नई दिल्ली: केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीकी एवं पृथ्वी-विज्ञान मंत्री डॉ.हर्षवर्धन 8 सितंबर, 2015 (मंगलवार) को अमृता आयुर्विज्ञान संस्थान, कोच्चि के अंग प्रत्यारोपण उत्कृष्टता केंद्र को औपचारिक रूप से राष्ट्र को समर्पित करेंगे। अमृता आयुर्विज्ञान संस्थान अंग प्रत्यारोपण करने वाले भारत के सबसे बड़े संस्थानों में से एक है।
केरल के मुख्यमंत्री श्री ओमेन चांडी तथा केरल के स्वास्थ्य मंत्री श्री वी एस शिवा कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। मलयालम सिनेमा के अभिनेता अंगदान के ब्रांड अंबेसडर श्री मोहनलाल भी इस समारोह में शामिल होंगे।
पिछले 15 वर्षों से अमृता आयुर्विज्ञान संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र ने यकृत और गुर्दे के अतिरिक्त दिल, छोटी आंत, पाचक ग्रंथि और अस्थि मज्जा के प्रत्यारोपण से जुड़े लगभग 900 मामले निपटाये हैं। यह दक्षिण पूर्वी एशिया में हाथों का प्रत्यारोपण करने वाला पहला चिकित्सा संस्थान है- हाथों का पहला प्रत्यारोपण केरल के 30 वर्षीय व्यक्ति का किया गया तथा दूसरा अफगानिस्तान के एक सेवानिवृत्त सेना कप्तान का किया गया था।
इस संस्थान में अस्थि मज्जा, ठोस शारीरिक अंगों जैसे यकृत, दिल, गुर्दे, फेफड़ें, छोटी आंत तथा संयुक्त ऊतकों जैसे हाथों और चेहरे का भी प्रत्यारोपण किया जाता है। कुछ विशेष अंगों का दान जीवित व्यक्ति कर सकते हैं जबकि कुछ अंगों को मस्तिष्क मृत अंग दाताओं से प्राप्त किया जाता है। ये सभी सेवाएं विशेषज्ञ शल्यचिकित्सकों, पराचिकित्सीय कर्मचारियों एवं सहायक सेवाओं से मिलकर बने दल द्वारा संचालित की जाती है।
इस अवसर पर देश में सबसे पहले जुड़वां हाथ प्रत्यारोपण के दाताओं के परिवारों को उनके उदाहरणीय कार्य के लिए सम्मानित भी किया जाएगा जिससे देश में अंगदान की प्रवृति को प्रोत्साहन मिला।
देश में सबसे पहले हाथ का प्रत्यारोपण 12 जनवरी, 2015 को 30 वर्षीय युवक मनु के लिए किया गया जो तीन वर्ष पहले रेल दुर्घटना अपने दोनों हाथ गंवा बैठा था। इस प्रक्रिया की सफलता के बाद दूसरा द्विपक्षीय हाथ प्रत्यारोपण 10 अप्रैल, 2015 को अफगानिस्तानी सैनिक अब्दुल रहीम के लिए किया गया जो अपने दोनों हाथ खदान धमाके में खो चुका था। इन दोनों ने दैनिक गतिविधियों के लिए अपने हाथों का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। ये दोनों प्रत्यारोपण लगभग 25 शल्य चिकित्सकों, 10 निश्चेतकों (ऐनिस्थेटिकों) तथा चिकित्सकों के आपसी सहयोग और टीम कार्य के परिणामस्वरूप संभव हुए। जिस टीम ने देश में संयुक्त् ऊतकों के प्रत्यारोपण के इस अतुलनीय कार्य को संभव बनाया, इस अवसर पर उन्हें भी सम्मानित किया जाएगा।