नई दिल्ली: केन्द्रीय आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप पुरी ने इस बात पर बल दिया है कि भारत के स्मार्ट नगरों में समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए योजना निर्माण के दौरान दिव्यांग अनुकूल उपायों को एकीकृत करने की आवश्यकता है। परियोजना निर्माण के प्रारंभिक दौर में ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नगरों का विकास दिव्यांग अनुकूल हो। वे आज यहां ‘दिव्यांग अनुकूल उपाय और भारत के स्मार्ट नगरों के लिए नीतिगत अनुशंसाएं’ कार्यक्रम के परिचर्चा सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अमृत योजना के तहत स्मार्टसिटी मिशन भारतीय नगरों को समाज के कमजोर वर्गों के आसानी से रहने लायक बनाना चाहता है। राष्ट्रीय शहरी मामले संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में दिव्यांगजनों, विख्यात नागरिकों व विशेषज्ञों तथा अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री पुरी ने कहा कि हितधारकों के साथ परिचर्चा के आधार पर प्राप्त सुझावों को स्मार्ट नगरों के सीईओ व परियोजना निदेशकों को भेजा जाएगा, ताकि वे इन सुझावों को अपनी योजनाओं में शामिल कर सकें। श्री पुरी ने कहा कि दिव्यांगता के संबंध में आंकड़ों की कमी है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगता अधिनियम 1995 कहता है कि दिव्यांगजनों को भी आवागमन की सुविधा मिलनी चाहिए। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 40-48 के अनुसार सभी भवन सेवाओं व उत्पादों को निश्चित समयसीमा के अंतर्गत दिव्यांग अनुकूल बनाया जाना चाहिए। मंत्री महोदय ने कहा कि हम आबादी के 25 प्रतिशत हिस्से की ओर देख रहे हैं, जिन्हें स्वतंत्र व सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करने के लिए सार्वभौमिक सुगम्यता की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि मानक निश्चित हैं, कानून बनाए जा चुके हैं। इसलिए ऐसा कोई कारण नहीं है कि हम सुगम्यता के मुद्दे को नजरअंदाज करें।