चेन्नई: अच्छे खासे वेतन वाले सॉफ्टवेयर, इंजीनियरिंग के क्षेत्र उन युवाओं को नहीं लुभा रहे जो इन विषयों की डिग्री लेने के बावजूद देश की सेवा करने के लिए सेना में शामिल होने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
हाल ही में यहां ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से पासआउट करने वाले कैडेटों ने सेना में शामिल होने से पहले अपने करियर के लिए सॉफ्टवेयर या इंजीनियरिंग को ही चुना था।
सेना में शामिल होने के लिए वी शरण्या ने सॉफ्टवेयर जगत की दिग्गज कंपनी टाटा कन्सल्टेन्सी सर्विसेज को ही टाटा कह दिया। अब शरण्या एक कमीशन्ड ऑफिसर हैं और उनका कहना है कि अपने फैसले से वह बहुत खुश हैं।
उन्होंने कहा ‘‘हमेशा से ही मैं सशस्त्र बल में जाना चाहती थी और मेरा यह सपना एनसीसी के दिनों से था।’’ सेना की कठिन नौकरी शरण्या कैसे कर पाएंगी। इस पर उनका जवाब था कि ओटीए में प्रशिक्षण के बाद वह इसके लिए तैयार हो गई हैं। ‘‘सेना आपको निखारती है। यह आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाती है। मेरे पास आत्मविश्वास हैं कि मैं हर वह काम कर पाउंगी जो मुझे दिया जाएगा।’’ उनके पिता एस वेंकटेश्वरन ने बताया कि पढ़ाई में मेधावी शरण्या ने सास्त्र यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री ली है।
कुछ ऐसी ही कहानी मैकेनिकल इंजीनियर आर सतीश कुमार की है जिन्होंने सेना को करियर बना लिया। उनके पिता एस रवि ने कहा ‘‘हम सब बहुत खुश हैं। उसकी चाहत हमेशा से ही सैन्य अधिकारी बनने की रही है।’’ उन्होंने बताया कि रवि ने निजी सेक्टर की नौकरी सेना की खातिर छोड़ दी।
अधिक संख्या में सॉफ्टवेयर, इंजीनियरिंग के पेशेवरों द्वारा सेना को चुने जाने के बारे में ओटीए कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल बॉबी मैथ्यू ने बताया कि ये स्नातक सेना के लिए उपयोगी होंगे क्योंकि बल अपने हाईटेक होने के रोड मैप पर आगे बढ़ रहा है।
साभार एनडीटीवी इंडिया