिया। उप्र की ओर से हर्षवर्धन मणि दीक्षित ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश के सूर्या बरपू सुब्बाराव ने रजत, कर्नाटक की अन्नपूर्णा ने तीसरा व गुजरात के रिफान ने चौथा स्थान हासिल किया।
विश्व रिकार्ड बनाने की तैयारी :
हर्षवर्धन ने बताया कि भले ही दिव्यांगता के कारण वे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते, लेकिन ओलंपिक में तिरंगा लहराने की चाह उत्साहित करती है। बताया कि 30 मई 2009 को जिम्नास्टिक की प्रैक्टिस करते समय वे सर्वाइकल से पीड़ित हो गए थे। दिल्ली में आपरेशन के बाद चार साल तक इलाज कराकर व्हीलचेयर पर बैठने लायक हुआ। अब वर्ल्ड पैराबोसिया गेम्स में विश्व रिकार्ड बनाने के लिए डिस्कस थ्रो एवं क्लब थ्रो की प्रैक्टिस में जुटे हैं।
यूपी को दिलाए 13 पदक :
हर्षवर्धन ने जालंधर में आयोजित पांच किलोमीटर व्हीलचेयर मैराथन व क्लब थ्रो गेम्स में उप्र की टीम का प्रतिनिधित्व कर रजत पदक हासिल किया था। इससे पूर्व उप्र पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के डिस्कस थ्रो में दूसरा स्थान हासिल कर जिले का नाम रोशन किया है। अब तक यूपी के लिए 13 पदक हासिल कर चुके हैं।