नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के रूप में प्रख्यात इस अवसर पर मुझे आप के बीच उपस्थित होने पर अत्यंत आनंद का अनुभव हो रहा है।
- नि:स्वार्थ भाव से दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण में योगदान और पहचान देने वाले व्यक्तियों और संगठनों को इन पुरस्कारों को प्रदान करने में मुझे अपार खुशी का अनुभव हो रहा है। मैं उनकी प्रतिबद्धता और उनके अमूल्य कार्य के लिए उन्हें बधाई और धन्यवाद देता हूं ।
- मैं विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा के महत्व पर बल दूँगा। इसमें बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। मुझे प्रसन्नता है कि भारत सरकार प्रासंगिक शैक्षिक प्रौद्योगिकी तक पहुंच की सुविधा और उचित प्रारूप में छात्रवृत्तियां प्रदान करती है, प्रभावी शिक्षण-अधिगम की स्थिति उत्पन्न करती है और अध्ययन सामग्री का निर्माण करती है। मुझे प्रसन्नता है कि बराबर ध्यान देने के लिए शिक्षकों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए उनके प्रशिक्षण के तरीकों को अद्यतन किया जा रही है।
- सार्वजनिक भवनों और सार्वजनिक परिवहन में पहुंच को बाधा मुक्त बनाने की दिशा में पिछले वर्ष प्रारंभ किये गये “सुगम्य भारत” अभियान को मैं एक अच्छा कदम मानता हूँ। 50 शहरों की इस अभियान के लिए पहचान की गई है और इन नगरों में एक हजार से अधिक भवनों को नई सुगम्य प्रणाली के लिए पूर्व-आवेदन करना होगा। इसी तरह से, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ने दिव्यांगों के दैनिक जीवन में सुधार लाने के लिए कई मायनों में योगदान दिया है। सरकार के इन प्रयासों में उन्हें सहायता और उपकरणों का वितरण करना शामिल है। इस तरह की पहल से न केवल लाभार्थियों को प्रोत्साहित करने और बल्कि उनके मनोबल को मजबूत बनाने के साथ-साथ एक सकारात्मक जागरूकता भी उत्पन्न होती हैं।
- मैं मानता हूँ कि पिछले ढाई वर्षों में, 5.8 लाख दिव्यांगों को 350 करोड़ रुपये मूल्य के उपकरणों का वितरण लाभ मिला है। सरकार ने 140 से अधिक अस्पतालों में लगभग पांच सौ प्रत्यारोपण शल्य चिकित्साएं वित्त पोषित हैं। राष्ट्रीय विकलांग वित्त विकास निगम ने भी रोजगार और कौशल विकास के लिए ऋण के रूप में 300 करोड़ रुपये जारी किये हैं इससे 78,000 प्राप्तकर्ताओं को लाभ मिला है। सरकार ने 6 नई ब्रेल प्रेस की स्थापना की है। देश में आदेश में एक आम भाषा और देश में बधिरों के लिए समान भाषा और संचार को विकसित करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने भारतीय सांकेतिक भाषा और अनुसंधान केंद्र स्थापित किया है। इसके लिए दिव्यांग व्यक्तियों के एक राष्ट्रीय डाटाबेस बनाने और इसे व्यापक रूप में संभव बनाने के लिए आगामी मार्गदर्शन हेतु एक अद्वितीय पहचान परियोजना प्रारंभ करने की मंशा है।
- दिव्यांगों के आर्थिक सशक्तिकरण में रोजगार एक महत्वपूर्ण कारक है। सरकार के मंत्रालयों और प्रतिष्ठानों में ऐसे आवेदकों के लिए रिक्तियां आरक्षित की गयी हैं। कौशल विकास के लिए सरकार की राष्ट्रीय कार्य योजना में रोजगार बढ़ाने के लिए 25 लाख दिव्यांगों को 2022 तक शामिल किया जाएगा। मैं सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों को इसमें सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहन देना चाहूँगा।
- मुझे प्रसन्नता है कि भारत सरकार ने कुरुक्षेत्र के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकीसंस्थान के समन्वय से हमारे देश में पहली बार दिव्यांग युवाओं के बीच एक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का आयोजन किया है। मैं चाहता हूँ कि दिव्यांग युवाओं को सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम बनाने के लिए राज्य-स्तर पर ऐसी और प्रतियोगिताओं का आयोजन होना चाहिए।
- हालांकि शीघ्र पता लगाने और प्रभावी हस्तक्षेप के मूल्य पर पर्याप्त बल नहीं दिया जा सकता किंतु विशेष रूप से अतिसंवेदनशील आयु समूहों के बीच बेहद सरल पूर्व सुरक्षा उपायों को अपनाकर विकलांगता देने वाली बीमारियों और जटिल स्थितियों को रोका जा सकता है। टीकाकरण, रोग निवारण, बेहतर स्वच्छता, साफ-सफाई और पोषण के साथ-साथ व्यापक मातृ एवं नवजात देखभाल जैसे क्षेत्रों में हमें स्वयं को उत्साह के साथ जोड़ना चाहिए। इस संदर्भ में, जागरूकता जगाने और सकारात्मक कहानियों को पेश करने में मीडिया एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
- मैं यह देखना चाहता हूँ कि भारत का प्रत्येक नागरिक हमारे समाज में दिव्यांगों के लाभ के लिए सामूहिक प्रयास की दिशा में कैसे योगदान कर सकता है। रवींद्रनाथ टैगोर की कविताओं में से एक का उल्लेख करते हुए भविष्य में आपकी सफलता और अपनी शुभकामनाएं के साथ सभी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं
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